नई आबकारी नीति मंजूर, एक अप्रैल से शराब महंगी, ओवर रेटिंग पर लाइसेंस होगा निरस्त
नई आबकारी नीति में धार्मिक क्षेत्रों की महत्ता को ध्यान में रखते हुए उनके निकटवर्ती शराब की दुकानों को बंद किया जाएगा।
उत्तराखंड में एक अप्रैल से नई शराब नीति-2025 लागू होते ही शराब की कीमतें बढ़ना तय है। हालांकि आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि शराब कंपनियां अन्य राज्यों के मुकाबले बहुत अधिक कीमत नहीं बढ़ा सकती, लेकिन राजस्व लक्ष्य हासिल करने के लिए कुछ बढ़ोतरी जरूर होगी
दरअसल, उत्तराखंड की नई आबकारी नीति 2025 को आज धामी कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। नीति के तहत सरकार ने कई प्रावधान किए हैं। नई आबकारी नीति में किसी दुकान पर एमआरपी से अधिक कीमत ली जाती है, तो लाइसेंस निरस्त करने का प्रावधान किया गया है। डिपार्टमेंटल स्टोर्स पर भी एमआरपी लागू की गई है।
स्कूल-मंदिरों के पास बंद होंगे ठेके
धार्मिक क्षेत्रों की महत्ता को ध्यान में रखते हुए उनके निकटवर्ती शराब की दुकानों को बंद किया जाएगा। शराब की उप-दुकानों और मैट्रो मदिरा बिक्री व्यवस्था को समाप्त किया गया है।
2025-26 के लिए 5060 करोड़ रुपये के राजस्व का लक्ष्य
बता दें कि पिछले दो वर्षों में आबकारी राजस्व में राज्य में काफी वृद्धि हुई है। वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 5060 करोड़ रुपये के राजस्व लक्ष्य को निर्धारित किया गया है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में 4000 करोड़ रुपये के लक्ष्य के मुकाबले 4038.69 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया गया। वित्तीय वर्ष 2024-25 में 4439 करोड़ रुपये का लक्ष्य के सापेक्ष अब तक लगभग 4000 करोड़ रुपये की प्राप्ति हो चुकी है।
पर्वतीय क्षेत्रों में से वाइनरी इकाइयों को अगले 15 वर्षों तक आबकारी शुल्क में छूट
नई आबकारी नीति के तहत स्थानीय निवासियों को प्राथमिकता और रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। थोक मदिरा की दुकान केवल उत्तराखंड निवासियों को जारी की जाएंगी। पर्वतीय क्षेत्रों में वाइनरी को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य में उत्पादित फलों से वाइनरी इकाइयों को अगले 15 वर्षों तक आबकारी शुल्क में छूट दी जाएगी। इससे कृषकों और बागवानी क्षेत्र में कार्य करने वालों को आर्थिक लाभ मिलेगा। मदिरा उद्योग में निवेश को प्रोत्साहित करने के निर्यात शुल्क में कटौती की गई है। माल्ट एवं स्प्रिट उद्योगों को पर्वतीय क्षेत्रों में विशेष सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।
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