नए साल में हाईवे से जुड़े नए नियम, फर्राटा भरने से पहले रखें ध्यान; सरकार क्या-क्या बदलने जा रही?
साल 2025 में सरकार हाईवे से जुड़े कई नियमों में बदलाव करने जा रही है। इसका उद्देश्य दुर्घटनाओं को कम करना है। सरकार की नई गाइडलाइन पर काम 24 जनवरी से शुरू होगा। हाईवे पर अब छोटी-छोटी चीजों की जानकारी साइन बोर्ड पर देनी होगी। साइन बोर्ड में लिखे अक्षरों में भी एकरूपता देखने को मिलेगी। दुनिया के कई देशों में अध्ययन भी कराया गया है।
हाईवे और एक्सप्रेस वे में लोगों की सहूलियत और सड़क सुरक्षा की स्थिति में सुधार के लिए केंद्र सरकार ने मार्ग संकेतकों यानी साइन बोर्डों के लिए नए सिरे से दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इन पर 24 जनवरी से अमल किया जाएगा।
इन दिशा-निर्देशों के अनुसार अधिकतम गति सीमा की जानकारी देने वाला बोर्ड वाहनों के चित्र के साथ हर पांच किलोमीटर में सड़क के किनारे और डिवाइडर के बीच क्रमश: लगाना अनिवार्य है। चूंकि अलग-अलग वाहनों के लिए अलग-अलग स्पीड लिमिट निर्धारित होती है, इसलिए इस बार एक नया बोर्ड भी अमल में लाया जाएगा जो एक पैटर्न पर सभी वाहनों के लिए स्पीड लिमिट एक साथ बताएगा।
नो पार्किंग की सूचना भी देनी होगी
यह डिस्प्ले केवल सड़क के मध्य में स्थापित होगा। इसी तरह हाईवे और एक्सप्रेस वे में नो पार्किंग की सूचना भी हर पांच किलोमीटर में देना अनिवार्य है। तीव्र यातायात वाली इन सड़कों पर अनुचित तरीके से खड़े वाहन दुर्घटना और ट्रैफिक में भीड़भाड़ बढ़ाने का कारण बनते हैं।
क्रासिंग की सूचना भी देनी होगी
पैदल चलने वाले लोगों को सड़क पार करने में जोखिम से बचाने के लिए क्रासिंग की सूचना पहले से देना अनिवार्य किया गया है। इसी तरह एंट्री प्वाइंट यानी उन जगहों पर जहां ट्रैफिक मर्ज हो रहा है, की सूचना भी पहले से देना जरूरी है ताकि लोग अपने वाहनों की रफ्तार कम कर सकें। रंबल स्ट्रिप के लिए कम से कम 250 मीटर पहले बोर्ड होगा फिर इसे सौ और पचास मीटर की दूरी पर दोहराया जाएगा।
अक्षर मानक आकार के होंगे
दिशा-निर्देशों में संकेतकों में प्रयोग किए जाने वाले अक्षर और संख्या का मानक आकार भी बताया गया है। इससे एकरूपता लाने में मदद मिलेगी और लोग साइनेज प्रणाली के अभ्यस्त होंगे। सड़क परिवहन मंत्रालय ने एक्सप्रेस वे और हाईवे पर मार्ग संकेतकों को लेकर पिछले साल जुलाई में अपनी एजेंसियों के लिए दिशा-निर्देश जारी किए थे, जिन पर प्राथमिकता के आधार पर अमल किया जाना था, लेकिन इसमें कई विसंगतियां सामने आईं।
अन्य देशों का किया गया अध्ययन
इसके बाद केंद्र सरकार ने इनके अध्ययन और विश्व के अन्य देशों में प्रचलित प्रणाली के आधार पर संकेतों को नए सिरे से तय करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया। मकसद सड़क सुरक्षा, सूचना और ट्रैफिक के प्रवाह को सहज बनाना था। समिति की सिफारिशों के आधार पर सड़क परिवहन मंत्रालय ने नए सिरे से दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
संकेतकों में इन चीजों की मिलेगी जानकारी
संकेतकों को तीन श्रेणी में विभाजित किया गया है। अनिवार्य यानी नियमन के लिए आवश्यक, सचेत करने वाले संकेतक और तीसरी श्रेणी सूचना यानी रास्ता दिखाने के लिए। स्पीड लिमिट यानी गति सीमा, नो एंट्री, नो पार्किंग, हाईट लिमिट आदि अनिवार्य संकेतकों की श्रेणी में हैं। पैदल यात्रियों के लिए क्रासिंग, ट्रैफिक मर्जिंग, ओवरहेड केबल, रंबल स्ट्रिप, रोड की चौड़ाई आगे घटने जैसी जानकारी सचेत करने वाली हैं और पेट्रोल पंप, रेस्ट एरिया, रेस्त्रां, वे साइड एमेनिटिज, दिशा संबंधी जानकारियां आदि लोगों को सूचित करने के लिए हैं।
किसकी होगी जिम्मेदारी?
सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ रोहित बलूजा ने कहा कि गाइडलाइन में या गाइडलाइन की कोई कमी नहीं है। सवाल जिम्मेदारी का है। एक हाईवे और एक्सप्रेस वे में यह किसकी जिम्मेदारी होगी-हाईवे पुलिस की या टोल वसूलने वाले सड़क निर्माता की या एनएचएआइ की अथवा डीएम-डीसी की। ट्रैफिक और रोड इंजीनियरिंग 30 प्रतिशत मौतों के लिए जिम्मेदार है। इसे ईमानदारी से हल करना होगा, तभी कुछ सुधार हो सकता है।
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