प्रदेश में जैसे जैसे लोकसभा चुनाव पास आ रहें है वैसे वैसे राजनीति का पारा बढ़ता जा रहा है जी हाँ राजनैतिक दलों में जहाँ लोकसभा चुनावों क़ो लेकर तैयारीयों में होड़ मचनी शुरू हो गई है कही बूथ मजबूत हो रहें है तो कही पन्ना प्रमुखो पर पसीना बहाया जा रहा है हालांकि इन सबके बीच दिल्ली में राजनीति का पारा गर्म है जिसकी तपीश देहरादून तक महसूस हो रही है राहुल गाँधी की सदस्यता गई तो उत्तराखंड में कांग्रेस के नेता भी सड़को पर निकल आएं है अब राहुल गाँधी क़ो 2024 का चुनाव लड़ने का मौका मिलता है या नहीं ये तो आने वाला वक्त बताएगा लेकिन इन सबके बीच बीजेपी हो कांग्रेस हो या फिर BSP हो सभी के लोकसभा चुनाव लड़ने के दावेदार अपनी दावेदारी में जुट गए है.
बीजेपी की माने तो पिछली दो बार से पार्टी ने सांसदों के चेहरे तो नहीं बदले है दो बार से सिटिंग सांसद ही चेहरा है लेकिन मोदी की हवा में जीते इन सांसदों का क्या परफॉर्मेंस रहा सब जानते है लेकिन क्या तीसरी बार बीजेपी इन्हीं पांचो चेहरों पर अपना भरोसा जताएगी ऐसी थोड़ी उम्मीद कम है माना जा रहा है एक दो लोकसभा सीटों में पार्टी नए चेहरों क़ो मौका दें सकती है माना जा रहा है पार्टी पौड़ी, अल्मोडा और टिहरी लोकसभा सीटों में नए चेहरों क़ो मौका दें सकती है पार्टी और RSS के सर्वे में भले पार्टी की जीत का आकड़ा 5 सीटों का हो क्यूंकि वोट मोदी और धामी के नाम और काम पर ही मिलना है ना कि सांसदों के काम पर लेकिन पार्टी अब नए चेहरों क़ो मौका दें सकती है
बीजेपी में दावेदारों की माने तो इन दिनों दिल्ली दौड़ में जुटे है पार्टी के अपने आकाओ तक आएं दिन परिक्रमा करने में जुटे है लेकिन बीजेपी जैसी पार्टी में परिक्रमा कम मोदी – शाह की रणनीति पर ही चेहरे रखें और बदले जाते है ऐसे में बीजेपी में किसे कहा मौका दिया जाना है और सांसदी का चेहरा कौन होगा ये मोदी शाह ही तय करेंगे हालांकि नई सीटों में दावेदारों की माने तो पौड़ी सीट से त्रिवेंद्र सिंह रावत क़ो मौका दिया जा सकता है तो अल्मोड़ा सीट से मंत्री रेखा आर्य क़ो मौका दिए जाने की संभावना जताई जा रही है, उधमसिंहनगर नैनीताल लोकसभा सीट अजय भट्ट की टेंशन पूर्व मंत्री अरविंद पांडेय भी बढ़ा रहें है वही टिहरी लोकसभा सीट में भी किसी नए चेहरे की तलाश में पार्टी है लेकिन वो चेहरा पार्टी के अंदर से होगा या बाहर से इसपर अभी कुछ भी कहा जाना जल्दबाजी हो सकती है कुल मिलाकर बीजेपी में भले ही चेहरों के बदलाव पर फैसला करना है या नहीं ये तो वक्त बताएगा लेकिन पार्टी जीतेगी तो मोदी के नाम और काम पर और राज्य में धामी के नाम और काम पर.
वही संसद में 2014 कें चुनावों के बाद से उत्तराखंड कांग्रेस का कोई नेता चुनाव जीतकर नहीं पहुंचा है ऐसे में इस बार भी ये रिकॉर्ड में कोई बड़ा बदलाव हो जाएगा ऐसा थोड़ा कम ही लग रहा है लेकिन कांग्रेस में जमकर टिकटो क़ो लेकर दावेदारी करने में तमाम नेता जुटे है हरिद्वार लोकसभा सीट में तो सबसे ज्यादा कांग्रेस मे रार मची है हरीश रावत पिछली बार उधमसिंह नगर नैनीताल सीट से चुनाव लड़े थे लेकिन जीत नहीं पाए इसलिए वो 2009 में जिस लोकसभा सीट से जीतकर संसद में पहुंचे थे इस बार वही से चुनाव लड़ने का मन बना रहें है जी हाँ हरिद्वार हरीश रावत क़ो सेफ सीट लगती है क्यूंकि यहाँ मुस्लमान और दलित कॉम्बिनेशन बनता दिखाई देता है लेकिन अपने संगठन में 50 प्रतिशत से कम उम्र के चेहरों क़ो मौका देने की बात करने वाली कांग्रेस क्या उत्तराखंड के सबसे उम्र दराज नेता हरीश रावत पर भरोसा जताएगी या नहीं ये वक्त बताएगी. हालांकि हरीश के साथ साथ कई पार्टियों का स्वाद चखकर कांग्रेस में लौटे हरक सिंह रावत जो कांग्रेस की राजनीति में गाहे बगाहे ही दिखाई देते है वो भी दावेदारी कर रहें है जिससे हरीश रावत की पेशानी में बल डाले हुए है.
इसलिए विधानसभा चुनावों में जिस प्रीतम सिंह के साथ हरीश रावत की तल्ख़ियां चरम पर थी वो लोकसभा चुनाव पास आते आते हल्की फुलकी दोस्ती में दिखाई दें रही है लेकिन ये मतलब की दोस्ती तो नहीं ये भी वक्त बताएगा
वही टिहरी लोकसभा सीट में भी रार होती दिखाई दें रही है पिछली बार लोकसभा चुनाव लड़े प्रीतम सिंह इस बार चुनाव लड़ने से कन्नी काटते ही नजर आ रहें है हालांकि इस सीट में प्रीतम से बड़ा कोई और चेहरा अभी तो नजर नहीं आता
वही हरीश रावत की जगह उधमसिंहनगर नैनीताल लोकसभा सीट का टिकट किसे दिया जाएगा ये भी अभी तय नहीं है लगता है किसी नए चेहरे क़ो मौका दिया जाएगा
अल्मोड़ा सीट पर प्रदीप टम्टा क़ो मौका मिल सकता है तो पौड़ी सीट में पूर्व सीएम भुवन खंडूरी के बेटे और राहुल गाँधी के करीबी मनीष खंडूरी का नाम लगभग तय माना जा रहा है हालांकि राजेंद्र भंडारी और पूर्व अध्यक्ष गणेश गोदियाल भी लाइन में है लेकिन इन्हें टिकट मिलेगा उम्मीद कम है
वही बसपा की लड़ाई हरिद्वार और उधमसिंहनगर जिले तक ही सीमित होता नजर आ रहा है 29 मार्च क़ो निर्दलीय विधायक उमेश कुमार की पत्नी बसपा का दामन थामने जा रही है ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है और जैसी पत्रकार और अब विधायक उमेश कुमार की राजनैतिक चाहत क़ो जानने वाले लोग मानते है कि बहनजी से लोकसभा का टिकट अपनी पत्नी के लिए लाना उमेश कुमार के लिए कोई टेड़ी खीर नहीं है वैसे वही उमेश कुमार खानपुर विधानसभा में सभी क़ो चौका चुके है ऐसे में अगर बसपा उनकी पत्नी क़ो मौका देती है तो चुनाव बीजेपी और कांग्रेस के बीच में ना होकर त्रिकोणीय हो जाएगा वही उधमसिंहनगर में किसे बसपा मौका दें सकती है ये अभी दूर की कौड़ी है वही आप, UKD जैसी पार्टियां भी है लेकिन क्या वो लोकसभा चुनाव लड़ने क़ो तैयार है ये उन्हें तय करना है.
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