परियोजनाओं को प्लान तक सीमित किया, अब धर्मनगरी की धारण क्षमता पर हो रही चर्चा
धर्मनगरी की धारण क्षमता को लेकर बने अब तक तीन मास्टर प्लान केवल विरोध की भेंट चढ़ गए। कॉरिडोर को लेकर शासन प्रशासन पिछले एक साल से मान मनौव्वल कर रहा है।
हरिद्वार धर्मनगरी में आज धारण क्षमता और साल दर साल बढ़ती भीड़ पर चर्चा हो रही है। सरकार ने तीन बड़ी परियोजनाएं आस्था के इस महाकेंद्र को दी। योजनाएं बनीं, खाका खींचा गया, लेकिन केवल निजी स्वार्थ में वह विरोध की भेंट चढ़ती गईं। वर्तमान में छोटे स्नान पर्व पर भी हालत यह होती है कि भीड़ नियंत्रण कर पाना मुश्किल होने लगा है।
बीते करीब दाे दशक में हरिद्वार को कई बड़ी परियोजनाओं की सौगात मिली। आश्रम अखाड़े तैयार हुए तो आमजन और व्यापारियों के विरोध के सुर उठे। शासन सत्ता ने मान मनौव्वल किया तो विपक्ष ने इसे मुददा बना लिया। ऐसी ही एक बड़ी परियोजना हरिद्वार-ऋषिकेश कॉरिडोर के लिए जद्दोजहद चल रही है।
कांवड़ में अर्द्धकुंभ की रिहर्सल तीज पर हो गई धड़ाम
इस बार कांवड़ मेले में प्रशासन आगामी अर्द्धकुंभ के लिए रिहर्सल कर रहा था। कांवड़ तो सकुशल संपन्न हुआ, लेकिन अप्रत्याशित भीड़ तीज पर उमड़ी और बड़ा हादसा हो गया। कांवड़ के दौरान हादसे के दिन से अधिक भीड़ रोज मनसा देवी मंदिर पहुुंच रही थी। मनसा देवी और चंडी देवी मंदिरों के मार्गों पर अतिक्रमण और बढ़ती दुकानों की संख्या पर कोई रोक नहीं लग रही है।
हाईकोर्ट ने किया हस्तक्षेप तो खाली हुआ पंतदीप पार्किग का क्षेत्र
नीति नियंताओं की मनमानी भी हरिद्वार के मेला क्षेत्र से लेकर घाट और मंदिरों के पहुंच मार्ग पर अवैध कब्जे की राह आसान करता जा रहा है। कांवड़ मेले के दौरान ड्रोन से ली गई हरकी पैड़ी क्षेत्र की तस्वीरें खुद बयां कर रही हैं कि अगर किसी घाट पर कभी मनसा देवी मंदिर जैसा कोई हादसा हुआ तो भीड़ के भागने या बचने का कोई रास्ता नहीं है।
हालत यह है कि पंतदीप पार्किग क्षेत्र को मनमाने तरीके से प्रदेश के पहले पिंक वेंडिंग जोन के रूप में स्थापित कर दिया गया था। भीड़ नियंत्रण और निकास मार्ग के रूप में इस स्थल कोे खाली कराने के लिए पूर्व की घटनाओं में गठित आयोगों की सिफारिश लेकर सामाजिक कार्यकर्ताओं ने उच्च न्यायालय नैनीताल की शरण ली। हाईकोर्ट के आदेश के बाद पार्किंग क्षेत्र को खाली कराया जा सका। वर्तमान में कई संगठन इसी क्षेत्र में फिर से कब्जा जमाने के लिए लगातार जनसमूह को प्रेरित कर आंदोलन का रूप दे रहे हैं।
स्नान पर्व में पैदल चलना भी दूभर
हरिद्वार में स्नान पर्व लगभग प्रत्येक माह होते हैं। इसके अलावा कांवड़ और कुंभ, अर्द्धकुंभ भी होता है। ऐसे में उमड़ने वाली भीड़ तक को पैदल चलने का रास्ता नहीं मिलता है। रेलवे स्टेशन से लेकर हरकी पैड़ी तक, देवपुरा से वाल्मीकि चौक और अब तो भगत चौराहे से लेकर ज्वालापुर के जटवाड़ा पुल तक सड़क किनारे फुटपाथ तक गायब हो चुके हैं। हरकी पैड़ी के ऊपर पहाड़ में गुफा बनाकर रोड तक व्यापार फैलाया जा रहा है। इस ओर न तो पुलिस प्रशासन ध्यान दे रहा है और न ही वन विभाग और राजाजी नेशनल पार्क प्रशासन।
हरिद्वार में अब तक बड़ी परियोजनाएं
– हरिद्वार-ऋषिकेश रेल मेट्रो परियोजना : हरिद्वार से ऋषिकेश तक मेट्रो रेल चलाने की घोषणा हुई, खाका खींचा गया। निर्माण के लिए नामित संस्थाएं बैरंग लौटीं।
-मनसा देवी चंडी देवी रोपवे सेवा : योजना की घोषणा के बाद से अब तक चर्चा तक नहीं हुई।
– पॉड टैक्सी परियोजना : कार्यदायी संस्था मेट्रो रेल कारपोरेशन ने सर्वे किया, अतिक्रमण हटाने की बारी आई तो विरोध के स्वर इस तरह उठे कि प्रशासनिक अमले की हिम्मत तक नहीं हुई इस पर चर्चा करें। संत महंत आश्रम और अखाड़े साधे गए तो व्यापारी नहीं माने। दो बार पॉड टैक्सी परियोजना के लिए कार्ययोजना में परिवर्तन किया गया। अतिक्रमण किसी कीमत पर नहीं हटे इसके लिए लगातार आंदोलन प्रदर्शन होते रहे।-
हरिद्वार ऋषिकेश कॉरिडोर परियोजना : समूचे शहीर में सर्वे हुआ, निशान लगे। कनखल से लेकर हरकी पैड़ी और सप्तऋषि से लेकर अंतिम छोर सराय तक का पूरा खाका खींचा गया। विरोध के स्वर उठे तो कई गोपनीय बैठक हुई। निर्माण कार्य को लेकर फिलहाल अभी तक हितधारकों के साथ बैठक तक नहीं की गई।

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