पिछले कुछ दिनों से उत्तराखंड, विशेषकर गढ़वाल क्षेत्र में मानव–वन्य जीव संघर्ष के मामलों में चिंताजनक वृद्धि देखने को मिल रही है। बीते कुछ दिनों में वन्य जीवों के हमलों में कई लोग घायल हुए हैं, वहीं कुछ लोगों को अपनी जान तक गंवानी पड़ी है। इतना ही नहीं, पहली बार गढ़वाल और राज्य के अन्य पर्वतीय क्षेत्रों में भालुओं के हमलों की घटनाओं में भी अप्रत्याशित वृद्धि हुई है जो अत्यंत गंभीर विषय है।

इन्हीं विषयों को लेकर आज केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री माननीय श्री भूपेंद्र यादव जी से भेंट कर उन्हें इन समस्याओं से अवगत कराया। मैंने उनसे आग्रह किया कि भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून सहित अन्य विशेषज्ञ संस्थानों के माध्यम से मानव–वन्य जीव संघर्ष पर एक विस्तृत अध्ययन कराया जाए, ताकि इसके वास्तविक कारणों की पहचान कर प्रभावी समाधान निकाला जा सके।
मानव–वन्य जीव संघर्ष के कारण मृतक एवं घायल नागरिकों की सहायता के लिए उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्यों को और भी अधिक आर्थिक मदद एवं संसाधनों की जरूरत होती है। अतः मैंने माननीय मंत्री जी से यह भी आग्रह किया कि इस संबंध में राज्य को केंद्र सरकार द्वारा और अधिक आर्थिक मदद एवं संसाधन उपलब्ध कराया जाना चाहिए।
वन्य जीवों के खेतों में घुस आने के कारण गढ़वाल क्षेत्र में फसलों को भी भारी नुकसान हो रहा है। पर्वतीय क्षेत्रों में कृषि पहले से ही सीमित होती है। उस पर जब विषम परिस्थितियों में कठिन परिश्रम करके खेती करने वाले किसानों की फसलें वन्य जीवों द्वारा नष्ट कर दी जाती हैं, तो गरीब किसान गहरे संकट में आ जाते हैं। इस विषय की ओर भी मैंने माननीय मंत्री जी का ध्यान आकर्षित किया।

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