उत्तराखंड राज्य के 189 अटल उत्कृष्ट विद्यालयों की सीबीएसई से संबद्धता समाप्त हो सकती है। सरकार इन स्कूल को अब पुरानी व्यवस्था पर चलाए जाने की तैयारी में है। शिक्षा सचिव रविनाथ रामन के मुताबिक, उत्तराखंड बोर्ड के स्कूलों को सीबीएसई बोर्ड से चलाए जाने का अनुभव ठीक नहीं रहा। इन स्कूल को फिर से उत्तराखंड बोर्ड से संचालित करने के लिए शिक्षा निदेशालय से प्रस्ताव मांगा गया है।
प्रदेश सरकार की ओर से दो साल पहले वर्ष 2021 में उत्तराखंड बोर्ड के हर ब्लॉक के दो विद्यालयों को अटल उत्कृष्ट स्कूल के रूप में चिह्नित कर उन्हें केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) से मान्यता दिलाई गई थी। अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई के नाम पर इन स्कूलों में शिक्षकों की तैनाती के लिए स्क्रीनिंग परीक्षा के माध्यम से शिक्षकों की तैनाती की गई थी।
चयनित होकर आए इन स्कूलों के शिक्षकों के लिए विभाग की ओर से इस तरह की व्यवस्था बना दी गई कि यदि कोई शिक्षक सुगम क्षेत्र के अटल उत्कृष्ट स्कूल में तैनात है, तो उसकी एक साल की सेवा को दुर्गम क्षेत्र की एक साल की सेवा मानी जाएगी।
इसके उलट दुर्गम क्षेत्र में तैनात शिक्षक की एक साल की सेवा दुर्गम क्षेत्र की दो साल की सेवा मानी जाएगी। इससे इन विद्यालयों में पहले से तैनात और बाद में चयनित होकर आए शिक्षकों के सामने दोहरी व्यवस्था बनी है। इन विद्यालयों का 10वीं और 12वीं का बोर्ड रिजल्ट भी ठीक नहीं रहा है।
वही शिक्षा सचिव के मुताबिक, विभाग के पास इन विद्यायलों के लिए पर्याप्त शिक्षक भी नहीं हैं। स्कूलों में शिक्षकों के लिए दोहरी व्यवस्था से तबादलों में भी विभाग को दिक्कत का सामना करना पड़ा। इन विद्यालयों की सीबीएसई बोर्ड से संबद्धता समाप्त कर स्कूलों को उत्तराखंड बोर्ड से चलाए जाने से शिक्षकों के लिए बनी दोहरी व्यवस्था समाप्त होगी।
वही प्रदेश के अटल उत्कृष्ट विद्यालयों में शिक्षकों के 333 पद पिछले दो साल से खाली पड़े हैं। इनमें प्रवक्ताओं के 243 और एलटी सहायक अध्यापक के 90 पद खाली हैं। शिक्षा सचिव रविनाथ रामन के मुताबिक, इन विद्यालयों के लिए जिस तरह के शिक्षक चाहिए उस तरह के मिल नहीं पा रहे हैं।
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