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Big breaking :-क्या केवल रुद्रप्रयाग ही है बाल विवाह का हॉट स्पॉट ? या अन्य जनपदों में इसके लिए ज़िम्मेदार कर रहे हैं इस विषय की उपे

क्या केवल रुद्रप्रयाग ही है बाल विवाह का हॉट स्पॉट ? या अन्य जनपदों में इसके लिए ज़िम्मेदार कर रहे हैं इस विषय की उपेक्षा

 

अब इसको मानसिक दिवालियापन कहें या घोर पिछड़ापन जनपद रुद्रप्रयाग में हर सप्ताह कोई ना कोई बाल विवाह या बाल सगाई के मामले संज्ञान में आ रहे हैं। भला हो महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग की सजगता और तत्परता का कि उसके द्वारा ऐसा सूचना तंत्र तैयार कर लिया गया है कि इस वर्ष अब तक 18 ऐसे मामले रुकवाए जा चुके हैं। आज के ताज़ा मामले की बात करें तो विकास खंड ऊखीमठ के दूरस्थ ग्राम पंचायत कांदी एक पिता आज अपनी 15 वर्ष से कम आयु की बेटी की सगाई आज ग्राम लस्या बांगर निवासी 23 वर्षीय युवक से करने की पूरी तैयारी कर चुका था, किन्तु विभाग के तैयार बाल दूतों में से किसी एक ने चाईल्ड हेल्प लाइन को इस बात की सूचना दे दी। यहां बताते चलें कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के तहत मिशन शक्ति की टीम और चाईल्ड हेल्प लाइन तथा ज़िला बाल कल्याण समिति द्वारा जनपद के विद्यालयों में बालिकाओं के साथ किए गए कार्यशालाओं ना केवल उनके साथ निरंतर संवाद कार्यक्रम चलाए गए अपितु इन कार्यशालाओं में अपने लिए ज़मीनी मुखबिर तंत्र भी तैयार करने की सफ़ल कोशिश की गई थी जिसने फ़िर आज अपनी उपयोगिता सिद्ध कर दी।

सूचना मिलते ही ज़िला कार्यक्रम अधिकारी डॉ अखिलेश मिश्र के निर्देश पर जिला बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष रंजू खन्ना के नेतृत्व में समिति के सदस्य दलबीर सिंह रावत,चाईल्ड हेल्प लाइन के समन्वयक अरविंद रावत सुपरवाइजर सुरेन्द्र सिंह ने तुरंत मौके पर पहुंच कर दोनों पक्षों और गांव के संभ्रांत लोगों के साथ वार्ता कर उनको इसके दुष्परिणामों की चेतावनी देते हुए सगाई रुकवा दी गई और 25 अप्रैल को पुनः दोनों पक्षों को बाल कल्याण समिति के कार्यालय रुद्रप्रयाग में तलब किया गया है।

जनपद में नित नए मामलों की संख्या देखकर सोचने वाली बात यह उत्पन्न हो रही है है कि क्या केवल रुद्रप्रयाग जनपद में ही बाल विवाह होते हैं या हो रहे हैं या उत्तराखंड के अन्य जनपदों में इस आशय से गठित समितियां या प्रकोष्ठों को अपने कार्य दायित्वों की जानकारी नहीं है। क्योंकि रुद्रप्रयाग से अपेक्षाकृत जनसंख्या, क्षेत्रफ़ल और जातिगत दृष्टिकोण से विविधता और अधिक संवेदनशीलता वाले राज्य के अन्य बड़े जनपदों में इस तरह के ना तो कोई मामले संज्ञान में आ रहे हैं और ना ही विभाग, समिति या प्रकोष्ठों की सजगता ही धरातल पर दिख रही है।

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Author: Swati Panwar
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