परिणाम की हर दो घंटे में ऑनलाइन मिलेगी जानकारी, एनआइसी से चल रही बात
लोकसभा और विधानसभा चुनावों की भांति इस बार नगर निकाय चुनाव की मतगणना के परिणाम की जानकारी हर दो घंटे में ऑनलाइन मिल सकेगी। एनआइसी के माध्यम से यह व्यवस्था अमल में लाने के दृष्टिगत कसरत चल रही है। वहीं निकायों की मतदाता सूची को पहली बार डिजिटल किया गया है। आयोग की वेबसाइट पर मतदाता सूची को लोग देख सकते हैं।
लोकसभा और विधानसभा चुनावों की भांति इस बार नगर निकाय चुनाव की मतगणना के परिणाम की जानकारी हर दो घंटे में ऑनलाइन मिल सकेगी। एनआइसी (नेशनल इन्फार्मेटिक्स सेंटर) के माध्यम से राज्य निर्वाचन आयोग इसकी पहल करने जा रहा है। इसका प्रारूप क्या होगा, इसे लेकर जल्द ही तस्वीर साफ होगी।
प्रदेश में नगर निकाय और पंचायत चुनाव का जिम्मा राज्य निर्वाचन आयोग के पास है। निकाय चुनावों के दृष्टिगत आयोग ने इस बार कुछ नई पहल की हैं। उम्मीदवारों के लिए चुनाव खर्च की सीमा बढ़ाई गई है तो इस पर निगरानी के लिए प्रभावी तंत्र भी बनाया गया है। पहली बार निकाय स्तर पर पर्यवेक्षक नियुक्त किए जाएंगे। इसके साथ ही आयोग ने डिजिटाइजेशन की दिशा में भी कदम बढ़ाए हैं।
मतदाता सूची को पहली बार डिजिटल किया
निकायों की मतदाता सूची को पहली बार डिजिटल किया गया है। आयोग की वेबसाइट पर मतदाता सूची को लोग देख सकते हैं। इसके अलावा चुनाव ड्यूटी में लगने वाले कार्मिकों को भी डिजिटल मोड में लाया गया है। इसी क्रम में आयोग अब निकाय चुनाव परिणाम की जानकारी ऑनलाइन करने की तैयारी में है।
एनआइसी के माध्यम से यह व्यवस्था अमल में लाने के दृष्टिगत कसरत चल रही है। आयोग का प्रयास है कि निकायों के तीनों स्तर के लिए यह व्यवस्था हो। कहीं, यदि कोई अड़चन आती है तो फिर 11 नगर निगमों में इसे लागू किया जाएगा। इससे प्रत्येक दो घंटे में मतगणना के परिणाम की जानकारी आयोग की वेबसाइट अथवा एप के माध्यम से आमजन को मिल सकेगी।
नेतृत्व को पसीने छुड़ाएगी दावेदारों की लंबी फौज
देहरादून: नगर निकायों में महापौर, नगर पालिका परिषद व नगर पंचायतों के अध्यक्ष और वार्डों का आरक्षण निर्धारित होने के साथ ही सालभर से लटकते आ रहे निकाय चुनाव की अंतिम बाधा दूर हो गई है। अगले सप्ताह निकाय चुनाव का कार्यक्रम घोषित होने की संभावना है। इसे देखते हुए चुनाव लडऩे के इच्छुक दावेदारों की सक्रियता के साथ ही धड़कनें भी बढ़ गई हैं।
दावेदारों की लंबी फौज का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि 11 नगर निगमों में महापौर पद के लिए भाजपा में अब तक लगभग 90 नाम उभरकर सामने आ चुके हैं, जबकि कांग्रेस में यह संख्या 100 से अधिक है। कमोबेश ऐसा ही हाल नगर पालिका परिषद व नगर पंचायतों में अध्यक्ष पदों के लिए भी है। यह स्थिति तब है, जबकि दोनों ही दलों की ओर से अभी दावेदारों के नाम के पैनल तक तैयार नहीं हुए हैं। इस परिदृश्य में दोनों दलों के नेतृत्व को प्रत्याशी चयन के दृष्टिगत दावेदारों की फौज खूब पसीना भी छुड़ाएगी।
चुनाव में हो रही देरी लंबे समय से चर्चा का विषय थी
निकाय चुनाव में हो रही देरी लंबे समय से चर्चा का विषय बनी हुई थी। अब जबकि चुनाव की प्रक्रिया निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है तो राजनीतिक दलों ने भी अपनी तैयारियों को लगभग अंतिम रूप दे दिया है। इसके साथ ही निकायों में महापौर, अध्यक्ष और पार्षद, सभासद का चुनाव लडऩे के इच्छुक पार्टी कार्यकर्ता भी आरक्षण तय होने के बाद टिकट के लिए जी-तोड़ कोशिशों में जुट गए हैं। यद्यपि, आरक्षण निर्धारण होने के बाद कई दावेदारों के अरमानों पर पानी फिरा है, लेकिन अन्य दावेदारों की फौज भी कम नहीं है।
दोनों ही प्रमुख दलों भाजपा व कांग्रेस में निकाय चुनाव के लिए दावेदारों के नाम जिस तरह से उभरकर आ रहे हैं, उससे पार्टियों के नेतृत्व की पेशानी पर बल भी पडऩे लगे हैं। नगर निगमों में महापौर पदों की बात करें तो दोनों दलों में अनारक्षित सीटों पर खींचतान सबसे अधिक है।
आरक्षित सीटों में यह अपेक्षाकृत कम है। दावेदारों ने टिकट पाने के दृष्टिगत अपने आकाओं से निरंतर संपर्क साधने का क्रम शनिवार से तेज किया है। सभी की चाह है कि बस इस बार उन्हें अवसर मिल जाए। टिकट किसे मिलता है और किसे नहीं, इसे लेकर आने वाले दिनों में तस्वीर साफ हो जाएगी, लेकिन तब तक दावेदारों की धड़कनें तो बढ़ी ही रहेंगी।
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