पुलिस में 33 फीसदी महिलाओं की भागीदारी होने में लगेंगे 31 साल, 8वें नंबर पर है प्रदेश
इंडिया जस्टिस की 2025 की रिपोर्ट में बताया गया है कि महिलाओं की भागीदारी में उत्तराखंड अपने साथ अस्तित्व में आए छत्तीसगढ़ और झारखंड से काफी आगे है।
उत्तराखंड पुलिस में महिलाओं की भागीदारी 33 फीसदी पहुंचने में अभी 31 वर्ष का समय लगेगा। इस मामले में देश के 18 राज्यों में उत्तराखंड आठवें पायदान पर है। इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2025 में इसका खुलासा हुआ है। उत्तराखंड की कुल पुलिस फोर्स में महिलाओं की भागीदारी अभी 12 फीसदी है। जबकि, अफसरों में कुल 10.2 फीसदी महिला पुलिस अफसर हैं।
महिलाओं की भागीदारी में उत्तराखंड अपने साथ अस्तित्व में आए छत्तीसगढ़ और झारखंड से काफी आगे है। इस सूची में बड़े और मध्यम राज्यों में झारखंड सबसे नीचे है, जहां पर इस मुकाम को हासिल करने में 122 साल से भी ज्यादा का समय लगेगा।
दरअसल, हर क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने पर विशेष जोर दिया जा रहा है। इंडिया जस्टिस रिपोर्ट में भी इस मानदंड को अपने सर्वे में शामिल किया है। पूरे देश की पुलिस फोर्स में यह महिलाओं की भागीदारी महज आठ फीसदी है। थानों में महिला हेल्प डेस्क को भी इस सर्वे में शामिल किया गया है।
महिला अफसर केवल 4.4 फीसदी ही
उत्तराखंड में 98 फीसदी से अधिक थाने ऐसे हैं जहां पर महिला हेल्प डेस्क बनाई गई हैं। हर थाने में महिलाओं की तैनाती यहां पर औसतन 13 कर्मचारी और अधिकारी की है। उत्तराखंड के जेल स्टाफ की बात करें तो यहां पर केवल तीन फीसदी महिलाओं की हिस्सेदारी है। पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश की बात करें तो वहां की स्थिति इस मामले में उत्तराखंड से खराब है। उत्तर प्रदेश में कुल स्टाफ में 10 फीसदी महिलाएं हैं। जबकि, वहां पर महिला अफसर केवल 4.4 फीसदी ही हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश में यह मुकाम हासिल करने में 40 साल से भी ज्यादा का समय लगेगा। जबकि, इस रिपोर्ट में अन्य मानदंड मसल न्याय पालिका, न्यायिक सहायता आदि में महिलाओं की भागीदारी में सुधार हुआ है। उत्तराखंड की ही बात करें तो इस रिपोर्ट में स्थानीय कोर्ट में महिलाओं की हिस्सेदारी 33 फीसदी से ज्यादा है। यहां के स्थानीय कोर्ट में महिला जजों की संख्या 40 फीसदी है। जबकि, पैनल अधिवक्ता 32 फीसदी से ज्यादा हैं। प्राइवेट लीगल वॉलंटियर 53 फीसदी और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिवों में 30.8 फीसदी महिलाएं शामिल हैं।
कुल रैंकिंग दो पायदान खिसकी
इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2025 में उत्तराखंड की कुल रैंकिंग वर्ष 2022 की तुलना में दो पायदान गिरी है। वर्ष 2022 की रिपोर्ट में उत्तराखंड की रैंकिग 14 थी। जबकि, इस वर्ष यह 16 हो गई है। बड़े और मध्यम 18 राज्यों में केवल दो ही प्रदेश उत्तराखंड से नीचे हैं। इस वर्ष पुलिस, जेल, न्याय पालिका, लीगल ऐड, मानव संसाधन, विविधता आदि मानदंडों में उत्तराखंड को 10 में से केवल 4.4 अंक मिले हैं। अन्य रैंकिंग की बात करें तो पुलिस की रैंकिंग 06, जेल की 18, न्याय पालिका की 16, न्यायिक सहायता 04, मानव संसाधन 14, विविधता 07 है
जेल की रैंकिंग में नहीं आया कोई सुधार
उत्तराखंड की जेल देश में सबसे अधिक भीड़ वाली जेल है। यहां पर क्षमता से डेढ़ गुना से भी अधिक कैदियों को रखा गया है। वर्ष 2022 की इंडिया जस्टिस रिपोर्ट में उत्तराखंड को 18वीं रैंक मिली थी। जबकि, जेल के मामले में इस बार भी रैंक में कोई सुधार नहीं आया है।
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