रैंतोली-जवाड़ी बाईपास के 200 मीटर हिस्से में हो रहा भू-धंसाव, तीन फीट तक पड़ीं दरारें
पिछले 20 दिनों से यह बाईपास भू-धंसाव की समस्या से जूझ रहा है। इससे न केवल बाईपास बल्कि जखोली ब्लॉक के गांवों को जोड़ने वाला जवाड़ी-दरमोला मोटर मार्ग, इको पार्क और डिग्री कॉलेज परिसर को भी खतरा पैदा हो गया है।
ऋषिकेश-बदरीनाथ और रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड राजमार्ग को जोड़ने वाला रैंतोली-जवाड़ी बाईपास भू-धंसाव की चपेट में आ गया है। इस बाईपास के लगभग 200 मीटर हिस्से में कई जगहों पर आधा फीट से लेकर तीन फीट तक की दरारें पड़ गई हैं। यदि जल्द इसकी मरम्मत नहीं की गई तो मुश्किलें और भी बढ़ सकती हैं।
विधायक भरत सिंह चौधरी ने मौके पर जाकर बाईपास का निरीक्षण किया और इस गंभीर स्थिति के बारे में केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, केंद्रीय राज्य मंत्री अजय टम्टा, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र भेजकर जानकारी दी। उन्होंने अलकनंदा नदी के कटाव को भू-धंसाव का मुख्य कारण बताया और जल्द से जल्द सुरक्षात्मक कार्य कराने का आग्रह किया है
कहा कि पिछले 20 दिनों से यह बाईपास भू-धंसाव की समस्या से जूझ रहा है। इससे न केवल बाईपास बल्कि जखोली ब्लॉक के गांवों को जोड़ने वाला जवाड़ी-दरमोला मोटर मार्ग, इको पार्क और डिग्री कॉलेज परिसर को भी खतरा पैदा हो गया है। अगर इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं किया गया तो ऑलवेदर रोड परियोजना के तहत बनी 900 मीटर सुरंग का महत्व भी खत्म हो जाएगा क्योंकि यात्रा के दौरान इसी बाईपास से होकर वाहन सुरंग के रास्ते बदरीनाथ हाईवे तक पहुंचेंगे।

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