Big breaking :-नैनीताल हाई कोर्ट ने 18 साल बाद दहेज उत्पीड़न मामले में पति को दिया इंसाफ, आरोपों से किया बरी - News Height
UTTARAKHAND NEWS

Big breaking :-नैनीताल हाई कोर्ट ने 18 साल बाद दहेज उत्पीड़न मामले में पति को दिया इंसाफ, आरोपों से किया बरी

नैनीताल हाई कोर्ट ने 18 साल बाद दहेज उत्पीड़न मामले में पति को दिया इंसाफ, आरोपों से किया बरी
नैनीताल हाई कोर्ट ने 1993 के एक दहेज उत्पीड़न मामले में पति को दोषमुक्त करार दिया। चमोली जिले की ट्रायल कोर्ट ने 2007 में पति को दहेज निषेध अधिनियम के तहत सजा सुनाई थी। हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले में अनियमितता पाई क्योंकि वह मुखबिर के साक्ष्य और फोटोस्टेट प्रतियों पर आधारित था। कोर्ट ने आरोपों से बरी कर दिया।

नैनीताल। हाई कोर्ट ने 1993 में पत्नी की दहेज उत्पीड़न मामले में सजायाफ्ता पति को दोषमुक्त कर दिया है। चमोली जिले की ट्रायल कोर्ट ने अभियुक्त डा. राम कुमार गुप्ता को 2007 में दहेज निषेध अधिनियम में सजा सुनाई थी। जिसे गुप्ता ने याचिका दायर कर हाई कोर्ट में चुनौती दी। 18 साल तक चले उनके कानूनी संघर्ष का अंत उनकी बेगुनाही साबित होने में हुआ।
न्यायाधीश न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की एकलपीठ ने मामले में निष्कर्ष निकालते हुए कहा कि ट्रायल कोर्ट ने दहेज निषेध अधिनियम के तहत अभियुक्तों को दोषी ठहराने में गंभीर अवैधता और अनियमितता की है, क्योंकि मुखबिर के सुने हुए साक्ष्य और कथित पत्रों की फोटोस्टेट प्रतियों के आधार पर आरोपितों को दोषी ठहराया गया, जो इस स्थापित कानून की पूरी तरह से अनदेखी करती है कि मूल प्रति के अभाव में फोटोकॉपी स्वीकार्य नहीं है।
इस मामले में अभियुक्त डा. गुप्ता ने खुद को निर्दोष बताते हुए कहा कि उसके अपनी पत्नी के साथ अच्छे संबंध थे। दहेज की किसी भी मांग से भी इन्कार किया। उनके भाई राम देव गुप्ता ने गवाही दी कि मृतका कंचन अपनी शादी से संतुष्ट थी, वह अपने पति के साथ हनीमून के लिए कई जगहों पर छुट्टियां मनाने गई थी।उन्होंने उसके परिवार को दुर्घटना के बारे में सूचित किया और उनकी सहमति से अंतिम संस्कार किया। कंचन के चचेरे भाई अशोक गुप्ता ने जांच अधिकारी को दहेज की मांग के बारे में मूल पत्र प्रस्तुत करने की गवाही दी। जांच अधिकारी ने डेढ़ साल की देरी के बाद मामला प्राप्त करने और गवाहों के बयान एकत्र करने की पुष्टि की।
बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि प्राथमिकी दर्ज करने में देरी हुई है, जिससे अभियोजन पक्ष की पूरी कहानी पर गंभीर संदेह पैदा होता है। उन्होंने एसडीएम द्वारा दर्ज किए गए मृत्यु पूर्व बयान का हवाला दिया। जिसमें कंचन ने कहा था कि खाना बनाते समय वह दुर्घटनावश आग की चपेट में आ गई।

 

बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने अपीलकर्ताओं को आईपीसी की धारा 498-ए और 304-बी के तहत बरी कर दिया, लेकिन उन्हें दहेज निषेध अधिनियम की धारा 3/4 के तहत दोषी ठहराते हुए ढाई साल की सजा सुनाई थी। जिसमें आरोपित को जमानत मिल गई थी। तथ्यों की समीक्षा और दलीलों के बाद, हाई कोर्ट ने चमोली सत्र न्यायाधीश के फैसले को पलट दिया और डा. गुप्ता को दहेज के आरोपों से बरी कर दिया।

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

न्यूज़ हाइट (News Height) उत्तराखण्ड का तेज़ी से उभरता न्यूज़ पोर्टल है। यदि आप अपना कोई लेख या कविता हमरे साथ साझा करना चाहते हैं तो आप हमें हमारे WhatsApp ग्रुप पर या Email के माध्यम से भेजकर साझा कर सकते हैं!

Click to join our WhatsApp Group

Email: [email protected]

Author

Author: Swati Panwar
Website: newsheight.com
Email: [email protected]
Call: +91 9837825765

To Top