उत्तराखण्ड विधान सभा के गैरसैंण सत्र मे विधेयक पर चर्चा के दौरान मेरे द्वारा अलग-अलग प्रदेशो के आरक्षित वर्गों का संदर्भ दिया गया और दृढता के साथ यह तर्क सदन में दिया गया कि कानूनी तौर पर एक राज्य की आरक्षित वर्गों की सूची दूसरे राज्यो पर लागू नही होती क्योंकि आरक्षित वर्गों का निर्धारण राज्यो के अनुसार होता है। आर्थात State’s Specific है। मेरा यह वक्तव्य वैधानिक रुप से पूर्णतयः ठीक है।
उपरोक्त के कम मे ही मेरे द्वारा मुख्यतः उघमसिंह नगर मे रहने वाले नमोशुद्र (बंगाली) समुदाय का संदर्भ देते हुए कहा गया कि उधमसिंह नगर मे विस्थापित नमोशुद्र (बंगाली) समुदाय रह रहा है, उस पर किसी को कोई आपत्ति नहीं है।”
मेरे इस कथन का गलत नेरेटिव सैट करके पेश किया गया जिससे बंगाली समुदाय की भावना आहत हुई है जिसके लिए मुझे खेद है। मेरे कहने का आशय यही था कि विस्थापित होकर आये इस हिन्दू बंगाली समुदाय को सरकार ने यहां बसाया है और ये सभी शांतिप्रिय एवं मेहनती समाज
उत्तराखण्ड का अभिन्न अंग है।
मै यह तथ्य भी पुनः स्पष्ट कर रहा हूँ कि उत्तर प्रदेश के समय 27-28 वर्ष पूर्व जब नमोशुद्र का प्रकरण Registrar General and Census Commission of India (RGI) भारत सरकार को भेजा गया था तब यह कहा गया कि Constitution (Scheduled Castes) order 1950 के Chapter XIX मे वर्णित सूची के क्रमांक 46 पर अकिंत नमोशुद्र की व्यवस्था पश्चिम बंगाल के वारे मे है उत्तर प्रदेश के वारे में नहीं है इसलिए मैने यह भी नही कहा कि कौन SC हो सकता है कौन नही क्योंकि इसका निर्धारण राज्य की परिस्थितियो के अनुसार होता है।
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