देहरादून। उत्तराखंड में कार्य कर रहे गेस्ट टीचरों का कहना है कि माध्यमिक अतिथि शिक्षकों के प्रति राज्य सरकार की उदासीनता से अतिथि शिक्षकों में आक्रोश पनपा है। 8 वर्ष से शिक्षण कार्य मे लगे अतिथि शिक्षकों की सुरक्षित भविष्य की मांग शासन में लंबित है और सरकार ने अभीतक लंबित मांगो पर शाश्नादेश जारी नही किया।
वहीं दूसरी ओर एलटी में सीधी भर्ती से नियुक्त होने वाले शिक्षकों को अतिथि शिक्षकों की जगह भेजा जा रहा जिससे न केवल छात्र हित का नुकसान हो रहा बल्कि पद रिक्त होने के बावजूद भी अतिथि शिक्षकों को प्रभावित किया जा रहा है। विभाग और सरकार की ओर से कोई स्थायी व्यवस्था नहीं बनाए जाने से यह स्तिथि पैदा हो रही है। जबकि मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री कई बार अतिथि शिक्षकों को उनके सुरक्षित भविष्य के लिये व्यवस्था बनाने का आश्वासन कई बार दे चुके। कल पिथौरागढ़ के गंगोलीहाट में पद रिक्त होने के बावजूद भी सीधी भर्ती की नियुक्ति से प्रभावित किया गया। जिससे अतिथि शिक्षकों में भारी रोष है।
संघ के अध्यक्ष अभिषेक भट्ट ने कहा पद होने के बावजूद भी अगर अतिथि शिक्षकों को नियमित नियुक्ति से प्रभावित किया जाता है तो इसकी कतई बर्दाश्त नही किया जाएगा। सरकार ने आश्वासन देकर धरना समाप्त करवाया था। अतिथि शिक्षकों को लेकर निदेशालय ने प्रस्ताव शासन में भेजा है किंतु अभी तक सरकार ने उस पर निर्णय नहीं लिया। स्वयं शिक्षा मंत्री भी अतिथि शिक्षकों के साथ अन्याय नहीं करने का दावा कर चुके हैं किंतु इसके बाद भी स्तिथि जस की तस है। सरकार ने अतिथि शिक्षकों के सम्बंध एक बार भी विभागीय बैठक नहीं बुलाई जबकि मंत्री ने हड़ताल के समाप्त करने के अगले दिन बैठक के माध्यम से अतिथि शिक्षकों के लिये समाधान का रास्ता निकालने की बात की थी। सरकार की उदासीनता को देखते हुए सभी अतिथि शिक्षक आंदोलन करने के लिये पुनः बाध्य हो रहे यदि 15 मार्च से पहले अतिथि शिक्षकों के सुरक्षित भविष्य और शासन में लंबित मांगो पर शासनादेश जारी नहीं किया गया तो प्रदेश स्तरीय आंदोलन शुरू किया जाएगा
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