आस्था के महाकुंभ का साक्षी बनने
को उमड़ा भारी जन सैलाब
श्री गुरु राम राय जी महाराज व श्रीमहंत देवेन्द्र दास जी महाराज के जयकारों से गूंजी द्रोणनगरी
श्री दरबार साहिब मे 4 बजकर 12 मिनट पर हुआ श्री झण्डे जी का आरोहण
देहरादून। खुशियां नाल मनाईये जन्मदिन सद्गुरु दा…….. श्री गुरु राम राय जी ने रौंणका देहरादून विच लाइंयां…… देखो देखों गुरां दा देखों झण्डा चढ़या….. गुरुभक्ति में संगत व श्री गुरु राम राय जी महाराज के जयकारों के बीच रविवार को 4 बजकर 12 मिनट पर श्री झण्डे जी का आरोहण किया गया। आस्था के महाकुंभ का साक्षी बनने के लिए श्री दरबार साहिब में रविवार को श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा।
लाखों संगतों व दूनवासी श्री झण्डे जी के सम्मुख श्रद्धा के साथ शीश नवाए व हाथ जोड़े खड़े रहे। हर कोई श्री झण्डा साहिब के समक्ष मत्था टेकने और श्री गुरु राम राय जी महाराज के दर्शन को बेताब रहा। श्री दरबार साहिब परिसर व आसपास के क्षेत्रों में तिल रखने भर की भी जगह नहीं थी। जैसे-जैसे श्री झण्डे जी पर गिलाफ के आवरण चढ़ाने का क्रम बढ़ता जाता, संगतों व दूनवासियों का उत्साह भी पराकाष्ठा तक पहुंचता जाता। दर्शनी गिलाफ के चढ़ते ही व श्री झण्डे जी के आरोहण की प्रक्रिया प्रारम्भ होते ही श्री गुरु राम राय महाराज जी के जयकारों की ध्वनि तेज हो उठी। मंगलवार शाम 3ः58 मिनट पर जैसे ही श्री दरबार साहिब देहरादून के सज्जादानशीन श्रीमहंत देवेन्द्र दास जी महाराज ने आरोहण की प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया, वैसे ही पूरी द्रोणनगरी श्री गुरु राम राय जी महाराज के जयकारों से गूंज उठी। 4 बजकर 12 मिनट पर श्री झण्डे जी का आरोहण पूर्णं हुआ। संगतों व दूनवासियों ने श्री गुरु राम राय जी महाराज के जयकारे लगाए व ढोल की थाप पर जमकर नृत्य किया। इसी के साथ देहरादून के ऐतिहासिक एवम् सांस्कृतिक विरासत श्री झण्डे जी मेले का विधिवत शुभारंभ हो गया।
रविवार सुबह सूर्य की पहली किरण भी धरती पर नहीं पड़ी थी कि श्री दरबार साहिब परिसर एवम् आस-पास का क्षेत्र संगातों व दूनवासियों से खचाखच भर गया। श्री झण्डे जी को उतारने के लिए संगतें श्री झण्डे जी के नीचे एकत्र हो गईं। श्री झण्डे जी को उतरते व फिर चढ़ते देखना अपने आप में अद्भुत एवम अद्वितीय नज़ारा है इस पुण्य को अर्जित करने के लिए देश-विदेश से आई संगतें इस पावन बेला का साल भर बेसब्री से इंतजार करती हैं। सुबह 8ः00 बजे श्री झण्डे जी को उतारा गया व पूजा अर्चना की गई। श्री झण्डे जी (पवित्र ध्वज दण्ड) को संगतों ने सुबह दूध, घी, शहद, गंगाजल व पंचगब्यों से स्नान करवाया। 90 फीट ऊंचे श्री झण्डे जी पर पहले सादे और शनील के गिलाफ चढ़ाने की प्रक्रिया शुरू हुई। खास बात यह कि इस दौरान श्री झण्डे जी को ज़मीन पर नहीं रखा जाता। संगतें अपने हाथों पर श्री झण्डे जी को थामे रहती हैं। दोपहर करीब 12ः30 बजे श्री झण्डे जी पर दर्शनी गिलाफ चढ़ाया गया। यह दृश्य देखते हुए संगतों व दूनवासियों के श्रद्धाभाव आंखों से छलक आए। हर कोई दर्शनी गिलाफ को छूकर पुण्य अर्जित करने के लिए उत्सुक दिखा।
2 बजकर 05 मिनट पर नए मखमली और सुनहरे गोटों से सुसज्जित गिलाफों (वस्त्रो)ं द्वारा श्री झण्डे जी के आरोहण की प्रक्रिया आरंभ हुई। श्री दरबार साहिब के सज्जादानशीन श्रीमहंत देवेन्द्र दास जी महाराज के दिशा-निर्देशन में श्री झण्डे जी के नीचे लगी लकड़ी की कैंचियों को थामे श्रद्धालुजन श्री झण्डे जी को उठा रहे थे। शाम 4 बजकर 12 मिनट पर श्री झण्डे जी का आरोहण हुआ। पूरा श्री दरबार साहिब परिसर व निकटवर्ती समूचा क्षेत्र श्री गुरु राम राय जी महाराज के जयकारों से गूंज उठा। इसी दौरान एक बाज ने श्री झण्डे जी की भी परिक्रमा की। श्री झण्डे जी के आरोहण के समय बाज की इस चमत्कारी उपस्थिति को श्री गुरु राम राय जी महाराज की सूक्ष्म उपस्थिति के रूप में हर साल दर्ज किया जाता है। इसके साथ ही खुशियों में सराबोर संगतें व दूनवासी झूमने लगे
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