खुद खाली हो गई स्यानाचट्टी में बनी झील, लेकिन अब यमुनोत्री धाम की ओर हुआ यमुना का प्रवाह
बारिश के कारण यमुनोत्री में यमुना नदी का जलस्तर बढ़ गया है जिससे मंदिर परिसर की ओर प्रवाह हो गया है। बाढ़ सुरक्षा के लिए लगाए गए वायरक्रेट बह गए हैं। मंदिर समिति के पूर्व सचिव ने सुरक्षा कार्यों में देरी पर नाराजगी जताई है। स्थानीय लोग सरकार से ठोस कार्रवाई की मांग कर रहे हैं ताकि धाम को बचाया जा सके।
उच्च हिमालयी क्षेत्र में वर्षा के चलते शुक्रवार रात यमुना नदी का जलस्तर बढ़ गया और स्यानाचट्टी में बनी झील प्राकृतिक रूप से खाली हो गई। लेकिन, इससे न सिर्फ धाम में बाढ़ सुरक्षा के लिए लगाए जाले (वायरक्रेट) बह गए, बल्कि घाट भी नदी में समा गया और अब नदी का प्रवाह सीधे मंदिर परिसर की ओर हो गया है।
यमुनोत्री मंदिर समिति के पूर्व सचिव सुरेश उनियाल ने कहा कि पिछले वर्ष भी धाम में आई आपदा से हुए नुकसान को देखते हुए तत्कालीन मंदिर समिति ने मुख्यमंत्री को स्थिति से अवगत कराया था। तब समिति को आश्वस्त किया गया था कि केदारनाथ की तर्ज पर वहां भी मशीनें एयर लिफ्ट करवाकर सुरक्षा कार्य किए जाएंगे। लेकिन, आज तक सुरक्षा के नाम पर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए
उन्होंने कहा कि कार्यों को मास्टर प्लान के नाम पर लटकाया जा रहा है। सवाल यह है कि आखिर कब तक मास्टर प्लान धरातल पर उतरेगा और कब यमुनोत्री धाम की सुरक्षा सुनिश्चित होगी। अब स्थानीय लोग और समिति के सदस्य सरकार से ठोस कार्रवाई की मांग कर रहे हैं, ताकि धार्मिक आस्था के प्रतीक यमुनोत्री धाम को किसी बड़ी आपदा से बचाया जा सके।

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