पुलिस के पास होगा अपना डाटा सेंटर, आरएंडडी विंग बनेगा, डार्क वेब के रहस्य भी सुलझा सकेंगे
पुलिस कर्मचारियों को डार्क वेब के रहस्य सुलझाने का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। साथ ही पुलिस का रिसर्च एंड डवलपमेंट (आरएंडडी) विंग भी इस सेंटर में होगा।
पुलिस आने वाले कुछ समय बाद डाटा बेस को सुरक्षित रखने के लिए किसी और एजेंसी पर निर्भर नहीं रहेगी। पुलिस के पास अपना डाटा सेंटर होगा। इसकी सुरक्षा के लिए पुलिस को विश्वस्तरीय प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह सब व्यवस्थाएं पुलिस के साइबर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में की जाएंगी।
30 करोड़ रुपये से अधिक की लागत में बनने वाले इस सेंटर में पुलिस कर्मचारियों को डार्क वेब के रहस्य सुलझाने का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। साथ ही पुलिस का रिसर्च एंड डवलपमेंट (आरएंडडी) विंग भी इस सेंटर में होगा। इसके लिए पुलिस ने प्रस्ताव तैयार कर लिया है, जिसे जल्द ही शासन को भेजा जाएगा। दरअसल, साइबर सुरक्षा इस वक्त बड़ा मुद्दा है। हाल ही में प्रदेश के डाटा सेंटर पर हुए हमले में सबसे अधिक पुलिस का सीसीटीएनएस प्रोजेक्ट प्रभावित हुआ था।
इसमें कुछ डाटा भी चोरी कर लिया गया था।पुलिस अपने महत्वपूर्ण डाटा को लेकर दूसरी एजेंसी पर ही निर्भर है, लेकिन कुछ समय बाद पुलिस अपने डाटा को अपनी ही निगरानी में सुरक्षित कर सकेगी। साथ ही डाटा ट्रांसफर की भी पुख्ता व्यवस्था की जाएगी। गत जनवरी में इसके लिए साइबर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित करने पर विचार हुआ था। शासन ने इसके लिए एक विस्तृत प्रस्ताव मांगा था। जल्द ही इस प्रस्ताव को शासन में भेजा जाएगा। ताकि, जल्द से जल्द इस पर काम किया जा सके।
सात करोड़ रुपये से खरीदे जाएंगे उपकरण
डाटा सेंटर, फोरेंसिक लैब, ट्रेनिंग लैब आदि के लिए महंगे उपकरणों की आवश्यकता होती है। ऐसे में इस बजट में से करीब सात करोड़ रुपये में उपकरणों की खरीद की जाएगी। इसके लिए भी कसरत शुरू कर दी गई है। इन सभी लैब और ट्रेनिंग मॉड्यूल को पुलिस के अधिकारी और साइबर एक्सपर्ट खुद संभालेंगे। ताकि, कोई डाटा सेंटर और डाटा ट्रांसफर व्यवस्था में सेंध न लगा सके। इसके लिए पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।
चार विभाग होंगे सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के
1. स्टेट ऑफ द आर्ट साइबर फोरेंसिक लैब : पुलिस साइबर, कंप्यूटर फोरेंसिक जांच भी अपने स्तर से कर सकेगी।
2. एडवांस साइबर ट्रेनिंग लैब : पुलिसकर्मियों को विश्वस्तरीय साइबर मामलों की विवेचना की ट्रेनिंग दी जाएगी।
3. डाटा सेंटर : पुलिस अपनी वेबसाइटों और एप का डाटा अपने इस डाटा सेंटर में ही स्टोर करेगी।
4. रिसर्च एंड डवलपमेंट विंग : इसके तहत पुलिस नए-नए टूल विकसित कर सकेगी, ताकि भविष्य की चुनौतियों से निपटा जा सके।
ये होंगे प्रमुख काम
– वर्तमान वेबसाइटों का रखरखाव बेहतर ढंग से होगा।
– डार्क वेब की चुनौतियों से निपटने के लिए पुलिसकर्मियों को ट्रेनिंग दी जाएगी।
– साइबर रिसर्च की जाएगी। साइबर क्राइम के नए तरीकों को समझकर उनके खिलाफ काम किया जाएगा।
– डाटा ट्रांसफर किस तरह से बेहतर किया जा सकता है, इसके लिए भी पुलिस को ट्रेनिंग दी जाएगी।
साइबर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के लिए प्रस्ताव लगभग तैयार किया जा चुका है। इसके तहत पुलिसकर्मियों को साइबर क्राइम की चुनौतियों से निपटने की बेहतर ट्रेनिंग दी जाएगी। साथ ही डाटा सेंटर आदि की व्यवस्थाओं को भी बेहतर किया जा सकेगा। – डॉ. नीलेश आनंद भरणे, आईजी कानून व्यवस्था एवं पुलिस प्रवक्ता
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