UTTRAKHAND NEWS

Big breaking :-” सुन रहें हो ना विनोद” विधानसभा भर्ती पर अब गोविन्द कुंजवाल भी करने लगे कार्यवाई की मांग

NewsHeight-App

 

उत्तराखंड विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने विधानसभा से कर्मचारियों की बर्खास्तगी प्रकरण पर खुलकर बोलते हुए आरोप छोड़ा कि इसमें दोहरा चरित्र उजागर हुआ है और समानता के अधिकार की धज्जियां उड़ी हैं। उन्होंने मांग उठा दी है कि अगर नियुक्तियां अवैध थीं, तो नियुक्ति कर्ताओं के खिलाफ भी कठोर कार्यवाही हो यह मांग भी उठाई है कि समान प्रक्रिया के तहत वर्ष 2001 से 2016 तक की नियुक्तियों को भी निरस्त किया जाए या निकाले गए कर्मचारियों की बहाली की जाए।

 

 

यहां जारी एक बयान में उत्तराखंड विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष गोविन्द सिंह कुंजवाल ने कहा कि

विधानसभा में कार्यरत वर्ष 2016 के बाद नियुक्त चुनिंदा कर्मचारियों को निकाला जाना एक साजिश है, ने इस साजिश से सरकार ने एक ओर अपने चहेतों को बचाने का प्रयास किया है,यहां जारी एक बयान में उत्तराखंड विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष गोविन्द सिंह कुंजवाल ने कहा कि विधानसभा में कार्यरत वर्ष 2016 के बाद नियुक्त चुनिंदा कर्मचारियों को निकाला जाना एक साजिश है, इस साजिश से सरकार ने एक ओर अपने चहेतों को बचाने का प्रयास किया है, वहीं दूसरी ओर भारतीय संविधान में निहित समानता के अधिकार अनुच्छेद- 16 का स्पष्ट उल्लंघन किया है।

 

 

उन्होंने कहा कि समानता का अधिकार अनुच्छेद-16 स्पष्ट करता है कि राज्य के अधीन किसी कार्यालय में रोजगार या नियुक्ति से सम्बन्धित मामलों में सभी नागरिकों के लिए अवसर की समानता होगी। ऐसे में वर्ष 2001 से 2016 तक की नियुक्तियों को वैध और वर्ष 2016 के बाद की नियुक्तियों को अवैध ठहराकर सरकार ने समानता के अधिकार अधिनियम की धज्जियां उड़ा दी हैं।उन्होंने कहा कि यदि विधानसभा में गलत तरीके से नियुक्तियां हुई, तो वर्ष 2001 से से हुई सभी नियुक्तियों को तत्काल निरस्त किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ऐसा नहीं करेगी, क्योंकि वर्ष 2016 से पहले विधानसभा में नियुक्तियों में भाजपा सरकार के मंत्रियों के नजदीकियों को बंदरबांट की गयी हैं।

 

 

कुंजवाल ने कहा है कि विधानसभा में वर्ष 2016 के पश्चात नियुक्त कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त करके वाहवाही लूटने वाली स्पीकर ऋतु खंडूड़ी स्वयं सवालों के घेरे में हैं। उन्होंने कहा कि निजी कारणों से विधानसभा में वर्ष 2016 से पूर्व बैकडोर से भर्ती हुए लोगों को बचाने का कार्य किया है। वर्ष 2016 से पहले की नियुक्तियों में कार्यवाही नहीं होना सीधे तौर पर विधानसभा अध्यक्ष की भाई- भतीजावाद की राजनीति कोसिद्ध करता है, क्योंकि एक ओर वह हाईकोर्ट में खुद मान चुकी हैं कि वर्ष 2001 से लेकर 2022 तक की सभी भर्ती अवैध हैं। उनके द्वारा हाईकोर्ट में काउंटर फाइल कर खुद कबूलनामा किया है। इसके बाद भी 2016 से पहले वालों को बचाने के लिए उन्होंने अब अपनी साख तक दांव पर लगा दी है।

 

 

विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि वर्ष 2016 से पहले विधानसभा में भर्ती कई कर्मचारी ऐसे हैं, जिनकी विधानसभा में नियुक्ति बीसी खंडूड़ी के मुख्यमंत्री रहते हुए हुईं। इनमें तत्कालीन सीएम बीसी खंडूड़ी के पर्यटन सलाहकार की बेटी सहित कई हाई प्रोफाइल लोगों के परिजन शामिल हैं। श्री कुंजवाल ने कहा कि इन्हीं लोगों को बचाने के लिए स्पीकर ने भेदभाव भरी कार्यवाही करने से परहेज नहीं किया।उन्होंने आरोप लगाया कि जिस कार्यवाही को स्पीकर सत्य की जीत करार दे रहीं हैं, दरअसल वह अधूरा व झूठा सत्य है। खुद स्पीकर की बनाई डीके कोटिया समिति ने भी अपनी रिपोर्ट के प्वाइंट नंबर 12 में साफ किया है कि राज्य गठन के बाद से लेकर अभी तक की सभी भर्तियां अवैध हैं। इसी के साथ विधानसभा के हाईकोर्ट में दाखिल काउंटर के प्वाइंट नंबर 14 में भी विधानसभा ने सभी भर्तियों को अवैध करार दिया है।

 

 

इसके बाद भी स्पीकर का विधिक राय के नाम पर वर्ष 2016 से पूर्व की नियुक्ति वालों को बचाना असंवैधानिक है। उन्होंने कहा कि कार्यवाही सभी के खिलाफ एक समान रूप से होनी चाहिए । श्री कुंजवाल ने कहा कि सत्ता पक्ष के लोगों को बचाने के लिए दोहरे नियम लागू हो रहे हैं। एक ही प्रक्रिया से भर्ती हुए सभी अवैध भर्ती वालों पर एक्शन होना चाहिए।उन्होंने कहा कि जीरो टालरेंस का दावा करने वाली भाजपा सरकार की पोल जनता के समक्ष खुल चुकी है। उन्होंने मांग की है कि यदि कार्यवाही की जानी है, तो 2001 से 2022 तक की सभी अवैध नियुक्तियों को निरस्त किया जाए अन्यथा द्वेषपूर्ण राजनीति के तहत निकाले गए वर्ष 2016 के बाद के कार्मिकों की भी नियुक्ति बहाल की जाए।

 

 

पूर्व स्पीकर कुंजवाल ने कर्मचारियों की बर्खास्तगी को एक तरफा बताते हुए मांग की है कि नियुक्तिकर्ता पर भी कार्यवाही की जाए। कुंजवाल ने कहा कि कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया है, तो उनको नियुक्ति देने वाले पर अब तक कार्यवाही क्यों नहीं हुई? कुंजवाल ने कहा कि कर्मचारियों को नियुक्ति देने वाले स्पीकरों पर कार्यवाही होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मेरे और अन्य स्पीकर के खिलाफ जांच होनी चाहिए। यदि वे भी आरोपी घोषित होते हैं, तो दण्ड भुगतने के लिए तैयार हैं।कुंजवाल ने कहा कि विधानसभा ने मामले की जांच के लिए एक्सपर्ट कमेटी की टीम गठित की थी। एक्सपर्ट कमेटी ने साफ किया कि राज्य बनने के बाद विधानसभा में सभी नियुक्तियां गलत हैं। उन्होंने कहा कि उक्त नियुक्तियों को यदि न्यायालय भी अवैध घोषित करता है, तो नियुक्ति कर्ताओं पर भी सख्त कार्यवाही होनी चाहिए ताकि भविष्य में युवाओं के साथ कोई भी ऐसा खिलवाड़ नहीं कर पाए।

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

न्यूज़ हाइट (News Height) उत्तराखण्ड का तेज़ी से उभरता न्यूज़ पोर्टल है। यदि आप अपना कोई लेख या कविता हमरे साथ साझा करना चाहते हैं तो आप हमें हमारे WhatsApp ग्रुप पर या Email के माध्यम से भेजकर साझा कर सकते हैं!

Click to join our WhatsApp Group

Email: [email protected]

Author

Author: Swati Panwar
Website: newsheight.com
Email: [email protected]
Call: +91 9837825765

To Top