अभिनव कुमार
आपको और आपके परिवार को हुए आघात के लिए मुझे खेद है. हमें नशीली दवाओं के कानूनों में व्यापक बदलाव की जरूरत है. साथ ही हमारी कानून प्रवर्तन एजेंसियों के निरीक्षण और पर्यवेक्षण की ज्यादा कठोर प्रणाली की भी आवश्यकता है ताकि किसी को भी उस चीज का सामना ना करना पड़े, जिससे आप और आपके परिवार को गुजरना पड़ा.
IPS Letter To Aryan Khan
आपकी पीढ़ी के युवा भारतीयों को पत्र लिखने या मिलने की खुशी का पता नहीं होगा. हालांकि, बहुत पहले की बात नहीं है, जब हम में से ज्यादातर लोगों ने चिट्ठी लिखने और पढ़ने का शानदार अनुभव किया है. उस दौर में चिट्ठियां ही उन लोगों से जुड़े रहने का सबसे अच्छा माध्यम थीं, जिनकी हम परवाह करते थे. वहीं, इस मामले में चिट्ठी उन लोगों तक अपनी बात पहुंचाने का सबसे अच्छा जरिया है, जिनको हम व्यक्तिगत तौर पर तो नहीं जानते हैं, लेकिन जिनसे हम अपने विचार साझा करना चाहते हैं. लेकिन, पहले ऐसा पत्राचार सोशल कैथैरसिस का अहम स्वरूप था. मैं पिछले कुछ दिन से एनसीबी के पूर्व जोनल निदेशक समीर वानखेड़े के विभिन्न ठिकानों पर सीबीआई के छापे देख रहा हूं. मैं खुद दो बच्चों का पिता हूं. ऐसे में एक सेवारत पुलिस अधिकारी के तौर पर ये जरूरी है कि अक्टूबर 2021 में ड्रग्स भंडाफोड़ मामले में आप और आपके माता-पिता के पर गुजरे हालात की चर्चा की जाए.
सबसे पहले मैं उस अकल्पनीय आघात के लिए क्षमा चाहता हूं, जिससे आप और आपका परिवार गुजरा होगा. क्रूज शिप कॉर्डेलिया पर 2 अक्टूबर 2021 को छापा मारा गया था. फिर आपको और आपके दोस्तों को हिरासत में लिया गया था. सभी की तलाशी ली गई, गिरफ्तार किया गया और गंभीर आरोप लगाए गए. एनडीपीएस एक्ट के तहत नशीले पदार्थों की तस्करी के आरोप में आप अगले 25 दिनों तक जेल में थे. आपका मीडिया ट्रायल चलाया गया. उस दौरान हमारे समाज में मौजूद असंवेदनशील और ईर्ष्या से भरे हुए लोगों का वास्तविक चेहरा भी सामने आया. इसने हमारे खंडित और असमान समाज का नकाब भी उतार दिया. आप निश्चित तौर पर दोषी थे. लेकिन आप नशीले पदार्थों की खपत, उनको रखने और उनकी तस्करी के दोषी नहीं थे. बल्कि, आप इससे भी कहीं बड़े अपराध के दोषी थे. आप बॉलीवुड अभिनेता शाह रुख खान के बेटे होने के दोषी थे. आप दोषी थे अमीर और प्रसिद्ध होने के.
देशभर का ध्यान अपनी ओर खींचने वाला कोई भी मामला, देशभर के पुलिस अधिकारियों के लिए व्यावसायिक रुचि और जिज्ञासा पैदा करता है. आपके मामले को लेकर ऑफिस, सामाजिक मौकों और हमारे वॉट्सऐप ग्रुप्स में भी अनौपचारिक बातचीत होती रहती है. छापे और आपकी गिरफ्तारी के समय भी मेरे पुलिस मित्र तथा मैं कुछ बुनियादी पेशेवर सवाल पूछ रहे थे. छापेमारी के दौरान आपके और आपके दोस्तों के पास से बरामद ड्रग्स की कुल मात्रा कितनी थी? क्या सभी आरोपियों से पूछताछ में नशीले पदार्थों की बरामदगी हुई? क्या तस्करी का गंभीर आरोप लगाने के लिए बरामद नशीले पदार्थों की मात्रा पर्याप्त थी? क्या तलाशी और जब्ती मेमो एनडीपीएस के प्रावधानों के मुताबिक तैयार किए गए थे? इलेक्ट्रॉनिक मीडिया अटकलों से भर गया था. हर चैनल पर चर्चा हो रही थी कि आप एक ड्रग कार्टेल से जुड़े हुए हैं, जिसने बॉलीवुड के हर कोने में अपना जाल फैला लिया है.
उन कुछ महीनों के लिए एनसीबी में वानखेड़े और उनके सहयोगियों के नेतृत्व में एक शुद्धतावादी और स्वधर्मी भारत का नैतिक युद्ध छेड़ा गया, जो आपके, आपके सामाजिक दायरे और पूरे फिल्म उद्योग के खिलाफ था, जिसमें आपके पिता बहुत ही प्रमुख व्यक्ति हैं. वानखेड़े और अन्य के खिलाफ सीबीआई का मामला दर्ज होने के साथ ही नैतिक धर्मयुद्ध की यह साफ-सुथरी कहानी बिखर गई है. वानखेड़े बेशक खुद को बेगुनाह बताते हुए दावा कर रहे हैं कि उन्हें देशभक्त होने के लिए दंडित किया जा रहा है. लेकिन, अस्थिर पेशवर खंभों पर खड़ी उनकी कहानी एक चरमराती नैतिक नींव जैसी दिख रही है.
मैं वास्तव में नहीं जानता कि गिरफ्तारी और कैद की प्रक्रिया के दौरान आपको तथा आपके परिवार को हुए नुकसान व आघात की भरपाई के लिए क्या पर्याप्त होगा. मैं केवल आशा कर सकता हूं कि इसने आपको जीवन भर के लिए डरा नहीं दिया है. इससे आपके भीतर हमारी पुलिस के लिए भय और घृणा की भावना पैदा कर दी है, जो दुर्भाग्य से हमारे देश के कई अन्य नागरिकों के भीतर भी है. मैं आपको भरोसा दिलाता हूं कि पुलिस के सभी अधिकारी सत्ता के भूखे नहीं हैं. सभी पुलिस अधिकारी वर्दी को कमजोर और दुर्भाग्यशाली लोगों को शिकार बनाने के लाइसेंस के तौर पर नहीं देखते हैं. हममें से बहुत से लोग वास्तव में कानून के शासन और भय या पक्षपात के बिना काम करने के आदर्श में भरोसा करते हैं.
मुझे पूरी उम्मीद है कि आपकी परीक्षा पुलिस सुधारों और हमारे नशीली दवाओं के कानूनों को सुधारने को लेकर व्यापक राष्ट्रीय चर्चा को चिंगारी देगी. हमारा वर्तमान एनडीपीएस अधिनियम की धार काफी कुंद है. वहीं, ये एक्ट भ्रष्ट अधिकारियों के हाथों में भयानक हथियार है. दुनिया भर के समाज महसूस कर रहे हैं कि ड्रग्स के खिलाफ जंग सार्वजनिक संसाधनों की भारी बर्बादी है. इससे नागरिकों को होने वाले नुकसान के संदर्भ में एक नैतिक आक्रोश है. मादक दवाओं के सभी उपयोगों को बिल्कुल एक जैसा मानना मूर्खतापूर्ण है और सामूहिक आत्मनिरीक्षण की मांग करता है.शराब की तरह नशीले पदार्थों और मनोविकारों की दवाओं का इस्तेमाल करने वालों में सभी तरह के लोग शामिल हैं.
कुछ लोग इसे सिर्फ मनोरंजन के तौर पर इस्तेमाल करते हैं. ऐसे लोग अपने व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन को बिना किसी दुष्प्रभाव प्रभाव के जारी रखते हैं. वहीं, कुछ इस्तेमाल करने वाले इससे खुद को शारीरिक और मानसिक नुकसान पहुंचाकर अपने परिवारों तक को संकट में डाल देते हैं. फिर वे चरम व्यसनी हैं, जो हिंसक अपराधों में शामिल रहने के साथ मादक पदार्थों का सेवन भी करते हैं. समाज को पहली किस्म को अकेला छोड़कर दूसरी को चिकित्सा देखभाल उपलब्ध कराना चाहिए. नशीले पदार्थों से जुड़े तस्करी के मामलों से आपराधिक न्याय प्रणाली को निपटने की जरूरत है.
मादक पदार्थों की तस्करी के लिए आप जैसे युवाओं को गिरफ्तार करना और उन पर मुकदमा चलाना मुझे गलत प्राथमिकताओं और दुर्लभ कानून प्रवर्तन संसाधनों के दुरुपयोग का स्पष्ट मामला लगता है. इस तरह की कार्रवाइयों से हम केवल अधिकार के दुरुपयोग और व्यवस्थित भ्रष्टाचार के अवसर पैदा करने के साथ-साथ युवाओं व उनके परिवारों को चोट पहुंचा रहे हैं. नशीली दवाओं के खिलाफ लड़ाई के लिए ज्यादा चिकित्सा पेशेवरों और परामर्शदाताओं की जरूरत होती है. वहीं, इस लड़ाई में पुलिस और नैतिक धर्मयोद्धाओं की कम से कम जरूरत पड़ती है. आपके साथ हुआ पूरा घटनाक्रम हमारे नीति निर्माताओं और सभ्य समाज के लिए अलार्म होना चाहिए. हमें अपने नशीली दवाओं के कानूनों में बदलाव और कानून प्रवर्तन एजेंसियों की निगरानी व पर्यवेक्षण की ज्यादा कठोर प्रणाली की दरकार है ताकि किसी पिता और पुत्र को वो सब सहना ना पड़े, जिससे आप और आपके पिता गुजरे थे. हमारे सामूहिक माफीनामा को दर्शाने का यह सबसे अच्छा तरीका होगा.
कौन हैं माफीनामा लिखने वाले पुलिस अफसर
इंडियन एक्सप्रेस न्यूजपेपर में ये माफीनामा लिखने वाले अभिनव कुमार 1996 बैच के आईपीएस अधिकारी है. वह एसएसपी हरिद्वार, एसएसपी देहरादून, आईजी गढ़वाल, आईजी बीएसएफ जैसी अहम जिम्मेदारियां निभा चुके हैं. वह कई साल तक जम्मू-कश्मीर में डेपुटेशन पर रहे हैं. अनुच्छेद 370 हटने के समय भी वह जम्मू-कश्मीर में ही थे. अभिनव कुमार क गिनती देश के तेज तर्रार पुलिस अधिकारियों में होती है. जब उत्तराखंड में पहली बार किसी आईपीएस अधिकारी को मुख्यमंत्री का अपर प्रमुख सचिव बनाया गया तो ये जिम्मेदारी अभिनव कुमार को ही मिली. वह उत्तराखंड आईपीएस एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं.
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