UTTARAKHAND NEWS

Big breaking :-उत्तराखण्ड में अवैध नशा मुक्ति केंद्रों के खिलाफ सख्त हुई धामी सरकार, पंजीकरण न कराने वाले केंद्रों पर स्वास्थ्य सचिव ने दिए कड़ी कार्रवाई के निर्देश

 

*उत्तराखण्ड में अवैध नशा मुक्ति केंद्रों के खिलाफ सख्त हुई धामी सरकार, पंजीकरण न कराने वाले केंद्रों पर स्वास्थ्य सचिव ने दिए कड़ी कार्रवाई के निर्देश*

*उत्तराखंड को 2025 तक नशा मुक्ति की मुहिम ने पकड़ा जोर, सीएम धामी की सोच को तेजी से धरातल पर उतार रहे स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार*

देहरादून। उत्तराखंड में नशा तस्करी को रोकने और नशे के तंत्र को ध्वस्त करने के लिए धामी सरकार गंभीरता से प्रयास कर रही है। प्रदेश में अवैध तौर पर संचालित किये जा रहे नशा मुक्ति केंद्रों पर सरकार की नजर टेढ़ी हो गयी है। सीएम धामी ने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड को वर्ष 2025 तक ड्रग्स फ्री बनाने का लक्ष्य रखा गया है, इस अभियान को सबको मिलकर सफल बनाना है। खासकर युवाओं के जागरूक होने से ही नशे के विरुद्ध जंग जीती जा सकती है। जिसको देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने सभी नशामुक्ति केंद्रों का पंजीकरण अनिवार्य कर दिया है। सरकार ने अवैध संचालकों को चेतावनी दी है कि यदि उन्होंने पंजीकरण नहीं कराया तो उनके केंद्रों पर एक्ट के अनुसार कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

राज्य के स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार के अनुसार प्रदेश को 2025 तक नशा मुक्त करना है। राज्य में जहां एक ओर आमजन और विशेषकर युवाओं में नशे के विरुद्ध जागरूकता लाई जा रही है, वहीं नशा तस्करी से जुड़े अपराधियों पर कड़ी करवाई की जा रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशों में नशा ग्रस्त व्यक्तियों को मुख्यधारा से जोड़ने व पुनर्वास के लिए प्रदेश के समस्त जनपदों में नशा मुक्ति केंद्रों को प्रभावी बनाया जा रहा है। वर्तमान में चार इंटीग्रेटेड रिहैबिलिटेशन सेंटर फॉर एडिक्ट्स संचालित किए जा रहे हैं। राज्य सरकार की ओर से समाज के विभिन्न वर्गों और विशेषकर युवाओं में नशे के दुष्परिणामों को लेकर अभियान चलाया जा रहा है। ऐसे में नशे की गिरफ्त में आए लोगों को काउंसिलिंग और इलाज कर नशे से दूर किया जाएगा। गैर पंजीकृत नशा मुक्ति केंद्रों पर नियंत्रण के लिए सरकार ने यह फैसला लिया है कि जिन केंद्रों का पंजीकरण नहीं कराया जाएगा उनके केंद्रों पर एक्ट के अनुसार कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार के अनुसार नशामुक्ति केन्द्रों एवं मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों के संचालन के लिए कोई मानक नही होने के कारण कई बार अखबारों एवं टेली मीडिया द्वारा कई संस्थानों में अनियमितताओं एवं दुर्व्यवहार की सूचना समय-समय पर आ रही थी। इस कारण सरकार ने इन संस्थानों के लिए नियम-विनियम बनाकर राज्य में प्रख्यापित कर दिये हैं, ताकि सभी मानसिक स्वास्थ्य संस्थान, नषामुक्ति केन्द्र व ऐसे पुनर्वास केन्द्र जहां मानसिक रोग से ग्रस्त व्यक्ति रखे जाते हैं, उन नियम के अनुरूप क्रियान्वित हो एवं सभी को राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण में पंजीकृत होना अनिवार्य है। सभी पंजीकृत संस्थानों का समय-समय पर अंकेक्षण एवं निरीक्षण भी कराया जायेगा एवं पंजीकृत करने की अंतिम तारीख 14 दिसम्बर है।

स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने बताया मौजूदा समय में राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण में लगभग 70 नशामुक्ति केन्द्रों एवं मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों द्वारा पंजीकरण हेतु आवेदन कर दिया गया है, जिसके क्रम में अनन्तिम पंजीकरण प्रमाण-पत्र आवंटन की प्रक्रिया गतिमान है। अपंजीकृत केन्द्र संचालित करने पर वह केन्द्र गैर-कानूनी माने जायेंगे एवं उनके विरूद्ध राज्य मानसिक स्वास्थ्य देख-रेख अधिनियम-2017 के प्राविधान के तहत कार्रवाई की जायेगी।

गौरतलब है कि उत्तराखण्ड में युवाओं में नशे की प्रवृत्ति एक प्रमुख समस्या के रूप में उभर कर सामने आ रही है। जिसका उनके मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है। डब्लू.एच.ओ. की 2001 की रिपोर्ट के अनुसार भारत में मानसिक रोग से ग्रस्त व्यक्तियों का औसत कुल आबादी को 10 प्रतिशत है। इस रिपोर्ट के मुताबिक उत्तराखण्ड में मानसिक रोगियों की संख्या लगभग 11 लाख 70,000 है, जिसमें से 2,34,000 अति गम्भीर रोगी हैं एवं 6 साल तक मानसिक दुर्बलता से ग्रस्त बच्चों की संख्या लगभग 1,17,000 है। उत्तराखण्ड के एकमात्र मानसिक स्वास्थ्य चिकित्सालय, सेलाकुई, देहरादून में मानसिक रोग से ग्रस्त दीर्घकालीन प्रवास करने वाले रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। वर्तमान में वहां लगभग 26 ऐसे मरीज है, जिनको पुनर्वास केन्द्र निर्मित होने पर वहां भेजा जा सकता है।

मानसिक स्वास्थ्य देख-रेख अधिनियम-2017 की मानसिक रुगण्ता की परिभाषा में नशे की आदत को मानसिक रोग की श्रेणी में शामिल किया गया है। अतः यहां पर उत्तराखण्ड की स्थिति राष्ट्रीय औसत से अधिक हैरू-

उत्तराखण्ड मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्यरत विषेशज्ञों की भारी कमी है एवं पुनर्वास केन्द्रों की संख्या भी बहुत सीमित है। राज्य सरकार नशामुक्त भारत अभियान के तहत संकल्पबद्ध है। जिसके क्रम में सरकार द्वारा 30 राजकीय चिकित्सकों को निम्हांस बंगलुरू से डीपीसीपी का कोर्स कराया गया है और उनसे भी मानसिक रोगियों के उपचार का कार्य करवाया जा रहा है। प्रदेश में दो स्थानों पर 100 शैय्यायुक्त नशामुक्ति केन्द्र एक कुमाऊं और एक गढ़वाल मण्डल में बनाये जाने की प्रकिया गतिमान है।

मानसिक स्वास्थ्य संस्थान, सेलाकुई को 100 शैय्यायुक्त मानसिक चिकित्सालय में उच्चीकृत किया गया है। इसके अतिरिक्त गेठिया जनपद नैनीताल में 100 बेड का मानसिक चिकित्सालय को बनाने की योजना पर कार्य किया जा रहा है। सरकार द्वारा राज्य के जिला चिकित्सालयों में 5 प्रतिशत बेड मानसिक रोगियों एवं नशे के आदि व्यक्तियों के उपचार के लिए आरक्षित करने के निर्देश दिये गये है।

 

स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने बताया नशामुक्त उत्तराखंड अभियान को अधिक प्रभावी बनाने के लिए प्रदेश सरकार लगातार बेहतर सेवाएं और इलाज की व्यवस्था कर रही है। नशामुक्ति के लिए टेली-काउंसिलिंग की सुविधा भी दी जा रही है। टेली-मानस के तहत चौबीस मानसिक स्वास्थ्य सहायता उपलब्ध करायी जा रही है। जिसका टोल-फ्री नं0-14416 एवं 18008914416 है।

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

न्यूज़ हाइट (News Height) उत्तराखण्ड का तेज़ी से उभरता न्यूज़ पोर्टल है। यदि आप अपना कोई लेख या कविता हमरे साथ साझा करना चाहते हैं तो आप हमें हमारे WhatsApp ग्रुप पर या Email के माध्यम से भेजकर साझा कर सकते हैं!

Click to join our WhatsApp Group

Email: [email protected]

Author

Author: Swati Panwar
Website: newsheight.com
Email: [email protected]
Call: +91 9837825765

To Top