उत्तराखंड में खुले एक और मंदिर के कपाट, माना जाता है त्रेता युग का तीर्थ; लक्ष्मण ने की थी तपस्या
शनिवार को लोकपाल लक्ष्मण मंदिर के कपाट वैदिक मंत्रोच्चार के साथ खोले गए। पुलना भ्यूंडार घाटी के ग्रामीणों ने पुजारी के नेतृत्व में मंदिर को सजाया। हेमकुंड सरोवर में स्नान के बाद कृष्ण द्वादशी के शुभ मुहूर्त में पूजा-अर्चना की गई। बाहरी श्रद्धालुओं के लिए दर्शन रविवार से शुरू होंगे। यह मंदिर त्रेता युग का तीर्थ माना जाता है जहां लक्ष्मण ने तपस्या की थी।
लोकपाल लक्ष्मण मंदिर के कपाट वैदिक मंत्रोच्चार और विधि-विधान से शनिवार को खुल गए। हालांकि लोकपाल लक्ष्मण मंदिर तीर्थ में रविवार से विधिवत रूप से यात्रा शुरू होगी।
परंपरानुसार पुलना भ्यूंडार घाटी के ग्रामीणों ने पुजारी भगवती प्रसाद पांडेय के नेतृत्व में लोकपाल लक्ष्मण पहुंचकर मंदिर को फूलों से सजाने का कार्य किया। साथ ही मंदिर में सफाई आदि की। इस कार्य के लिए हनुमान जंयती के साथ कृष्ण एकादशी का दिन शुभ माना जाता है।
विधिवत पूजा-अर्चना के बाद खुले कपाट
शुक्रवार को लोकपाल लक्ष्मण मंदिर के मुख्य द्वार को पुजारी व भ्यूंडार पुलना के ग्रामीणों की मौजूदगी में खोलकर फूलों से मंदिर को सजाने का कार्य शुरू हुआ। पुजारी भगवती प्रसाद पांडेय सहित स्थानीय ग्रामीणों ने पवित्र हेमकुंड सरोवर में आस्था की डुबकी लगाकर कृष्ण द्वादशी के शुभ मूर्हत पर शनिवार को विधिवत पूजा-अर्चना के साथ लोकपाल लक्ष्मण मंदिर के कपाट खोले।
पुजारी भगवती प्रसाद पांडेय ने बताया कि शनिवार को प्रात: ब्रह्ममूर्हत् में भगवान का अभिषेक व पूजा-अर्चना कर श्रृंगार हुआ। इसी के साथ लोकपाल लक्ष्मण मंदिर में स्थानीय निवासियों ने विधि-विधान से पूजा-अर्चना की। हालांकि लोकपाल तीर्थ में दर्शन के लिए बाहर से आने वाले श्रद्धालु रविवार से दर्शन व पूजा-अर्चना करेंगे।
समुद्रतल से 15,210 फीट की ऊंचाई पर स्थित लोकपाल लक्ष्मण मंदिर को शास्त्रों में त्रेता युग का तीर्थ माना जाता है। अयोध्या से निर्वासन के बाद लक्ष्मण ने शेषनाग के अवतार में यहां पर तपस्या की थी।

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