अब आपदा से क्षतिग्रस्त, स्कूल, सड़क और पुलों के लिए मिलेगा ज्यादा पैसा, दोगुनी हुई राशि
पूर्व में एसडीआरएफ की मदों में रिकवरी एवं पुनर्निर्माण के लिए मानक तय नहीं थे और दरें भी काफी कम थी। इसके चलते आपदा से क्षतिग्रस्त परिसंपत्तियों की मरम्मत में व्यावहारिक परेशानियों का सामना करना पड़ता था।
प्रदेश में प्राकृतिक आपदाओं की वजह से क्षतिग्रस्त होने वाले भवन, सड़क, अस्पताल, स्कूल के पुनर्निर्माण और मरम्मत के लिए राष्ट्रीय एवं राज्य आपदा निधि (एनडीआरएफ और एसडीआरएफ) से अब ज्यादा पैसा मिलेगा। केंद्र सरकार ने वर्तमान मानकों में बदलाव करते हुए राशि को दो से नौ गुना तक बढ़ा दिया है
आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन के मुताबिक, इससे नुकसान की भरपाई आसानी से हो सकेगी। राज्य सरकार पिछले काफी समय से इसकी पैरवी कर रही थी। मंत्रिमंडल की बैठक में इसके लिए प्रधानमंत्री और गृह मंत्री का आभार जताया गया। दरअसल, पूर्व में एसडीआरएफ की मदों में रिकवरी एवं पुनर्निर्माण के लिए मानक तय नहीं थे और दरें भी काफी कम थी।
इसके चलते आपदा से क्षतिग्रस्त परिसंपत्तियों की मरम्मत में व्यावहारिक परेशानियों का सामना करना पड़ता था। इन व्यावहारिक कठिनाइयों को दूर करने के लिए मुख्यमंत्री ने कई बार गृह मंत्रालय से अनुरोध किया गया था। मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड की विषम भौगोलिक परिस्थितियों का हवाला देते हुए धनराशि बढ़ाए जाने के लिए कहा था।
इसके बाद अब केंद्र सरकार की ओर से रिकवरी और पुनर्निर्माण के संबंध में नया निर्देश जारी किया है, जिसमें कई कार्यों के लिए लागू मानकों में वृद्धि कर दी गई है। ऐसा करने से उत्तराखंड जैसे आपदा से प्रभावित राज्य को अत्यधिक लाभ होगा। आपदा से क्षतिग्रस्त परिसंपत्तियों की मरम्मत में सुविधा होगी एवं जन सामान्य की परेशानियों को दूर किया जाना संभव हो सकेगा।
मानकों में ये हुआ बदलाव
– मैदानी इलाकों में पक्के घरों के लिए अब 30 से 70 फीसदी क्षति की दशा में 90 हजार प्रति घर एवं 70 प्रतिशत से अधिक क्षति होने पर 1.80 लाख रुपये कर दिया गया है, जबकि पहाड़ी क्षेत्रों अब 30 से 70 प्रतिशत क्षति होने पर 1.00 लाख रुपये प्रति घर एवं 70 प्रतिशत से अधिक क्षति होने पर 2.00 लाख रुपये प्रति घर दिया जाएगा।
– प्राथमिक स्कूलों के लिए पूर्व में निर्धारित मानक प्रति विद्यालय दो लाख रुपये की सीमा के तहत वास्तविक व्यय के अनुसार परिवर्तित करते हुए प्राथमिक स्कूलों के लिए 30 से 70 प्रतिशत की क्षति होने पर 7.50 लाख एवं 70 प्रतिशत से अधिक की क्षति पर 15.00 लाख रुपये किया गया।
– माध्यमिक व उच्च माध्यमिक विद्यालयों के नाम से पूर्व में मानक तय नहीं थे, लेकिन अब माध्यमिक व उच्च माध्यमिक स्कूलों के 30 से 70 प्रतिशत क्षति होने की स्थिति में 12.50 लाख एवं 70 प्रतिशत से अधिक की क्षति पर 25.00 लाख रुपये किया गया है।
– पीएचसी, सीएचसी के लिए पूर्व में 2.50 लाख रुपये प्रति यूनिट की अधिकतम सीमा के तहत वास्तविक व्यय के अनुसार अनुमन्य था, जिसको अब मैदानी क्षेत्र के लिए 30 से 70 प्रतिशत की क्षति तक 9.20 लाख एवं 70 प्रतिशत से अधिक की क्षति पर 18.40 लाख अनुमन्य किया गया है। पर्वतीय क्षेत्र के लिए 7.91 लाख एवं 15.81 लाख रुपये अनुमन्य किया गया है।
– पीएचसी के लिए मैदानी क्षेत्रों में 70 प्रतिशत की क्षति तक 20.99 लाख रुपये एवं 70 प्रतिशत से अधिक की क्षति पर 41.97 लाख रुपये और पर्वतीय क्षेत्रों के लिए 70 प्रतिशत की क्षति तक 24.72 लाख रुपये एवं 70 प्रतिशत से अधिक 49.45 लाख रुपये अनुमन्य है।
– सीएचसी मैदानी क्षेत्र के लिए 70 प्रतिशत की क्षति तक 79.06 लाख रुपये एवं 70 प्रतिशत से अधिक की क्षति पर 158.12 लाख और पर्वतीय क्षेत्र के लिए 70 प्रतिशत की क्षति तक 92.86 लाख रुपये एवं 70 प्रतिशत से अधिक की क्षति पर 185.72 लाख रुपये अनुमन्य किया गया है।
पुल प्रति संख्या में 70 प्रतिशत की क्षति तक 1750.00 लाख रुपये एवं 70 प्रतिशत से अधिक की क्षति पर 3500.00 लाख रुपये अनुमन्य किया गया है।
– तटबंध प्रति किमी के लिए 70 प्रतिशत की क्षति तक 50.00 लाख रुपये एवं 70 प्रतिशत से अधिक की क्षति पर 100.00 लाख रुपये अनुमन्य किया गया है।
सामुदायिक भवन के लिए तय मानकों में भी वृद्धि की गई है।
सड़क एवं परिवहन खंड में इकाई प्रति किमी के लिए प्रमुख जिला सड़क के लिए मैदानी क्षेत्र में 70 प्रतिशत की सीमा तक 32.00 लाख एवं 70 प्रतिशत से अधिक होने पर 64.00 लाख रुपये और पहाड़ी क्षेत्रों में 70 प्रतिशत की सीमा तक 93.75 लाख एवं 70 प्रतिशत से अधिक होने पर 187.75 लाख रुपये अनुमन्य है।
– अन्य जिला सड़कों के लिए मैदानी क्षेत्रों में 70 प्रतिशत की सीमा तक 26.75 लाख रुपये एवं 70 प्रतिशत से अधिक होने पर 54.50 लाख रुपये अनुमन्य किया गया है। पहाड़ी क्षेत्रों के लिए 70 प्रतिशत की सीमा तक 80 लाख रुपये एवं पहाड़ी सड़कों के लिए 159.88 लाख रुपये अनुमन्य किया गया है।
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