रेलवे सुरंग ब्लास्टिंग से ऋषिकेश के घरों पर मंडराया खतरा, मकानों में आई दरारें; लोगों ने की विस्थापन की मांग
उत्तराखंड के ऋषिकेश में ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना का कार्य जोरों पर है। रेल परियोजना की सुरंग की खुदाई के चलते बिलोगी गांव के कई मकानों में दरारें आई हैं। मकानों में दरारे आने के बाद ग्रामीण दहशत में हैं। उन्होंने विस्थापन की मांग की है। साथ ही आरवीएनएल को भी पत्र लिखा था लेकिन किसी भी अधिकारी ने अब निरीक्षण नहीं किया।
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना के निर्माण के साथ-साथ कई जगह आसपास के गांव भी प्रभावित हो रहे हैं। रेल परियोजना की सुरंग की खोदाई के चलते अब लोडसी ग्राम पंचायत के बिलोगी गांव में मकानों में दरारें आई हैं। ग्रामीणों ने गांव के विस्थापन की मांग की है।
गांव में घरों में लगातार आ रही दरारों के कारण ग्रामीण भयभीत हैं। सोमवार को समस्या के निराकरण के लिए बिलोगी गांव में ग्रामीणों की बैठक आयोजित की । ग्रामीणों में इस बात को लेकर नाराजगी थी कि उक्त समस्या के बारे में उन्होंने प्रशासन और रेल परियोजना के अधिकारियों को पत्र प्रेषित किया था, मगर अधिकारियों ने जांच की बात तो गांव में आने की जहमत तक नहीं उठाई।
हैवी ब्लास्टिंग के कारण हिल रहे मकान
ग्रामीणों का कहना था कि उनके गांव के नीचे से हो रहे सुरंग निर्माण में हैवी ब्लास्टिंग के कारण, मकान ही नहीं पूरी जमीन हिल रही है, जिसके चलते मकानों पर दरारें पड़ती जा रही हैं। लगातार हो रहे ब्लास्टिंग से गांव में रहना मुश्किल हो गया है। उन्होंने शासन-प्रशासन और रेलवे विकास निगम से गांव को अन्यत्र नजदीकी भूभाग में पुनर्वासित किए जाने की मांग की है।
आरवीएनएल को भेजा गया था पत्र
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि जब उक्त संबंध में पत्र प्रशासन और आरवीएनएल को बीते फरवरी में भेज दी थी,तो मौके का क्यों निरीक्षण नहीं किया गया। उक्रांद के केंद्रीय सचिव व स्थानीय निवासी सरदार सिंह पुंडीर, पूर्व प्रधान जगमोहन महर, अनिल चौहान आदि ने बताया कि सुरंगों में ब्लास्टिंग से गांव के पानी के प्राकृतिक स्रोत भी सूखते जा रहे हैं। कहा कि वह परियोजना का कतई विरोध नहीं कर रहे हैं, बल्कि उनकी समस्याएं हल की जानी चाहिए।
उन्होंने गांव के मकानों पर पड़ी दरारों का सर्वे व जांच कर उचित मुआवजा देने के साथ ही उनका अन्यत्र विस्थापन करने की मांग की है। बैठक में सुनीता देवी, चमन लाल भट्ट, सुलोचना रयाल, वासुदेव, रामस्वरूप, विश्वभर प्रसाद, शूरवीर सिंह महर, कमल किशोर भट्ट जगदीश प्रसाद, सत्ये सिंह महर आदि मौजूद थे।
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