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Big breaking :-हरदा – गणेश की चली तो हरक सिंह नहीं मनोज रावत केदारनाथ के लिए बनेंगे पहली पसंद, भले मनोज को लेकर उठ रहें कई सवाल, लेकिन फिर भी हरक पर पड़ेंगे भारी

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पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत को बीते लोकसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशियों के चुनाव प्रचार में नहीं निकलने की कीमत केदारनाथ उपचुनाव में चुकानी पड़ रही है।केदारनाथ उपचुनाव में हरक की दावेदारी पर अब गणेश गोदियाल की नाराजगी भारी पड़ती दिख रही है।

पौड़ी लोकसभा चुनाव से दूरी बनाकर चले हरक सिंह के लिए गोदियाल के कड़ा स्टैंड मुख्य बाधा बनकर खड़ा है। इससे पहले पूर्व सीएम हरीश रावत भी स्थानीय व स्वच्छ उम्मीदवार की वकालत करते हुए हरक सिंह की दावेदारी का खुला विरोध कर चुके हैं।

सीबीआई व ईडी का सामना कर रहे हरक सिंह की बहु अनुकृति गुसाईं व करीबी लक्ष्मी राणा के भाजपा प्रत्यशियों के पक्ष में अपील जारी करना अब मुसीबत का सबब बन गया है।

गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव के दौरान हरक सिंह की भाजपा में एंट्री नहीं हो पाई लेकिन बहु अनुकृति गुसाईं ने भगवा पटका पहन लिया था।

लोकसभा चुनाव के दौरान ईडी , सीबीआई जांच के तेजी पकड़ने और जेल जाने के भय से हरक सिंह ने अपने करीबी साथी गणेश गोदियाल के पौड़ी लोकसभा चुनाव में प्रचार नहीं किया था। जबकि 2022 के विधानसभा चुनाव से ठीक पूर्व रातों रात भाजपा से निष्कासित हरक सिंह को कांग्रेस में शामिल कराने में तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल की अहम भूमिका रही थी।

उंस समय हरीश रावत ने 2016 में कांग्रेस की सरकार गिराने के मुख्य किरदार हरक सिंह की वापसी में वीटो लगा दिया था। कई दिन तक हरक व बहु अनुकृति की कांग्रेस में वापसी रुकी रही। हाईकमान भी हरीश रावत की दलील के आगे असहाय नजर आया।
हरीश के कड़े स्टैंड से हरक सिंह कुछ दिन राजनीति के हाशिये पर खड़े कर दिए गए थे। लेकिन इस बीच गोदियाल ने हरीश रावत समेत अन्य नेताओं को चुनाव इन जीत का हवाला देते हुए हरक सिंह की कांग्रेस में वापसी करवा आक्सीजन मुहैया करा दी थी।

लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के भारी ‘दबाव’ के चलते हरक सिंह पार्टी उम्मीदवारों के प्रचार में बाहर नहीं निकल पाए। पौड़ी लोकसभा चुनाव में अकेले दम पर जूझ रहे गोदियाल को उम्मीद थी कि हरक सिंह उनके प्रचार में आएंगे। लेकिन सीबीआई व ईडी से खौफ खाया हरक सिंह का कुनबा भाजपा के प्रचार में उतर गया। और हरक सिंह ने चुप्पी साध ली।

हरक सिंह का यही रवैया गोदियाल को खल गया। और आज केदारनाथ उपचुनाव में हरक की दावेदारी के विरोध में गोदियाल मजबूती से अड़े हुए हैं। पूर्व सीएम हरीश रावत के साथ कदमताल करते हुए पूर्व विधायक मनोज रावत की पैरवी में उतरे हुए हैं। जबकि प्रदेश अध्यक्ष करण मेहरा व पूर्व विधायक रंजीत रावत ने हरक सिंह के समर्थन में मोर्चा खोला हुआ है।

इधर, हरक सिंह रावत का कहना है कि अगर कांग्रेस किसी और को टिकट देती है तो भाजपा को 100 घोड़े दौड़ाने पड़ेंगे। और अगर उन्हें टिकट देती है तो भाजपा को जीत के लिए एक हजार घोड़े दौड़ाने पड़ेंगे।

यहां यह भी गौरतलब है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रचार से दूर रहने के बाद हरक सिंह ने जुलाईं माह में बदरीनाथ व मंगलौर उपचुनाव में पार्टी प्रत्यशियों का प्रचार कर भाजपा को खूब कोसा था।

यही नहीं, कांग्रेस की अगस्त- सितम्बर में आहूत केदारनाथ धाम प्रतिष्ठा बचाओ पदयात्रा में करण मेहरा के पक्ष में नारेबाजी कर अपनी जोशीली मौजूदगी दर्ज कराई थी।

इस पदयात्रा में गोदियाल की हरक सिंह व मेहरा से तल्खी काफी बढ़ गयी थी। बदरीनाथ की जीत के बाद कांग्रेस को केदारनाथ उपचुनाव में भी जीत का भरोसा है। ऐसे में हरक सिंह भी टिकट की आस संजोए हुए है। लेकिन पहले हरीश रावत का विरोध और मुख्य पर्यवेक्षक गणेश गोदियाल की भारी नाराजगी हरक सिंह के टिकट के सपने को चकनाचूर किये हुए हैं

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Author: Swati Panwar
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