जिस राज्य में कुछ साल पहले तक मेहनती युवाओं के हक पर डाका डालकर सरकारी नौकरियां पैसों के लिए बिकती रही हों, उस राज्य में महज तीन साल की अवधि में 17000 से ज्यादा सरकारी नौकरियां पारदर्शी तरीके से देना बड़ी बात है। शुक्रवार को भी 1100 के करीब कनिष्ठ अभियंताओं को नौकरी के नियुक्ति पत्र देना दर्शाता है कि उत्तराखंड में बेरोजगारी की समस्या के निदान के लिए मौजूदा सरकार पूरी तत्परता से जुटी है।
आज कम से युवा इस बात को लेकर तो पूरी तरह से आश्वस्त है कि वो जिस भी परीक्षा में बैठेगा वहां कम से कम भर्ती में घपला नहीं होगा। राज्य में तमाम ऐसे युवा हैं जो इस बात से लगातार आहत रहे कि तमाम मेहनत के बावजूद उनका नंबर नहीं आया। आता भी कैसे पहले नौकरियों को बेचने का खेल खुलकर हुआ। धामी, जब सीएम बने तो सबसे पहले नकल माफिया को ही निशाने पर लिया। सिस्टम की सफाई हुई तो भर्तियों में पारदर्शिता आई। आज तमाम युवा संतुष्ट हैं कि वो एक पारदर्शी सिस्टम से भर्ती हुए हैं। राज्य में अब सख्त नकल विरोधी कानून भी अस्तित्व में आया है, जिसने नकल माफिया के दिल में खौफ पैदा किया है।
सबसे बड़ी बात ये की अब भर्ती प्रक्रिया की रफ्तार में तेजी आई है। हाल में आये पीसीएस परीक्षा के नतीजे इसके गवाह हैं। खुद, तमाम कोचिंग संस्थानों के संचालक कहते हैं कि राज्य में भर्ती परीक्षाओं में न केवल पारदर्शिता आयी है बल्कि भर्ती प्रक्रिया की रफ्तार में कई गुना तेजी आई है। आज भी विभिन्न विभागों में कनिष्ठ अभियंता के लगभग 1100 पदों पर नियुक्ति पत्र युवाओं को प्रदान किये गए।
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