विधानसभा में बैकडोर भर्ती का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है। विपक्ष ने अब हाईकोर्ट में विधानसभा की तरफ से दिए गए एफिडेविट का हवाला देते हुए सीधे मुख्यमंत्री पर निशाना साधा है। जिसमें कहा गया है कि विचलन का प्रयोग कर विधानसभा में बैक डोर से मुख्यमंत्री ने नियुक्ति देने का काम किया। दूसरी तरफ विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी ने विपक्ष के सभी आरोपों का खण्डन किया है।
उनका कहना है कि विधानसभा के कर्मियों को लेकर जो हलफनामा दाखिल किया गया है वह पत्र कहां से पत्र लीक हुआ है इसके बारे में उन्हें जानकारी नहीं है फिलहाल उन्होंने अपने हलफनामे में किसी भी मुख्यमंत्री का नाम का जिक्र नहीं किया है।
उनका कहना है कि उनके सचिवालय में किसी तरह से कोई भी पत्र लीक नहीं हो रहा है बहुत सख्ती रखी जा रही है
लेकिन विपक्ष के विधायक प्रीतम सिंह का कहना है कि सरकार को सदन के भीतर इन सभी आरोपों का जवाब देना होगा।
विधानसभा अध्यक्ष कुछ भी कह रही हो लेकिन उत्तराखण्ड की विधानसभा में चहेतों को नौकरी देने का सिलसिला बरसों पुराना है। सिर्फ धामी कार्यकाल में ही ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। पहले सीएम स्वामी से लेकर आज तक चहेतों को विचलन के माध्यम से नौकरी दी गयी । हर राज्य में मुख्यमंत्री इस विचलन का प्रयोग कर मुद्दों को हल करने का रास्ता निकालते रहे हैं।
विधानसभा में भर्तियों को लेकर एक बार फिर सरकार के विचलन के हथियार बहस छिड़ गई है। कांग्रेस का आरोप है कि सीएम धामी ने विचलन का इस्तेमाल कर बैकडोर एंट्री कर नौकरियां दी।
दरअसल, विधानसभा भर्ती घोटाले में नैनीताल हाईकोर्ट ने डबल बैंच ने स्पीकर प्रेमचन्द अग्रवाल व गोविन्द सिंह कुंजवाल के समय 228 लोगों को नौकरी से हटाने के स्पीकर ऋतु खंडूड़ी के फैसले पर मुहर लगा दी।
इससे पूर्व, हाईकोर्ट की एकल बेंच ने 228 तदर्थ नौकरी पाए लोगों को हटाने सम्बन्धी फैसले पर स्टे दे दिया था।
इसके बाद इस हटाने सम्बन्धी फैसले पर उंगली उठने के बाद विधानसभा प्रशासन ने पूरी तैयारी के साथ हाईकोर्ट की डबल बेंच में तथ्य पेश किए।
विधानसभा भर्ती घपले के शोर के बाद स्पीकर ऋतु खंडूड़ी की बनाई डीके कोटिया समिति की रिपोर्ट और खुद विधानसभा के हाई कोर्ट में दाखिल किए गए काउंटर में विचलन से हुई नियुक्तियों का सिलसिलेवार जिक्र किया गया है।स्वामी कार्यकाल में विचलन से 53 तदर्थ नियुक्ति
साल 2001 – तत्कालीन सीएम नित्यानंद स्वामी ने 53 पदों पर तदर्थ भर्ती को विचलन से ही मंजूरी दी।
तिवारी कार्यकाल में विचलन से 80 तदर्थ नियुक्ति
तत्कालीन सीएम एनडी तिवारी ने तो खुला दिल दिखाते हुए विचलन से तदर्थ भर्ती को मंजूरी देने का रिकॉर्ड ही बना दिया। तिवारी के समय 2002 में 28, वर्ष 2003 में 05, वर्ष 2004 में 18, वर्ष 2005 में 08, वर्ष 2006 में 21 पदों को मंजूरी दी।
जनरल बीसी खण्डूड़ी कार्यकाल में 27 तदर्थ नियुक्ति
2007 में सीएम बने बीसी खंडूड़ी ने तो कुर्सी संभालने के महज कुछ महीने के भीतर ही 27 पदों पर तदर्थ भर्ती को मंजूरी दी।
हरीश रावत कार्यकाल में विचलन के जरिये 156 तदर्थ नियुक्ति
2014 में 07 और 2016 में 149 पदों पर तदर्थ भर्ती की विचलन से मंजूरी तत्कालीन सीएम हरीश रावत ने दी। यही परंपरा 2022 में भी जारी रही।
धामी कार्यकाल में 2021 में 78 तदर्थ भर्तियां की गई। हाईकोर्ट के फैसले के बाद इन भर्तियों को रद्द कर दिया गया।
प्रदेश में विचलन से तदर्थ नियुक्ति देने के मामले में सभी सीएम एक दूसरे से बढ़ चढ़कर रहे।
इधर, सीएम पुष्कर सिंह धामी ने तदर्थ पदों की मंजूरी सिर्फ एक साल के लिए दी थी। यह अवधि दिसंबर 2022 में ही समाप्त हो रही थी। इससे पहले ही भर्ती घोटाले का शोर मचाने के बाद डीके कोटिया समिति की रिपोर्ट के बाद स्पीकर ने 2016 से 2021 तक की गई 228 तदर्थ नियुक्तियों को रद्द कर दिया।
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