पौधरोपण के प्रस्ताव में ही आ गई गड़बड़ी की बू, जापान की मियावाकी तकनीक का किया गया था इस्तेमाल
राज्य में कुछ वर्षों से जापान की मियावाकी तकनीक से भी छोटे क्षेत्र में पौधरोपण और हरियाली की योजना पर भी काम शुरू हुआ है। नर्सरी से मिलने वाले पौधे की तुलना में खरीद की लागत 10 गुना अधिक होना सवालों के घेरे में है
वन महकमे ने देहरादून और मसूरी वन प्रभागों में जापान की मियावाकी तकनीक से पौधरोपण की योजना का जो प्रस्ताव तैयार किया था, उसमें गड़बड़ी की बू आ गई है। वन संरक्षक अनुसंधान हल्द्वानी के सीसीएफ कार्ययोजना संजीव चतुर्वेदी ने प्रस्ताव पर सवाल उठाते हुए इसे दुनिया की सबसे महंगी पौधरोपण योजना करार दिया है।
इस संबंध में चतुर्वेदी ने प्रमुख वन संरक्षक को पत्र भेजकर मामले की जांच कराने की आवश्यकता जताई है। प्रमुख वन संरक्षक डॉ.धनंजय मोहन ने जांच शुरू करा दी है। वन विभाग सामान्य तौर पर पौधरोपण का काम दो तरह से करता है। इसमें बीज बुआन के अलावा पौधे लगाएं जाते हैं, लेकिन राज्य में कुछ वर्षों से जापान की मियावाकी तकनीक से भी छोटे क्षेत्र में पौधरोपण और हरियाली की योजना पर भी काम शुरू हुआ है
जांच की आवश्यकता जताई
इसके तहत देहरादून वन प्रभाग में 18333 पौधों को 100 रुपये प्रति पौधे की दर से 18,33,300 रुपये में खरीद का प्रस्ताव बनाया गया। सीसीएफ कार्ययोजना ने इसे लेकर संदेह जताया कि इस योजना में पौधरोपण के लिए वन विभाग की नर्सरी में जब 10 रुपये प्रति पौधे तैयार हो सकते थे तो इन्हें प्रति पौधे 100 रुपये की दर से खरीदने का प्रस्ताव क्यों बनाया गया?
नर्सरी से मिलने वाले पौधे की तुलना में खरीद की लागत 10 गुना अधिक होना सवालों के घेरे में है। पत्र में उन्होंने इसकी जांच की आवश्यकता जताई। कुल मिलाकर इस योजना के तहत होने वाले सभी कार्यों पर 52.40 लाख रुपये खर्च होने का प्रस्ताव है, जिस पर उन्होंने संदेह जताया गया है।
इसी तरह उन्होंने मसूरी वन प्रभाग की छह रेंजों में 4.25 करोड़ रुपये लागत से होने वाले पौधरोपण की योजना के प्रस्ताव पर भी शंका जाहिर की। उन्होंने योजना के तहत सात से आठ फीट ऊंचाई के पौधे रोपे जाने के प्रस्ताव पर एतराज जताया। पत्र में कहा कि जापानी तकनीक में होने वाले पौधरोपण में छोटे पौधे रोपे जाने चाहिए, जिन्हें सात से आठ फीट ऊंचाई लेने में कम से कम दो से तीन वर्ष लगेंगे, लेकिन योजना में इन सभी जरूरी बातों को नजरांदाज कर दिया गया।

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