नए जेल एक्ट को दी मंजूरी, रद्द होंगे तीन पुराने कानून
केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों से अपेक्षा की थी कि वे सब इस ड्राफ्ट को अपनाएं। इसके साथ ही मौजूदा कारागार अधिनियम 1894, बंदी अधिनियम 1900 और बंदी अंतरण अधिनियम 1950 को रद्द करें।
उत्तराखंड में नया जेल एक्ट लागू किया जाएगा। कैबिनेट में मंगलवार को उत्तराखंड कारागार एवं सुधारात्मक सेवाएं अधिनियम 2024 को मंजूरी मिल गई है।
इसके साथ ही अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे दो और आजादी के बाद बना एक कुल तीन कानून रद्द कर दिए जाएंगे। उत्तराखंड में इस नए कानून में जेल सेवाओं और कैदियों के कल्याण संबंधी 16 बिंदुओं को शामिल किया है। केंद्र सरकार ने ब्रिटिश शासनकाल से चले आ रहे कारागार अधिनियम 194 की समीक्षा की थी
इसके बाद इसमें संशोधन का निर्णय लिया था। संशोधन की जिम्मेदारी ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट (बीपीआरएंडडी) को सौंपी गई थी। इसके बाद बीपीआरएंडडी ने जेल प्राधिकरणों और सुधार विशेषज्ञों से विचार विमर्श करते हुए मॉडल कारागार एवं सुधारात्मक सेवाएं अधिनियम 2023 का ड्राफ्ट तैयार किया।
केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों से अपेक्षा की थी कि वे सब इस ड्राफ्ट को अपनाएं। इसके साथ ही मौजूदा कारागार अधिनियम 1894, बंदी अधिनियम 1900 और बंदी अंतरण अधिनियम 1950 को रद्द करें। इसी के क्रम में उत्तराखंड गृह विभाग ने भी इस ड्राफ्ट में अपने सुझावों को शामिल करते हुए एक्ट तैयार किया।
इसके प्रस्ताव को मंगलवार को हुई कैबिनेट में रखा गया। इसके बाद उत्तराखंड कारागार एवं सुधारात्मक सेवाएं अधिनियम 2024 को कैबिनेट की मंजूरी दे दी गई। इस एक्ट का उद्देश्य कैदियों को सजा नहीं, बल्कि उनके सुधार का है। उन्हें अलग-अलग तरह का प्रशिक्षण दिया जाएगा, ताकि वे जेल से बाहर आकर भी अपनी आजीविका चला सकें।
इसके साथ ही उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं, पुनर्वास कार्यक्रम, मानवीय उपचार, मनोरंजन सुविधाएं, पैरोल और फरलो को सरल बनाना, कैदी सुरक्षा, रिहाई के बाद सहायता आदि व्यवस्थाएं इस एक्ट में की गई हैं।
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