कठुआ में हुए आतंकवादी हमले में उत्तराखंड के पांच सैनिकों ने अपना बलिदान दिया। इससे पहले भी उत्तराखंड के वीर देश के लिए अपना बलिदान देने में आगे रहे हैं।
उत्तराखंड से औसतन हर महीने एक जवान देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दे रहा है। पिछले 24 वर्षों में राज्य के सेना में तैनात 354 सैनिक विभिन्न आतंकवादी हमलों और मुठभेड़ में अपने प्राणों की आहुति दे चुके हैं।
जम्मू कश्मीर के कठुआ में सोमवार को आतंकवादी हमले में उत्तराखंड के पांच सैनिकों ने अपना बलिदान दिया। इससे पहले भी उत्तराखंड के वीर देश के लिए अपना बलिदान देने में आगे रहे हैं। सैनिक बहुल प्रदेश के इन सैनिकों के साहस के असंख्य किस्से सैन्य इतिहास में दर्ज हैं। उत्तराखंड के इन सैनिकों ने अपने शौर्य और पराक्रम से देश का गौरव बढ़ाया है।
राष्ट्र की सीमाएं सुरक्षित
सैनिक कल्याण विभाग की एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2013 से अब तक उत्तराखंड के 100 सैनिकों ने देश के लिए अपना बलिदान दिया है। बिग्रेडियर प्रवीण जोशी (सेनि) बताते हैं कि वीर सैनिकों के त्याग और बलिदान के कारण ही राष्ट्र की सीमाएं सुरक्षित हैं।
आतंकवादी हमलों को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था को और पुख्ता करने की जरूरत है। सेना में अक्सर सुबह मार्ग को आवाजाही के लिए खोलने से पहले सेना की एक टुकड़ी इस काम के लिए नियुक्त की जाती है कि रास्ते में कहीं आतंकवादियों ने आईडी या बम तो नहीं लगाया है। सुरक्षा के इस तरह के इंतजाम से इस तरह की घटनाओं को कम किया जा सकता है।
कारगिल युद्ध में उत्तराखंड के वीर सैनिकों का रहा बड़ा योगदान
कारगिल युद्ध में भी हमारे वीर जवानों ने अपने शौर्य व पराक्रम से दुश्मनों को परास्त किया था। कारगिल में 527 जांबाज सैनिकों ने अपने प्राणें की आहुति दी। जिसमें देवभूमि उत्तराखंड के 75 जवान शामिल थे। पूर्व सैनिक बताते हैं कि सभी वीर जवानों के परिवारों और वीरांगनाओं को हर संभव मदद करना बलिदानियों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
राज्य गठन से लेकर अब तक कब कितने सैनिकों ने दिया बलिदान
वर्ष सैनिक बलिदान
2013 – 06
2014- 04
2015- 14
2016 -10
2017- 11
2018 -11
2019 -07
2020 -11
2021- 12
2022 -02
2023 -06
2024 -06
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