Big breaking :-हर्षिल सैन्य कैंप और हेलिपैड तबाह, तेलगाड के मुहाने पर जमा मलबा दोबारा बन सकता है खतरा - News Height
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Big breaking :-हर्षिल सैन्य कैंप और हेलिपैड तबाह, तेलगाड के मुहाने पर जमा मलबा दोबारा बन सकता है खतरा

हर्षिल सैन्य कैंप और हेलिपैड तबाह, तेलगाड के मुहाने पर जमा मलबा दोबारा बन सकता है खतरा

उत्तरकाशी आपदा में हर्षिल सैन्य कैंप और हेलिपैड तबाह हो गया। तेलगाड के मुहाने पर जमा मलबा दोबारा बन सकता यहां खतरा बन सकता है।

हर्षिल सैन्य कैंप और हेलिपैड में तबाही मचाने वाली तेलगाड के मुहाने पर एकत्रित मलबा अभी भी बड़ा खतरा बना हुआ है। वहीं दूसरी ओर खीरगंगा की तबाही की कहानी करीब पिछले सात से आठ वर्षों से बन रही थी। क्योंकि वहां पर आसपास की बुग्याल की भूमि पर लगातार कटाव जारी था।

 

हर्षिल सैन्य कैंप और हेलिपैड में तबाही मचाने वाली तेलगाड के मुहाने पर एकत्रित मलबा अभी भी बड़ा खतरा बना हुआ है। वहीं दूसरी ओर खीरगंगा की तबाही की कहानी करीब पिछले सात से आठ वर्षों से बन रही थी। क्योंकि वहां पर आसपास की बुग्याल की भूमि पर लगातार कटाव जारी था।

कई वर्षों में पहली बार क्षेत्र में अधिक बारिश होने के कारण उसने पानी और मलबे के रूप में तबाही का रूप ले लिया। यही स्थिति अब तेलगाड के ऊपर बन रही है। बीते पांच अगस्त को धराली में खीर गंगा ने ऐसी तबाही मचाई की उसके जख्म शायद ही कभी कोई भूल पाएगा

2019 के बाद से मुहाने पर भूकटाव होने के कारण मलबा एकत्रित हो रहा था
वहीं उसके बाद तेलगाड के उफान पर आने के कारण सेना का बहुत नुकसान हुआ। हालांकि उसके बाद दोनों का कहर थम गया लेकिन अभी भी संकट के बादल हटे नहीं हैं। हर्षिल के सेना कैंप और हेलिपैड को क्षति पहुंचाने वाली तेलगाड के मुहाने की तस्वीर जो सामने आई है। वह बहुत ही चिंताजनक है। क्योंकि वहां पर अभी भी पहाड़ी पर मलबा एकत्रित है। जो कि कभी भी बड़ी आपदा का रूप ले सकता है।
तेलगाड का संगम जहां पर भागीरथी से होता है। वहां पर भागीरथी नदी का स्पैन बहुत कम है और ऐसी स्थिति में तेलगाड में बहकर आने वाले मलबे और पानी से एक बार फिर झील बनने की स्थिति बन सकती है। वहीं धराली को तबाह करने वाली खीरगंगा के ऊपर बताया जा रहा है कि वर्ष 2019 के बाद से मुहाने पर भूकटाव होने के कारण मलबा एकत्रित हो रहा था।

 

वह करीब सात से आठ साल से अधिक बारिश और लगातार पिघल रहे ग्लेशियर के कारण विनाश का कारण बना। वरिष्ठ भू वैज्ञानिक प्रो. वाईपी सुंद्रियाल कहते हैं कि किसी भी नदी के मुहाने पर मलबा एकत्र होना या अतिक्रमण होना भविष्य में खतरे का बड़ा कारण बन सकता है। ऊपरी क्षेत्र में पिघल रहे ग्लेशियर अधिक संवेदनशील हैं।

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Author: Swati Panwar
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