पीसीएस अफसरों के बीच वरिष्ठता विवाद गहराया, सरकार के इस आदेश के बाद विरोध में उतर आए
पदोन्नत पीसीएस अफसरों की मांग है कि चूंकि वह सीनियर हैं, इसलिए उन्हें भी एडीएम का पद दिया जाए, जबकि सीधी भर्ती के पीसीएस अफसरों का कहना है कि अस्थायी व्यवस्था के तहत जून 2012 से पीसीएस पद पर सेवाएं देने वालों को 2016 में इस पद पर पूर्ण पदोन्नति मिली है।
प्रदेश में सीधी भर्ती और पदोन्नत पीसीएस अफसरों के बीच वरिष्ठता विवाद गहरा गया है। सीधी भर्ती के दो अफसरों की एडीएम पद पर तैनाती अटकने के बाद वह विरोध में उतर आए हैं।उनका कहना है कि जिस समयावधि को जोड़कर पदोन्नत पीसीएस खुद को वरिष्ठ बता रहे हैं, वह नितांत अस्थायी थी, जिसे अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट भी जोड़ने से मना कर चुका है।
दरअसल, प्रदेश में पीसीएस-2012 बैच के सीधी भर्ती के 19 अफसर हैं, जिनकी ज्वाइनिंग 2014 की है। दूसरे वो 25 अफसर हैं, जो नायब तहसीलदार के पद से एसडीएम के पद पर 2016 में पदोन्नत हुए थे, जबकि ये जून 2012 से बतौर तदर्थ पीसीएस जिम्मेदारी संभाल रहे थे।
एडीएम पद पर तैनाती का आदेश जारी
इन अफसरों का कहना है कि चूंकि वह 2012 से एसडीएम के पद पर सेवाएं दे रहे हैं, इसलिए 2014 में आए सीधी भर्ती के पीसीएस से सीनियर हैं। ताजा विवाद तब गहराया, जब सरकार ने सीधी भर्ती से पीसीएस योगेंद्र सिंह और जयवर्धन शर्मा को एडीएम पद पर तैनाती का आदेश जारी कर दिया
पदोन्नत पीसीएस अफसर इसके विरोध में उतर गए। दोनों सीधी भर्ती के अफसरों की नए पद पर ज्वाइनिंग लटक गई। पदोन्नत पीसीएस अफसरों की मांग है कि चूंकि वह सीनियर हैं, इसलिए उन्हें भी एडीएम का पद दिया जाए, जबकि सीधी भर्ती के पीसीएस अफसरों का कहना है कि अस्थायी व्यवस्था के तहत जून 2012 से पीसीएस पद पर सेवाएं देने वालों को 2016 में इस पद पर पूर्ण पदोन्नति मिली है।
शासन को सौंपे पत्र में उनका कहना है कि उनको 6600 ग्रेड-पे 31 अक्तूबर 2019 को मिला और क्रमांक संख्या 158 से 176 तक के अधिकारियों को 2022 में 6600 ग्रेड-पे दिया गया, जिस आधार पर वह खुद को वरिष्ठ मान रहे हैं, जबकि सुप्रीम कोर्ट के 14 फरवरी 2020 के आदेश के अनुसार, स्थानापन सेवा को वरिष्ठता में नहीं जोड़ा जाना है।इससे इनकी पदोन्नति का 31 अक्तूबर 2019 का आदेश खारिज किया जाना था, जो शासन ने नहीं किया है। इस मामले में निर्णय न लिया तो आईएएस के पद पर पदोन्नति में भी विवाद बढ़ सकता है।
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