UTTARAKHAND NEWS

Big breaking :-आशियाना उजड़ता देख बिलख उठे लोग: बोले- हम गरीब थे इसलिए किया अपराधियों जैसा सलूख, गलत थे तो क्यों दिया आवास

आशियाना उजड़ता देख बिलख उठे लोग: बोले- हम गरीब थे इसलिए किया अपराधियों जैसा सलूख, गलत थे तो क्यों दिया आवास

 

रुद्रपुर में नेशनल हाईवे किनारे स्थित 45 परिवारों वाले क्षेत्र में स्थित घर मलबे के ढेर में बदल गए हैं। जो घर छूट गए हैं, उनका नंबर भी आना तय है। मलबे के बीच सामानों को निकालते लोग हताश हैं। महिलाएं और छोटे-छोटे बच्चों के आंखों में आंसू हैं।

गरीब होना ही हमारे लिए सबसे बड़ा अभिशाप है। इस सिस्टम में गरीबों की कोई नहीं सुनता है। जब गलत थे, तो हमे इंदिरा, निर्बल वर्ग आवास क्यों आवंटित किए गए। उनको घर से सामान तक नहीं निकालने दिया गया और अपराधियों सा सलूक किया गया। पूरी रात बच्चों के साथ गर्मी, बारिश में बिना बिजली के भूखे प्यासे रहकर काटी है। यह दर्द है भगवानपुर कोलड़िया के ग्रामीणों का।

नेशनल हाईवे किनारे स्थित 45 परिवारों वाले क्षेत्र में स्थित घर मलबे के ढेर में बदल गए हैं। जो घर छूट गए हैं, उनका नंबर भी आना तय है। मलबे के बीच सामानों को निकालते लोग हताश हैं। महिलाएं और छोटे-छोटे बच्चों के आंखों में आंसू के साथ ही भविष्य को लेकर चिंताएं हैं। गांव में मौजूद जयप्रकाश तोड़े गए इंदिरा आवासों को दिखाते हुए कहते हैं कि यूपी और उत्तराखंड के समय 20 से ज्यादा परिवारों को सरकारी योजनाओं के तहत आवास दिए गए। अब इन आवासों को अवैध बताकर तोड़ दिए गए। मेहनत मजदूरी करने वाले लोगों ने खूब पसीना बहाकर आशियाने बनाए, जो उजाड़ दिए गए। वे क्या करें, कहां जाएं, समझ नहीं आता है। इसी बीच ग्रामीण शंभूनाथ 1989-90 में पिता को मिले आवास आवंटन पत्र दिखाते हुए कहते हैं कि या तो तब के अफसर गलत थे या फिर अब अफसरों ने गलत किया है।

अंकल पढ़ाई क्या, हमारा तो घर छिन गया
पुलिस कार्यालय में परिजनों के साथ प्रदर्शन करने आए मासूम बच्चों के लिए 24 घंटे बेहद मुश्किल भरे रहे। स्कूल के बजाए पुलिस कार्यालय आने के सवाल पर बच्चों ने कहा कि अंकल हमारा तो घर ही तोड़ दिया गया है। बृहस्पतिवार को स्कूल से घर आने के बाद ठीक से न सो सके हैं और न खा पाए हैं। स्कूल तो चले ही जाएंगे, मगर पहले उनको रहने के लिए घर तो मिल जाए। उनका घर तो तोड़ दिया गया है। मासूम चेहरों से मिले समझदारी भरे जवाब से उनकी आपबीती समझी जा सकती है।

दस परिवारों को पट्टे मिले थे और 22 लोगों को सरकारी योजनाओं में आवास दिए गए थे। इन आवासों को भी तोड़ दिया गया। वे 55 सालों से यहां रह रहे हैं। अब जाएं तो कहां जाएं। रात में बारिश, गर्मी से सब बेहाल रहे थे और कई तो खुले आसमान के नीचे भी थे। सब गरीब परिवार हैं और गरीबों पर ही प्रशासन का डंडा चलता है।
-सुरेश कुमार, ग्रामीण

प्रशासन की कार्रवाई की जद में आने वाले सभी लोग अनुसूचित जाति के हैं। बच्चों की पढ़ाई बंद है, खाना नहीं बन पा रहा है। समझ नहीं आ रहा है कि वे अपना घर अब कभी बना पाएंगे या नहीं। जो कुछ था सब खत्म हो गया है। पुलिस ने तो लोगों को घर से सामान तक निकालने नहीं दिया और अमानवीय बर्ताव किया।
-विश्वमित्र, ग्रामीण

जिस जमीन पर हम लोग काबिज हैं, वो आबादी में दर्ज है। एनएचएआई ने जहां पिलर लगाए थे, वहां से 60 फिट तक जगह ले लेते, हम गरीबों को तो नहीं उजाड़ते। परिवार में चार इंदिरा आवास हैं और सबसे पुराना 46 साल पुराना आवास है। तब छह हजार रुपये सरकारी योजना में आवास के लिए मिलते थे। तीन महीने तक बिल्डर उनको जमीन देने की बात पर गुमराह करता रहा था। अब बिल्डर मुकर गया।
– शांति देवी,ग्रामीण

आज के समय में गरीबों की कौन सुनता है। हम तो बच्चों के साथ सड़क पर आ गए हैं। ऐसी परिस्थितियां हो गई है कि बच्चों को भूख लगने पर खाना भी समय पर नहीं दे पा रहे हैं। बरसात के मौसम में बेघर करना कहां का न्याय है। महिलाओं के साथ कितना बुरा बर्ताव किया गया, यह सबने देखा है। हमने कौन का अपराध किया कि हमारा घर भी छीन लिया और हमारे साथ मारपीट भी की गई।
-बेबी रानी, ग्रामीण

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

न्यूज़ हाइट (News Height) उत्तराखण्ड का तेज़ी से उभरता न्यूज़ पोर्टल है। यदि आप अपना कोई लेख या कविता हमरे साथ साझा करना चाहते हैं तो आप हमें हमारे WhatsApp ग्रुप पर या Email के माध्यम से भेजकर साझा कर सकते हैं!

Click to join our WhatsApp Group

Email: [email protected]

Author

Author: Swati Panwar
Website: newsheight.com
Email: [email protected]
Call: +91 9837825765

To Top