*रजत जयंती वर्ष-विशेष सत्र पर*
*महाराज ने रखा सरकार की उपलब्धियां का दस्तावेज*
देहरादून। प्रदेश के लोक निर्माण, पर्यटन, सिंचाई, पंचायतीराज, ग्रामीण निर्माण, जलागम, धर्मस्व एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने आज उत्तराखंड राज्य निर्माण में शहीद हुए आंदोलनकारी को नमन करते हुए उत्तराखंड की रजत जयंती पर विधानसभा के विशेष सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि उत्तराखण्ड राज्य वर्ष 2000 से पूर्व उत्तर प्रदेश का हिस्सा था। विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते उत्तराखण्ड का उसकी क्षमता के अनुरूप विकास नहीं हो पा रहा था। प्रदेश की जनता ने अपने अधिकारों की लम्बी लड़ाई लड़ी और पृथक राज्य उत्तराखण्ड का निर्माण किया गया। 15 अगस्त 1996 को तत्कालीन प्रधानमंत्री एच०डी० देवगौड़ा ने लालकिले की प्राचीर से उत्तराखंड राज्य बनाने की ऐतिहासिक घोषणा की। उसके पश्चात 1997 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल ने भी लाल किले से इस संकल्प को दोहराया और इसके बाद प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के नेतृत्व में सत्ताइसवें राज्य के रूप में 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड का गठन किया गया। जिसे आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार संवारने का काम कर रहे हैं।
प्रदेश के लोक निर्माण, पर्यटन, सिंचाई, पंचायतीराज, ग्रामीण निर्माण, जलागम, धर्मस्व एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने सोमवार को उत्तराखंड की रजत जयंती के मौके पर विधानसभा के विशेष सत्र को संबोधित करते हुए राज्य के 25 वर्षों की विकास यात्रा को विस्तार से रखने के साथ-साथ प्रदेश सरकार के आगामी वर्षों के विजन और योजनाओं की जानकारी भी सदन को दी। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में उत्तराखंड सरकार प्रदेश के चौमुखी विकास के साथ लगातार आगे बढ़ रही है। उन्होंने प्रदेश में लोक निर्माण विभाग, प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना, ग्रामीण निर्माण विभाग, पर्यटन, संस्कृति, पंचायती राज विभाग, सिंचाई, लघु सिंचाई, जलागम, नागरिक उड्डयन, सूचना प्रौद्योगिकी, पेयजल और ऊर्जा विभाग की 25 वर्षों की उपलब्धियों का दस्तावेज सदन में प्रस्तुत करते हुए कहा कि पिछले 25 वर्षों में राज्य में सड़कों का विस्तार होने के साथ-साथ बड़ी संख्या में मोटर मार्गो का निर्माण हुआ है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2000 में राज्य गठन के समय प्रदेश में कल 15470 किलोमीटर सड़के थी जिनकी संख्या आज बढ़कर 43765 किलोमीटर हो चुकी है। लोक निर्माण विभाग के विजन 2050 की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि मानसखंड मंदिर माला परियोजना के तहत चार धाम की तर्ज पर कुमाऊं के 16 प्राचीन मंदिरों को जोड़ने वाली सड़कों का चौड़ीकरण और सुदृढ़ीकरण किया जाएगा।
कैबिनेट मंत्री श्री महाराज ने प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) द्वारा किए गए कार्यों के बारे में बताते हुए कहा कि विभाग द्वारा राज्य गठन के पश्चात 1113 करोड़ की धनराशि से 21296 किलोमीटर सड़कों का निर्माण कर 1860 बसावटों को सड़क संपर्क से संयोजित किया गया। ग्रामीण निर्माण विभाग द्वारा किए गए कार्यों के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि वर्तमान तक 282 ग्रामीण मोटर मार्ग जिनकी लागत 377 करोड़ 34 लाख है का निर्माण किया गया। राज्य के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली आबादी जो मोटर मार्ग से वंचित रह गई है उसे मुख्य मोटर मार्ग से जोड़ने के लिए मुख्यमंत्री ग्राम संपर्क योजना प्रारंभ की गई है।
पर्यटन मंत्री श्री महाराज ने सदन को बताया कि 2000 से लेकर अब तक पर्यटन क्षेत्र में बड़ा कार्य हुआ है। उन्होंने बताया कि पिछले तीन वर्षों में 23 करोड़ से अधिक पर्यटक राज्य में आ चुके हैं जबकि चार धाम यात्रा में इस वर्ष तीर्थ यात्रियों का आंकड़ा 50 लाख के पार पहुंच चुका है। राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना होम स्टेट की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि इस योजना से अब तक 118 लोग लाभान्वित हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने कई धार्मिक सर्किटो का भी निर्माण करने के साथ-साथ मानस खंड मंदिर माला मिशन के तहत प्राचीन मंदिरों वे अवस्थाना सुविधा विकसित की जा रही है। भविष्य की योजना की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि सरकार मानसखंड मंदिर माला मिशन की तरह ही केदार खंड मंदिर वाला मिशन योजना को भी धरातल पर उतरने का प्रयास कर रही है। संस्कृति विभाग क्यों उपलब्धियां की जानकारी देते हुए संस्कृति मंत्री ने बताया कि राज्य गठन के पश्चात प्रदेश के लगभग 100 पुराने देवालयों, मंदिरों और स्मारकों का सर्वेक्षण कराकर उनके विकास हेतु विरासत का अंगीकार योजना को मंजूरी दी गई है। संस्कृति विभाग का आगामी लक्ष्य प्रदेश के विभिन्न जनपदों में प्रेक्षागृह, सनातन पुस्तकालय, थीम पार्क और संस्कृत ग्राम की स्थापना करने का है।
प्रदेश में पंचायती राज विभाग की 25 वर्षों की विकास यात्रा की जानकारी देते हुए पंचायती राज मंत्री श्री महाराज ने कहा कि राज्य में पंचायत को सशक्त करने के लिए 73वें संविधान संशोधन के तहत 11वीं अनुसूची में वर्णित 29 विषयों के हस्तांतरण हेतु कार्यवाही गतिमानहै। सिंचाई विभाग के अब तक की उपलब्धियां के विषय में उन्होंने बताया कि जनपद नैनीताल के हल्द्वानी में 3808 करोड़ की बहुउद्देशीय जमरानी बांध परियोजना पर काम चल रहा है जबकि देहरादून में 2491 करोड़ 96 लाख की लागत की सौग बांध परियोजना की प्रक्रिया गतिमान है। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि जनपद हरिद्वार के 74 गांव को सिंचाई सुविधा प्रदान करने के लिए 35 किलोमीटर लंबी इकबालपुर नहर प्रणाली तथा कनखल एवं जगजीतपुर नहर की क्षमता विस्तार किया जाना प्रस्तावित है। लघु सिंचाई विभाग द्वारा पिछले 25 वर्षों में 520 सोलर पंप सेट 1595 डीजल 40 पंप सेट को सोलर में परिवर्तित किया गया है।
प्रदेश के जलागम मंत्री जलागम विभाग द्वारा राज्य गठन के बाद किए गए कार्यों की जानकारी देते हुए सदन को अवगत कराया की जलागम विभाग द्वारा विश्व बैंक पोषित उत्तराखंड जलवायु अनुकूल बारानी कृषि परियोजना के अंतर्गत 1148 करोड़ की लागत से प्रदेश के आठ जनपदों में धान की खेती से ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में कमी लाने 3100 हेक्टेयर बंजर भूमि का पुनरुद्धार और 2000 जल स्रोतों का उपचार किए जाने का लक्ष्य है। उन्होंने बताया कि भागीरथ मोबाइल ऐप के माध्यम से आम जन को जल स्रोतों के चिन्हीकरण और उपचार में भागीदार बनाया गया है धारा मेरा, नौला मेरा, गांव मेरा, प्रयास मेरा के तहत अभी तक 6000 जल स्रोतों का चिन्नीकरण किया जा चुका है।
नागरिक उद्यान विभाग की जानकारी देते हुए कैबिनेट मंत्री श्री महाराज ने बताया कि राज्य में अनेक स्थानों पर हेलीपोर्ट का निर्माण किया गया है। उत्तराखंड में अंतरराष्ट्रीय हवाई कनेक्टिविटी के लिए इंटरनेशनल एयरपोर्ट की स्थापना किए जाने का भी प्रयास किया जा रहा है जिससे विश्व के देशों से लोग यहां आकर योग-ध्यान के साथ-साथ चारधाम यात्रा का लाभ उठा सकें। उन्होंने राज्य में सूचना प्रौद्योगिकी,ऊर्जा एवं पेयजल विभाग द्वारा किए जा रहे कार्यों का ब्यावर प्रस्तुत प्रस्तुत करने के साथ-साथ राज्य को 2047 तक पूर्ण रूप से विकसित करने का विजन भी प्रस्तुत किया।
कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि उत्तराखण्ड की रजत जयंती वर्ष की हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि राज्य के विकास के लिए धामी सरकार द्वारा 101175.33 रूपए का बजट प्रस्तुत करना है। जिसका उद्देश्य आर्थिक स्थिरता को सुनिश्चित कर बुनियादी ढांचे को मजबूत करना है। उन्होंने कहा कि राज्य निर्माण के बाद 24659 करोड़ की धनराशि की ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाईन परियोजना भी उत्तराखण्ड की सबसे बड़ी ऐतिहासिक उपलब्धि रही है। इस परियोजना के पूर्ण होने पर निश्चित रूप से प्रदेश में पर्यटन व्यवसाय को मजबूती मिलने के साथ-साथ स्थानीय लोगों को आर्थिक लाभ भी होगा।

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