मध्य प्रदेश के व्यापं घोटाले की तर्ज पर बढ़ा रजिस्ट्री फर्जीवाड़ा
डेढ़ साल में तीन आरोपियों की हो चुकी है मौत, मुकदमे अब भी दर्ज होने जारी
एक के बाद एक संदिग्ध मौत से किसका भला किसका नुकसान, चुनौती बना जाननाI
रजिस्ट्री फर्जीवाड़े में तीन आरोपियों की मौत होना इत्तेफाक है या साजिश। इसका पता किया जाना बाकी है। लेकिन, सवाल उठने शुरू हो गए हैं। मध्य प्रदेश के व्यापं घोटाले की तर्ज पर एक के बाद एक हुई लोगों की मौत तमाम सवालों को जन्म दे गई थी। अब अगर रजिस्ट्री फर्जीवाड़े में मौत का आंकड़ा बढ़ा तो यह कहने में कोई गुरेज नहीं कि इन मौत से किसी को तो फायदा पहुंचा है। अब नुकसान किसका है इसकी तह तक जाना भी पुलिस और प्रशासन के लिए चुनौती है।
दरअसल, राजधानी दून में बेशकीमती जमीनों पर गिद्ध दृष्टि रखने वाले लोग अब तक अरबों रुपये के वारे न्यारे कर चुके हैं। जुलाई 2023 में एक सामान्य शिकायत से खुले इस फर्जीवाड़े के बाद जब आरोपियों के नाम सामने आना शुरू हुए तो सब हतप्रभ रह गए। नामचीन अधिवक्ताओं को भी जेल भेजा गया। प्रशासन ने जांच कर एक के बाद एक मुकदमों की संस्तुति की। पुलिस लगातार कार्रवाई में जुटी। लेकिन, कुछ दिन बाद ही खबर आई कि सहारनपुर में मुख्य साजिशकर्ता केपी सिंह की जेल में मौत हो गई। अभी केपी सिंह से जरुरी पूछताछ पुलिस को करनी थी। लेकिन, असमय काल का ग्रास बने केपी सिंह की कड़ी टूट गई। इसके कई सहयोगी जेल में बंद हैं। मगर इनसे बहुत कुछ पुलिस उगलवा नहीं सकी। कारण था कि राज जो केपी सिंह के सीने में थे वे उसकी मौत के साथ दफन हो गए।
गत आठ सितंबर को सुखविंदर नाम के आरोपी की भी संदिग्ध मौत हो गई। सुखविंदर भी केपी सिंह का करीबी माना जाता था। उसके खिलाफ भी कई मुदकमे दर्ज थे। पुलिस अभी उसकी तलाश ही कर रही थी कि मौत की खबर आई। अब ये इत्तेफाक है या साजिश। इसका भी पता किया जा रहा था। जांच में जुटी पुलिस के सामने पिछले दिनों एक और खबर आई कि चाप सिंह नाम के आरोपी की मौत हो गई। उसका शव दिल्ली के नरेला में रेलवे ट्रैक पर पड़ा मिला। खास बात यह है कि चाप सिंह केपी सिंह के राज जानता था। वह कई सौदों में उसका गवाह भी रहा है। उसके खुद के खिलाफ पटेलनगर में एक मुकदमा दर्ज हुआ था। अब तक हुई ये तीन मौत किसी न किसी साजिश की ओर तो इशारा कर रही है। सवाल यही है कि क्या ये भी मध्य प्रदेश के व्यापं जैसा ही कुछ है या फिर कुछ और?
Iशुरुआत से उठ रही थी सफेदपोशों को बेनकाब करने की मांगI
प्रशासन ने जांच कराई तो सरकार ने भी इस मामले को गंभीरता से लिया। दो स्तर पर एसआईटी बना दी गई। एक के बाद एक गिरफ्तारियां हुईं। लेकिन, बार-बार इस खेल में सफेदपोशों को बेनकाब करने की मांग उठती रही। मगर, अभी तक की जांच में किसी ऐसे व्यक्ति का नाम सामने नहीं आया जिसे असल में सफेदपोश कहा जा सके। जो नाम थे या तो वे माफिया थे या फिर उनके सरपरस्त एक दो अधिवक्ता। कचहरी में चले इस खेल में जालसाजी की हर हद तक आरोपी गए। सामान्य ट्रिक से लेकर विज्ञान के बड़े-बड़े फार्मूलों को दस्तावेज में छेड़छाड़ के लिए अपनाया गया। पुलिस ने जांच की तो यह सब खेल खुला। मगर, सवाल अब भी अपनी जगह खड़ा है कि ये तीन मौत क्या वाकई इत्तफाक हैं या फिर इनका किसी सफेदपोश से ताल्लुक है। किसी को तो डर है कि उसके राज खुल न जाएं। कोई तो चाहता है कि जो बातें हैं वे या तो जेल की चहारदीवारी के भीतर ही रहें। बाहर किसी के सीने में कोई राज दफन हैं तो उसे ही खत्म कर दो। हालांकि, जांच गंभीरता से हुई तो इसका पता किया जाना भी मुश्किल न होगा कि लाभ किसका और नुकसान कौन झेल रहा है
I30 से ज्यादा केस दर्ज हुए फर्जीवाड़े मेंI
पिछले साल जुलाई में रजिस्ट्री फर्जीवाड़ा सामने आया था। इसमें दो एसआईटी एक प्रशासन और एक पुलिस के स्तर पर गठित हुई थी। प्रशासन की एसआईटी ने मामलों की जांच की और मुकदमों की संस्तुति कर पुलिस के पास भेजा। पुलिस अब तक करीब 30 से ज्यादा मुदकमे दर्ज कर चुकी है। इसमें 20 से ज्यादा आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। अधिकतर मुकदमों में चार्जशीट भी पुलिस दाखिल कर चुकी है। जिलाधिकारी सविन बंसल ने बताया कि एसआईटी रजिस्ट्री फर्जीवाड़े के मामले की जांच कर रही है। जो भी शिकायतें मिल रही हैं उनकी भी जांच कराई जा रही है।
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