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Big breaking :-सुगम क्षेत्र के सात डायट को दुर्गम श्रेणी में किया शामिल, उठे रहे हैं अब ये कई सवाल

सुगम क्षेत्र के सात डायट को दुर्गम श्रेणी में किया शामिल, उठे रहे हैं अब ये कई सवाल

शिक्षा विभाग में वर्ष 2018 में डायट हरिद्वार, देहरादून, टिहरी, उत्तरकाशी, पौड़ी गढ़वाल, चमोली, रुद्रप्रयाग, पिथौरागढ़, चंपावत, अल्मोड़ा सहित सभी डायटों, राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद व राज्य शैक्षिक प्रबंधन एवं प्रशिक्षण संस्थान देहरादून को सुगम श्रेणी में शामिल किया गया था, लेकिन इनमें से सात डायट डीडीहाट (पिथौरागढ़), बड़कोट (उत्तरकाशी), गौचर (चमोली), चड़ीगांव (पौड़ी), रतूड़ा (रुद्रप्रयाग) और बागेश्वर को दुर्गम श्रेणी में शामिल कर दिया गया है।

शिक्षा विभाग के कारनामे भी अजीबोगरीब हैं। प्रदेश के सुगम क्षेत्र के सात जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों (डायट) को इस साल से दुर्गम श्रेणी में शामिल कर दिया गया है। वह भी 2022 में किए गए कोटिकरण के आधार पर। जिससे सवाल यह खड़ा हो रहा है कि क्षेत्र में आधारभूत सुविधाएं घट गईं या फिर कुछ चहेतों को लाभ देने के लिए यह सब किया गया है।

तबादला एक्ट के तहत प्रदेश में आधारभूत सुविधाओं जैसे सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा, चिकित्सा, रेल एवं हवाई जहाज की सुविधाओं के आधार पर क्षेत्र को सुगम या दुर्गम के रूप में चिन्हित किया जाता है। शिक्षा विभाग में वर्ष 2018 में डायट हरिद्वार, देहरादून, टिहरी, उत्तरकाशी, पौड़ी गढ़वाल, चमोली, रुद्रप्रयाग, पिथौरागढ़, चंपावत, अल्मोड़ा सहित सभी डायटों, राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद व राज्य शैक्षिक प्रबंधन एवं प्रशिक्षण संस्थान देहरादून को सुगम श्रेणी में शामिल किया गया था, लेकिन इनमें से सात डायट डीडीहाट (पिथौरागढ़), बड़कोट (उत्तरकाशी), गौचर (चमोली), चड़ीगांव (पौड़ी), रतूड़ा (रुद्रप्रयाग) और बागेश्वर को दुर्गम श्रेणी में शामिल कर दिया गया है।

 

भी 29 अप्रैल 2022 में इन डायटों के किए गए कोटिकरण को शिक्षा महानिदेशालय के 13 जून 2024 के एक आदेश से इस साल से दुर्गम श्रेणी में शामिल किया गया है। इन डायटों का चिन्हिकरण भी विभाग की ओर से किया गया है। जबकि इसका निर्धारण डीएम की अध्यक्षता में गठित कमेटी को करना था।
…तो यह हुआ खेल

प्रदेश में जिन सात डायट को इस साल से सुगम से दुर्गम श्रेणी में शामिल किया गया। विभागीय सूत्रों के मुताबिक उनमें कार्यरत कुछ शिक्षकों की पूरी सेवा दुर्गम में जोड़ दी गई है, जिससे यह शिक्षक पहाड़ नहीं चढ़ेंगे।

यह मामला मेरे संज्ञान में आया है, मैंने कल इसकी फाइल मंगवाई है, इसके परीक्षण के बाद ही कोई व्यवस्था लागू की जाएगी। – झरना कमठान, शिक्षा महानिदेशक

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Author: Swati Panwar
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