15 साल व्रत रखा, फिर लड़की ने भगवान से रचा ली शादी; धूमधाम से आई बारात
उत्तराखंड के हल्द्वानी जिले में शादी का एक अनोखा मामला सामने आया है। यहां 15 सालों तक करवाचौथ का व्रत रखने वाली लड़की ने भगवान कृष्ण से शादी रचा ली। आइये जानते हैं इस अनोखी शादी के बारे में।
उत्तराखंड के हल्द्वानी में 21 साल की एक लड़की ने गुरुवार को भगवान कृष्ण की मूर्ति के साथ शादी कर ली। इस शादी की चारों ओर चर्चा हो रही है। भगवान कृष्ण को वर के तौर पर पाने के लिए पिछले 15 सालों से करवा चौथ का व्रत कर रही हर्षिका पंत की सुबह साढ़े दस बजे गाजे बाजे के साथ बारात आई। कुमाऊंनी रीति रिवाज के अनुसार भगवान कृष्ण का दरवाजे पर स्वागत किया गया, फिर वरमाला हुई और सात फेरे हुए।
उत्तराखंड के हल्द्वानी में 21 साल की एक लड़की ने गुरुवार को भगवान कृष्ण की मूर्ति के साथ शादी कर ली। इस शादी की चारों ओर चर्चा हो रही है। भगवान कृष्ण को वर के तौर पर पाने के लिए पिछले 15 सालों से करवा चौथ का व्रत कर रही हर्षिका पंत की सुबह साढ़े दस बजे गाजे बाजे के साथ बारात आई। कुमाऊंनी रीति रिवाज के अनुसार भगवान कृष्ण का दरवाजे पर स्वागत किया गया, फिर वरमाला हुई और सात फेरे हुए।
यहां आयोजित विवाह समारोह में शामिल अतिथियों के लिए खानपान से लेकर अन्य व्यवस्थाएं भी की गई थीं। विदाई होने के बाद युवती हर्षिका कान्हा की मूर्ति को लेकर कार से रिश्तेदार के यहां पहुंची। विवाह समारोह में पहुंचे लोगों ने दावत खाई और शगुन का टीका लगाकर हर्षिका को सुखमय जीवन का आशीर्वाद दिया।
सात जन्मों तक साथ रहने की कस्में
रस्मों के दौरान हर्षिका ने वृंदावन से लाई गई श्रीकृष्ण की प्रतिमा के साथ सात जन्मों तक साथ रहने की कसमें खाईं और अपनी मांग में कान्हा के नाम का सिंदूर भरा। 11 जुलाई को धूमधाम से हुई शादी से पहले बुधवार को घर में मेहंदी और हल्दी का कार्यक्रम भी हुआ जिसमें सभी रिश्तेदार और आसपास के लोग शामिल हुए।
पिता ने माना दामाद
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हर्षिका के पिता पूरन चंद्र पंत ने कहा कि बेटी की भगवान कृष्ण से शादी करवा दी है और अब भगवान कृष्ण उनके दामाद हैं। उन्होंने कहा कि आज से उनके घर में भगवान कृष्ण विराजमान रहेंगे। हर्षिका के पिता ने बताया की शादी पंडित मनोज जोशी और चन्द्रशेखर तिवारी द्वारा वैदिक, सनातन रीति-रिवाज के साथ विधि-विधान से कराई गई। उन्होंने बताया कि शादी भगवान कृष्ण का गोत्र वृक्षणी तथा कन्या का गोत्र भारद्वाज गोत्राचारण कर संक्षिप्त विधि से की गई। इस दौरान कन्यादान माता-पिता द्वारा किया गया। शादी में महादान, शय्यादान भी किया गया।
विवाह समारोह में शामिल हुए भूपेश कनौजिया ने बताया कि शादी बहुत ही भव्य रूप से हुई। उन्होंने कहा कि कहीं पर भी ऐसा नहीं लग रहा था की दूल्हा नजर न आये, भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति एकदम स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही थी। उन्होंने बताया कि वृन्दावन से लाई गई दूल्हे श्रीकृष्ण की मूर्ति अत्यधिक सुन्दर थी। पांचवीं कक्षा तक पढ़ी हर्षिका दिव्यांग है और उसके शरीर का निचला हिस्सा काम नहीं करता । उसे अपने दैनिक कार्यों के लिए भी दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है।
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