सामरिक महत्ता को देखते हुए कर्णप्रयाग रेलवे स्टेशन पर किया गया बदलाव, 26 की ट्रैक की संख्या
सामरिक महत्ता को देखते हुए कर्णप्रयाग रेलवे स्टेशन पर बदलाव किया गया। ट्रैक की संख्या 22 से बढ़ाकर 26 कर दी गई थी। अतिरिक्त कार्य के लिए 611 करोड़ रुपये के टेंडर भी जारी कर दिए गए हैं।
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे परियोजना में कर्णप्रयाग स्टेशन सबसे बड़ा है। सामरिक महत्ता को देखते हुए सेना की गतिविधियों के लिए वर्ष 2023 में स्टेशन में बड़े बदलाव का निर्णय लिया गया था और ट्रैक की संख्या बढ़ा दी गई।
कर्णप्रयाग रेलवे स्टेशन पर पहले 22 ट्रैक बनने थे, जिनकी संख्या बढ़ा कर 26 कर दी गई थी। अब स्टेशन पर चार अतिरिक्त ट्रैक बनाए जाने हैं। ये चारों ट्रैक दो सुरंगों के अंदर बनाए जाएंगे। इसके लिए दो सुरंगों का निर्माण भी किया जाएगा। सामान उतारने के लिए एक सड़क का निर्माण किया जाएगा जो दोनों सुरंगों से जुड़ेगी। इस अतिरिक्त कार्य के लिए 611 करोड़ रुपये के टेंडर भी जारी कर दिए गए हैं। जल्द निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा। स्टेशन पर चार यात्री प्लेटफार्म व एक गुड्स प्लेटफार्म है
घोलतीर से कर्णप्रयाग तक 70 फीसदी कार्य पूर्ण
घोलतील से गौचर के बीच की दूरी 8 किमी है। इन दोनों स्टेशनों के बीच 7 किमी लंबी सुरंग है, जिसका खोदाई कार्य पूर्ण हो चुका है। सुरंग में फाइनल लाइनिंग का कार्य किया जा रहा है। गौचर से कर्णप्रयाग स्टेशन के बीच 8.5 किमी की दूरी है। इन दोनों स्टेशनों के बीच 6.3 किमी की सुरंग है जिसका खोदाई कार्य पूर्ण हो चुका है। गौचर से कर्णप्रयाग के बीच करीब 340 मीटर स्पैन का अलकनंदा नदी पर एक पुल है, जिसका निर्माण कार्य करीब 70 फीसदी हो चुका है। परियोजना के अंतिम स्टेशन सिंवई (कर्णप्रयाग) से ठीक पहले गदेरे पर 126 मीटर स्पैन का एक पुल है, जिसका निर्माण कार्य करीब 90 फीसदी हो चुका है। गौचर से सिंवई तक ट्रेन दौड़ाने के लक्ष्य की पूर्ति के लिए करीब 70 फीसदी कार्य हो चुका है।
पूरी परियोजना में कितना कार्य शेष
-ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल परियोजना में सुरंगों की कुल लंबाई (मुख्य व निकासी सुरंग) 213 किमी है, जिसमें 13 किमी खोदाई कार्य शेष रहा गया है। मुख्य सुंरगों की लंबाई 105 किमी है, जिसमें मात्र 6 किमी का खोदाई कार्य शेष रह गया है।
-परियोजना की 16 सुरंगों में कुल 46 ब्रेक थ्रू होने हैं, जिनमें से 40 ब्रेक थ्रू हो चुके हैं। अब 6 ब्रेक थ्रू शेष रह गए हैं।
-परियोजना में कुल 19 पुल हैं। इनमें से चंद्रभागा, शिवपुरी, गूलर, ब्यासी, कोड़ियाला, पौड़ी नाला, लक्ष्मोली और श्रीनगर पुल बनकर तैयार हो चुके हैं। शेष 11 पुलों का निर्माण भी 60 फीसदी से अधिक पूरा हो चुका है। वर्ष 2026 के अंत तक सभी पुलों के निर्माण का लक्ष्य रखा गया है।
-परियोजना में कुल 13 स्टेशन हैं। इनमें से वीरभद्र और योगनगरी रेलवे स्टेशन वर्ष 2020 में बनकर तैयार हो चुके हैं जबकि शिवपुरी और ब्यासी रेलवे स्टेशन के लिए निविदा आवंटित हो चुकी है। इन दोनों स्टेशनों का निर्माण 61 करोड़ रुपये की लागत से किया जाना है। शेष नौ स्टेशनों के निर्माण के लिए तीन टेंडर और जारी होंगे।
एक निविदा देवप्रयाग, जनासू, मलेथा और श्रीनगर स्टेशन के लिए, दूसरी निविदा धारीदेवी, घोलतीर, तिलड़ी और गौचर स्टेशन के लिए और तीसरी कर्णप्रयाग स्टेशन के लिए जारी होगी। कर्णप्रयाग रेलवे स्टेशन इस परियोजना का सबसे बड़ा स्टेशन है। सभी रेलवे स्टेशनों के निर्माण की लागत करीब 550 करोड़ रुपये है।
ट्रैक बिछाने के लिए निविदा प्रकिया पूर्ण हो चुकी है। 125 किलोमीटर लंबी इस परियोजना पर 750 करोड़ रुपये की लागत से ट्रैक बिछाया जाना है। भारतीय रेलवे के उपक्रम इरकॉन इंटरनेशनल ने 2027 तक ट्रैक बिछाने का कार्य पूरा करने का लक्ष्य रखा है। सर्वे कार्य किया जा रहा है।
– कार्य तेजी के साथ किया जा रहा है। निर्धारित समय पर कार्य पूर्ण करने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। घोलतीर से कर्णप्रयाग तक ट्रेन दौड़ाने के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए 70 फीसदी कार्य हो चुका है। – ओपी मालगुड़ी, उप महाप्रबंधक, सिविल, आरवीएनएल

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