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Big breaking :-अहम होगा धामी का ‘दिल्ली प्रवास, भाजपा हाईकमान, केन्द्रीय मंत्रियों और उद्योगपतियों साथ करेंगे मंत्रणा, ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023’ और ‘यूसीसी’ पर बनेगी खास रणनीति’

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’अहम होगा धामी का ‘दिल्ली प्रवास’’

’- अगले तीन दिनों तक दिल्ली में मौजूद रहेंगे उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री’

’- भाजपा हाईकमान, केन्द्रीय मंत्रियों और उद्योगपतियों साथ करेंगे मंत्रणा’

’- ‘ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023’ और ‘यूसीसी’ पर बनेगी खास रणनीति’

देहरादून। उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी यूं ही दिल्ली का दौरा नहीं करते। वह जब भी दिल्ली जाते हैं, राज्य के लिए कुछ न कुछ सौगात लेकर ही लौटते हैं। अगले तीन दिनों तक वह दिल्ली में रहेंगे, लेकिन इस बार सीएम धामी उत्तराखण्ड के लिए कुछ मांगने नहीं जा रहे बल्कि दो महत्वपूर्ण मसलों पर फील्डिंग सजाने के लिए वह देश की राजधानी में प्रवास करेंगे। मौजूदा समय में उनका फोकस ‘ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023’ और ‘यूसीसी’ पर है।

 

 

 

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी शनिवार से 22 अगस्त तक दिल्ली में मौजूद रहेंगे। तीन दिन का उनका यह दौरा काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस दौरान उनकी भाजपा हाईकमान, केन्द्रीय मंत्रियों के साथ ही देश के बड़े उद्यमियों के साथ मुलाकात और बैठकें प्रस्तावित हैं। उनकी सबसे अहम बैठक 21 अगस्त को देश के नामी उद्योगपतियों के साथ होनी है। इस बैठक का एकमात्र एजेंडा ‘ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023’ है। यह मेगा इवेंट दिसंबर में आयोजित होना है जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी शामिल हो सकते हैं। दरअसल, धामी सरकार समिट के जरिए देश विदेश के निवेशकों को राज्य में आकर्षित करना चाहती है। धामी जानते हैं कि उत्तराखण्ड में गरीबी दूर करने के लिए रोजगार अवसर बढ़ाने होंगे।

 

 

 

उद्योग आएंगे तो निवेश आएगा और रोजगार मिलेगा तो गरीबी दूर होगी। यही वजह है कि दिसंबर में प्रस्तावित ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट के लिए प्रदेश सरकार ने 2.5 लाख करोड़ रुपये का निवेश प्राप्त करने का लक्ष्य रखा है। राज्य में निवेश बढे, आर्थिक संसाधनों में वृद्धि एवं औद्योगिक वातावरण का सृजन हो, इसके लिए लैंड बैंक तैयार कर सिंगल विंडो सिस्टम को प्रभावी बनाया जा रहा है। धामी इस बात पर फोकस कर रहे हैं कि यह निवेश सिर्फ कागजों में न हो बल्कि शत प्रतिशत धरातल पर उतरे। उनकी योजना है कि निवेशकों को राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में निवेश के लिए प्रोत्साहित किया जाए।

 

 

 

इससे पर्वतीय क्षेत्रों में रोजगार के मौके बढ़ेंगे और पलायन भी रूकेगा। समिट का प्रोमोशन करने धामी कई राज्यों के साथ ही विदेश में भी कई रोड शो करेंगे और बताएंगे कि उत्तराखण्ड का शांत वातावरण उद्यमियों के लिए सर्वथा अनुकूल है। ये भी बताया जाएगा कि राज्य सरकार द्वारा किए गए प्रयासों एवं उद्यमियों की लगन, फीडबैक से हमारा राज्य कैसे ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ रैंकिंग में देश में अचीवर्स की श्रेणी में अन्य कई बड़े राज्यों के समकक्ष खड़ा हुआ है।
दिल्ली में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ चर्चा वार्ता का दूसरा विषय समान नागरिक संहिता (यूसीसी) रहेगा। उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की यूसीसी पर की गई जबरदस्त पहल से समूचे देश में हलचल मची हुई है। 2022 के विधानसभा चुनाव के वक्त के प्रचार के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक ऐसा मुद्दा उछाल दिया था जिसकी राज्य स्तर पर कल्पना तक किसी ने नहीं की थी। खटीमा में बाकायदा प्रेस कॉफ्रेंस कर धामी ने ऐलान किया था कि यदि भाजपा सत्ता में बरकरार रही तो देवभूमि में समान नागरिक संहिता लागू की जाएगी। भाजपा सत्ता में लौटी तो धामी ने पहली कैबिनेट में ही एक्सपर्ट कमेटी का गठन कर अपने इरादे साफ कर दिए। जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में गठित समिति को समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई।

 

 

 

 

इस संबंध में 27 मई, 2022 को एक अधिसूचना जारी कर समिति को उत्तराखंड के निवासियों के व्यक्तिगत दीवानी मामलों से जुड़े विभिन्न मौजूद कानूनों पर गौर करने और विवाह, तलाक, संपत्ति के अधिकार, उत्तराधिकार, विरासत, गोद लेने और रखरखाव जैसे विषयों पर मसौदा कानून या कानून तैयार करने या मौजूदा कानूनों में बदलाव का सुझाव देने के लिए कहा गया था। अब यह एक्सपर्ट कमेटी उत्तराखण्ड के लिए यूसीसी का मसौदा तैयार कर चुकी है जो प्रकाशन के बाद शीघ्र ही धामी सरकार को सौंप दिया जाएगा। इस मामले में मोदी सरकार की दिलचस्पी के बाद अब दो परिस्थितियां बनती दिख रही हैं या तो प्रयोग के तौर पर पहले उत्तराखण्ड में यूसीसी लागू किया जाएगा या फिर पूरे देश के यह संहिता लागू कर दी जाएगी।

 

 

 

 

इसी विषय पर मुख्यमंत्री धामी का डिस्कशन भाजपा हाईकमान के साथ होना है। आने वाले कुछ दिनों में इसे लेकर स्थिति साफ हो जाएगी। मुद्दे की संवेदनशीलता को देखते हुए विपक्षी दल भी इसका खुलकर विरोध नहीं कर पा रहे हैं। इस मसले पर लिया जाने वाला फैसला भाजपा के साथ ही धामी की सियासी पारी के लिए भी मील का पत्थर साबित होगा।

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Author: Swati Panwar
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