*सूबे के सहकारिता चुनावों में दिखी महिला सशक्तिकरण की छाप*
*महिलाओं के हाथ में रहेगी 281 सहकारी समितियों की कमान*
*संचालक मण्डल में 2517 महिलाओं का दबदबा, 159 बनी उपाध्यक्ष*
देहरादून,
प्रदेश की सहकारी समितियों के चुनावों में महिला सशक्तिकरण की जबरदस्त छाप देखने को मिली है। प्रदेशभर की कुल 668 समितियों में से 281 समितियों की कमान महिलाओं के हाथों में रहेगी, जबकि 159 समितियों में उपाध्यक्ष पद पर भी महिलाओं ने जीत दर्ज की है। इसके अतिरिक्त विभिन्न समितियों के संचालक मण्डल में 2517 महिलाएं निर्वाचित हुई हैं, जो सहकारिता क्षेत्र में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी और सशक्तिकरण का प्रमाण है। इसके साथ ही उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है जहां सहकारिता में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण दिया गया।
उत्तराखंड में सहकारिता आंदोलन को गति देने के लिये राज्य सरकार ने सहकारिता में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिये 33 फीसदी आरक्षण देने का ऐतिहासिक निर्णय लिया था। सरकार के इस निर्णय ने सहकारी समितियों में महिलाओं के प्रतिनिधित्व की मजबूत नींव रखी है। प्रदेश की कुल 671 प्रारम्भिक कृषि ऋण सहकारी समितियों (एम-पैक्स) में हुये चुनावों में कुल 6486 संचालक निर्वाचित हुये जिनमें से लगभग 39 फसदी यानी 2517 महिलाएं विजेता बनी। जिनमें अल्मोड़ा जनपद में 254, बागेश्वर 66, चम्पावत 101, नैनीताल 213, पिथौरागढ़ 281, ऊधमसिंह नगर 154, चमोली 174, देहरादून 173, हरिद्वार 191, पौड़ी 382, रूद्रप्रयाग 138, टिहरी 237 तथा उत्तरकाशी में 153 महिलाएं संचालक मंडल में निर्वाचित हुई।
सिर्फ संचालक मण्डल में ही नहीं बल्कि महिलाओं ने पदाधिकारी स्तर के पदों पर भी अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई। प्रदेश की कुल 668 निर्वाचित समितियों में से 281 समितियों की कमान अब महिलाओं के हाथों में रहेगी। जिनमें अल्मोड़ा जनपद में 25, बागेश्वर 7, चम्पावत 10, नैनीताल 19, पिथौरागढ़ 35, ऊधमसिंह नगर 18, चमोली 16, देहरादून 15, हरिद्वार 21, पौड़ी 58, रूद्रप्रयाग 14, टिहरी 30 तथा उत्तरकाशी की 13 समितियां शामिल हैं। इसी प्रकार 159 समितियों में महिलाओं ने उपध्यक्ष के पद पर जीत हासिल की। सहकारी समितियों में महिला प्रतिनिधित्व न केवल सहकारिता आंदोलन को नई दिशा देगा बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था, महिला नेतृत्व और सामुदायिक विकास को भी सशक्त बनायेगा।
*बयान-*
प्रदेश की सहकारी समितियों में महिलाओं की भागीदारी सहकारिता आंदोलन में एक नई ऊर्जा और गति का संचार करेगी। साथ ही महिलाओं के नेतृत्व से सहकारिता क्षेत्र में पारदर्शिता, उत्तरदायित्व और संवेदनशीलता जैसे मूल्य और अधिक मजबूत होंगे। – *डाॅ. धन सिंह रावत, सहकारिता मंत्री, उत्तराखंड।*

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