उत्तराखंड में सरकारी निर्माण कार्यों में घोटालों की फेहरिस्त लंबी होती जा रही है। अब रुड़की में निर्माणाधीन उप संभागीय परिवहन कार्यालय (एआरटीओ) भवन में भारी वित्तीय अनियमितताओं का मामला सामने आया है। करोड़ों की लागत से बन रहे इस भवन के निर्माण में बड़े पैमाने पर गोलमाल की पुष्टि हुई है। शासन को मिली जांच रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं, जिसके आधार पर परिवहन सचिव ब्रजेश कुमार संत ने 15 दिन में विस्तृत जांच रिपोर्ट तलब की है। जांच की जिम्मेदारी संयुक्त परिवहन आयुक्त, देहरादून सनत कुमार सिंह को सौंपी गई है।
शासन को मिली जांच रिपोर्ट में ये गंभीर अनियमितताएं सामने आई हैं:
एम्फीबिंग फिनिशिंग: प्रस्तावित ₹39.90 लाख की व्यवस्था स्थल पर मौजूद ही नहीं पाई गई।
फायर फाइटिंग, इलेक्ट्रिकल पैनल आदि: ₹16.19 लाख की लागत के बावजूद कुछ भी स्थापित नहीं।
इलेक्ट्रिकल पोल्स (₹90,000) और सोलर एलईडी लाइट्स (₹2,22,996) भी स्थल पर नदारद।
छत की ढलान गलत दिशा में है, जिससे बारिश में जलभराव की आशंका बनी रहती है।
भवन तक पहुँच का रास्ता इतना खराब है कि भारी वाहनों की आवाजाही मुश्किल है और ट्रैक्टर से आना-जाना पड़ता है।
निर्माण स्थल नीची व जलभराव वाली जमीन पर स्थित है, जबकि निरीक्षण समिति ने इसे अनुपयुक्त माना था।
निर्माण कार्य को 95% पूर्ण दर्शाया गया, पर वास्तविक स्थिति में मुख्य कार्य अधूरा है।
कुल ₹59.21 लाख की व्यवस्थाएं या तो पूरी नहीं हुईं या फिर पूरी तरह से अनुपस्थित हैं।
सूत्रों के अनुसार, इस पूरे प्रकरण में एआरटीओ एल्विन रॉक्सी की भूमिका संदेह के घेरे में है
इस घोटाले ने एक बार फिर प्रदेश में निर्माण कार्यों की गुणवत्ता और पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय लोगों और जनप्रतिनिधियों ने इस मामले की उच्च स्तरीय जांच और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
हरिद्वार में नगर निगम भूमि घोटाले में असल जिम्मेदार अफसर अभी भी बचे हुए है। माना जा रहा है उनकी ऊंची पहुंच इसकी वजह है।वही इस प्रकरण में जांच अधिकारी रणवीर सिंह चौहान आज जांच करने हरिद्वार भी पहुंच रहे हैं

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