उत्तरकाशी आपदा: हर्षिल में बनी झील ने लिया दलदल का रूप…डेढ़ किमी क्षेत्र में है गाद, कई टन जमा मलबा
दलदल वाला स्थान होने के कारण भारी मशीनों की तैनाती संभव नहीं हो पा रही है। इसके लिए प्रशासन की ओर से स्थानीय संसाधनों और मजूदरों की सहायता से सफाई का कार्य किया जा रहा है।
हर्षिल में बनी करीब डेढ़ किमी लंबी झील ने अब बड़े दलदल का रूप ले लिया है। भागीरथी नदी में ऊपरी क्षेत्रों से बहकर आ रही गाद इसमें लगातार एकत्रित होने के कारण वहां पर कई टन मलबा जमा हो गया है। ऐसे में मशीनों से काम करने में परेशानी हो रही है।
जिलाधिकारी प्रशांत आर्य ने बृहस्पतिवार को हर्षिल क्षेत्र में हाल ही में बनी अस्थायी झील का स्थलीय निरीक्षण कर जायजा लिया। उन्होंने कहा कि झील के मुहाने से वर्तमान में जल का प्रवाह सुचारू रूप से हो रहा है। इससे तात्कालिक रूप से किसी बड़े खतरे की आशंका नहीं है। हालांकि नदी के किनारे में बहाव को अवरोध उत्पन्न कर रहे मलबे को हटाने की दिशा में युद्धस्तर पर मैनुअल रूप से कार्य किया जा रहा है।
वहीं दलदल वाला स्थान होने के कारण भारी मशीनों की तैनाती संभव नहीं हो पा रही है। इसके लिए प्रशासन की ओर से स्थानीय संसाधनों और मजूदरों की सहायता से सफाई का कार्य किया जा रहा है।
जिलाधिकारी ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि क्षेत्र में सतर्क निगरानी बनाए रखते हुए समय-समय पर रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए। यह झील पांच अगस्त को तेलगाड में आए मलबे के कारण बनी है। वहीं रात में नदी में इसका जलस्तर बढ़ने के कारण हर्षिल और आसपास के क्षेत्र के लिए खतरा बना हुआ है।
वहीं, कृत्रिम झील से पूरी तरह पानी निकासी के लिए भारी मशीनों की जरूरत महसूस की जा रही है। मार्ग बनने और पोकलेन पहुंंचने के बाद काम में तेजी आने की संभावना है। झील से मैनुअली मलबा हटा कर पानी निकासी को बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। लेकिन जो मलबा आया है, उसमें बड़े-बड़े बोल्डर भी है। ऐसे में पोकलेन जैसी मशीनों की कमी को महसूस किया जा रहा है। सिंचाई विभाग ने चार पोकलेन की व्यवस्था भी कर ली है, लेकिन सड़क बंद होने से समस्या बनी हुई है।
सिंचाई विभाग के विभागाध्यक्ष सुभाष कुमार कहते हैं कि जो स्थितियां है, वहां पर पोकलेन के माध्यम से जल्द काम हो सकता है। अगर सड़क खुलने के बाद यह पहुंच जाती है तो दो से तीन दिन में झील सावधानीपूर्वक खोलने का काम पूरा किया जा सकता है। अभी मैनुअली जो भी संभव है, वह काम हो रहा है। सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन कहते हैं कि झील की निगरानी करने के साथ मैनुअली काम किया जा रहा है। पोकलेन पहुंचने के बाद काम में और गति आएगी।
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