राज्यपाल “भारत का संविधान के अनुच्छेद 309 के परन्तुक द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए उत्तराखण्ड राजकीय प्रारम्भिक शिक्षा (अध्यापक) सेवा नियमावली, 2012 में अग्रत्तर संशोधन करने की दृष्टि से निम्नलिखित नियमावली बनाते हैं।”
उत्तराखण्ड राजकीय प्रारम्भिक शिक्षा (अध्यापक) (संशोधन) सेवा नियमावली, 2024
संक्षिप्त नाम 1. और प्रारम्भ (1) इस नियमावली का संक्षिप्त नाम उत्तराखण्ड राजकीय प्रारम्भिक शिक्षा (अध्यापक) (संशोधन) सेवा नियमावली, 2024 है।
(2) यह तुरन्त प्रवृत्त होगी।
नियम-7 का 2. उत्तराखण्ड राजकीय प्रारम्भिक शिक्षा (अध्यापक) सेवा नियमावली-2012 जिसे यहाँ आगे मूल संशोधन नियमावली कहा गया है में नीचे स्तम्भ-1 में दिए गये विद्यमान नियम-7 के स्थान पर स्तग्म-2 में दिया गया नियम रख दिया जायेगा, अर्थात :-
सीधी भर्ती के लिए अभ्यर्थी की आयु जिस कैलेण्डर वर्ष में पद विज्ञापित किये जाते हैं उस वर्ष की 01 जुलाई को न्यूनतम 21 वर्ष और अधिकतम 42 वर्ष होनी चाहिए:
परन्तु यह कि उत्तराखण्ड राज्य की अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, अन्य पिछड़ा वर्ग तथा अन्य ऐसी श्रेणियों के अभ्यर्थियों के मामले में, जिन्हें सरकार द्वारा समय-समय पर अधिसूचित किया जाय, अधिकतम आयु में उत्तनी छूट प्रदान की जायेगी, जैसा कि राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर उपबन्धित किया जाय :
परन्तु यह और कि राजकीय प्राथमिक विद्यालयों में संविदा पर कार्यरत शिक्षा मित्र जिन्होंने राज्य सरकार द्वारा दो वर्षीय वी०टी०सी० प्रशिक्षण तथा अध्यापक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण की हो अथवा ऐसे शिक्षा मित्र जिन्होंने इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय से दो वर्षीय डी०एल०एड० प्रशिक्षण तथा अध्यापक पात्रता परीक्षा-1 उत्तीर्ण की हों अथवा एन०सी०टी०ई० से मान्यता प्राप्त संस्थान से द्विवर्षीय डी०एल०एड० प्रशिक्षण तथा अध्यापक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण की हों तथा जो संविदा में नियुक्ति के समय तत्समय निर्धारित अधिकतम आयु से अनधिक आयु का हो,
एतदद्वारा (दो) राज्य के किसी भी जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान/जिला संसाधन केन्द्र से प्रारम्भिक शिक्षा शास्त्र में द्विवर्षीय डिप्लोमा डी०एल०एड० (जिसे उत्तराखण्ड राज्य में द्विवर्षीय बी०टी०सी० के नाम से जाना जाता था) अथवा उसके समकक्ष राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद से मान्यता प्राप्त संस्थान से प्रारम्भिक शिक्षा शास्त्र में द्विवर्षीय डिप्लोमा डी०एल०एड० /चार वर्षीय बी०एल० एड० प्रशिक्षण सम्बन्धी अभिलेख अभ्यर्थी को प्राप्त हो चुके हों अथवा शिक्षा शास्त्र (विशेष शिक्षा) में द्विवर्षीय डिप्लोमा (डी०एड०) किन्तु इस प्रकार कक्षा I-V तक पढ़ाने के लिए अध्यापक के रूप में नियुक्त व्यक्ति को प्राथमिक शिक्षक के रूप में नियुक्त होने के दो वर्ष के भीतर एन०सी०टी०ई० द्वारा मान्यता प्राप्त प्राथमिक शिक्षा में 6 महीने का एक सेतु पाठ्यक्रम (ब्रिज कोर्स) आवश्यक रूप से पूरा करना होगाः
परन्तु यह कि शिक्षा शास्त्र (विशेष शिक्षा) में द्विवर्षीय डिप्लोमा भारतीय पुनर्वास परिषद आर०सी० आई०) द्वारा मान्यता प्राप्त हो : (
परन्तु यह और कि राज्य के राजकीय प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत ऐसे शिक्षा मित्र, जिनके द्वारा मानव संसाधन, विकास मंत्रालय भारत सरकार नई दिल्ली की अधिसूचना संख्या-856 दिनांक 17 अक्टूबर, 2017 के क्रम में दिनांक 31-03-2019 तक इस सेवा नियमावली के नियमों के अनुसार सहायक अध्यापक प्राथमिक के पद पर नियुक्ति हेतु दी गयी अर्हताऐं पूर्ण कर ली गई हैं, को सहायक अध्यापक प्राथमिक के पद पर नियमित रूप से नियुक्त किया जायेगा,
परन्तु यह और कि ऐसे शिक्षा मित्र जो दिनांक 31-03-2019 तक सहायक अध्यापक प्राथमिक के पद पर नियुक्ति हेतु अर्हता पूर्ण नहीं करते हैं, को भविष्य में उनके द्वारा शैक्षिक अर्हता पूर्ण करने की स्थिति में सेवा नियमावली के अनुसार सहायक अध्यापक प्राथमिक के पदों पर नियुक्ति के समय शिक्षा मित्र के रूप में उनके द्वारा किये गये शिक्षण अनुभव का लाभ (भारांक) दिया जायेगा। शैक्षणिक अर्हता के सम्बन्ध में एन०सी०टी०ई० एवं मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार के संशोधन यथावत् लागू रहेंगे।
टिप्पणी- खण्ड (ख) में उल्लिखित पदों पर पदोन्नति के लिए विभागीय शैक्षिक, प्रशिक्षण एवं विषय संयोजन अर्हताधारियों के उपलब्ध न होने
निदेशक प्रारम्भिक शिक्षा द्वारा राजकीय प्राथमिक विद्यालय/राजकीय सम्बद्ध प्राथमिक विद्यालय में मौलिक रूप से नियुक्त सहायक अध्यापकों के न्यूनतम 05 वर्ष अध्यापन अनुभव को 03 वर्ष तक शिथिल किया जा सकता है। तदोपरान्त भी पर्याप्त अभ्यर्थी उपलब्ध न होने पर इन पदों पर सीधी भर्ती के माध्यम से भी नियुक्ति की जा सकेगी। सीधी भर्ती पूर्ववत् निर्धारित प्रक्रिया, आयु सीमा 21 वर्ष से 42 वर्ष के अन्तर्गत होगी तथा सीधी भर्ती में निचले प्रक्रम पर कार्यरत शिक्षकों को भी आवेदन का अवसर दिया जायेगा, जिसके लिए खण्ड (ख) में उल्लिखित सम्बन्धित विषय के अध्यापन हेतु स्नातक स्तर पर विषय संयोजन की बाध्यता के अतिरिक्त निम्न शैक्षिक एवं प्रशिक्षण अर्हताधारी होना अनिवार्य होगा :-
भारत में विधि द्वारा स्थापित विश्वविद्यालय से स्नातक (अथवा इसके समकक्ष) और प्रारम्भिक शिक्षा में द्विवर्षीय डिप्लोमा (बी०टी०सी०/ डी० एल०एड०) उत्तीर्ण कर चुका हों तथा तत्सम्बन्धी अभिलेख अभ्यर्थी को प्राप्त हो चुके हों।
अथवा
न्यूनतम 50 प्रतिशत अंकों के साथ स्नातक (अथवा इसके समकक्ष) एवं शिक्षा शास्त्र में एक वर्षीय स्नातक (बी०एड०) / एल०टी० अथवा शिक्षा शास्त्री (केवल संस्थागत उत्तीर्ण हो।
अथवा
न्यूनतम 45 प्रतिशत अंकों के साथ स्नातक (अथवा इसके समकक्ष) एवं शिक्षा शास्त्र में एक वर्षीय स्नातक (बी०एड०) / एल०टी० अथवा शिक्षा शास्त्री (केवल संस्थागत) जो इस सम्बन्ध में समय-समय पर जारी किए गये राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (मान्यता, मानदण्ड तथा क्रियाविधि) विनियमों के अनुसार प्राप्त किया गया हो।
अथवा
न्यूनतम 50 प्रतिशत अंकों के साथ स्नातक (अथवा इसके समकक्ष) तथा एक वर्षीय बी०एड० (विशेष शिक्षा) उत्तीर्ण हो।
एवं राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद द्वारा निरूपित मार्गदर्शी सिद्धान्तों के अधीन राज्य सरकार/केन्द्र सरकार द्वारा कक्षा-VI-VIII के लिए आयोजित अध्यापक पात्रता परीक्षा (टी०ई०टी०-11) उत्तीर्ण होना अनिवार्य होगा
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