हरीश रावत ने उत्तराखण्डीयत एक किताब लिखी है जिसका लोकार्पण -28 अप्रैल, 2023 को अपराह्न् 3 बजे #नीरजा_ग्रीन्स_देहरादून एक सामुहिक कार्यक्रम स्थल में (हरिद्वार बाईपास रोड, रिस्पना पुल से आईएसबीटी की तरफ प्रस्थान करते वक्त दाहिने हाथ की तरफ निरंकारी भवन के निकट हुंडई शोरूम के सामने) मेरी लेखों के रूप में संकलित पुस्तक का लोक अर्पण होगा। पुस्तक का नाम दिया गया है “#उत्तराखंडियत” मेरा जीवन लक्ष्य। मैंने अत्यधिक मंथन के बाद पुस्तक के #लोक_अर्पण के लिए हरिद्वार के महान संत #शंकराचार्य राजराजेश्वर जी से अनुरोध किया। मुझे बेहद प्रसन्नता हुई कि मेरे यह बताने के बावजूद भी कि कुछ लेखों की सामग्री राजनैतिक हो सकती है, उन्होंने कहा यदि लेख में आपके विचार हैं, मुझे सब ग्राही हो यह कैसे हो सकता है और यह आवश्यक भी नहीं है, मैं विरोधाभासी विचारों का भी सम्मान करता हूं। मेरे और परम आदरणीय शंकराचार्य जी के मध्य केवल एक समानता है कि मैं भी सनातन विचारों का अध्येता हूं और वो सनातन विचारों के प्रतीक पुरुष हैं। हां, यह अवश्य है कि मैं उनके प्रति आदर भाव रखता हूं और वह मेरे प्रति स्नेह भाव रखते हैं। जबकि यह वास्तविकता है कि श्री शंकराचार्य जी जिस स्कूल ऑफ थॉट के समर्थक हैं, मैं उसके विपरीत गांधी वादी सोच का अनुकरण करता हूं और मैं समझता हूं इस कार्यक्रम की यही सबसे बड़ी विशेषता है। मैंने कुछ खांटी के भाजपा के लोगों को भी टटोलने का प्रयास किया है। देश के नामचीन विपक्षी पार्टियों के भी उत्तराखंड के नेतागणों को मैंने आमंत्रित किया है। पत्रकार यदि समालोचक की भूमिका में हैं तो वो सबसे बड़े समन्वय कर्ता होते हैं। मैंने अमर उजाला के राजनीतिक संपादक श्री विनोद अग्निहोत्री जी को भी आमंत्रित किया है। श्री अपूर्व जोशी, संडे पोस्ट के नामचीन संपादक और मेरे मध्य विचारों में सामंजस्य पूर्ण समानता में विभिन्नता है, आगे बढ़ने के रास्तों में बड़ा गहरा विरोधाभास है। मैंने उनसे और श्री सुरेन्द्र कुमार अग्रवाल जी से अनुरोध किया है कि वो मंच का संचालन करें। मेरे बहुत सारे दोस्त जिनको मैं आमंत्रित करूंगा, मगर मेरी दिली इच्छा रहेगी कि मेरी पुस्तक को खरीदने जिसका हमने मूल्य केवल ₹200 रखा है, वो खरीदने में उदारता बरतें। आप सब पुस्तक के #लोक_अर्पण_समारोह में सादर आमंत्रित हैं।
#उत्तराखंड
वही हरीश रावत के किताब लिखने के सोशल मीडिया पर घोषणा के बाद हरीश रावत के पुराने सहयोगी रहे किशोर उपाध्याय जो आप बीजेपी के विधायक हैं ने सोशल मीडिया पर साफ तौर पर लिखा कि
चोर चोरी से जाय, हेरा-फेरी से न जाय। *
एक घटना पर 2016 में जब मैने कहा कि “यह उत्तराखण्डियत पर हमला है” तो अगला आदमी कहने लगा, यह उत्तराखण्डियत क्या होती है? आज सुना है, वे उत्तराखण्डियत पर किताब लिख चुके हैं।
वही किशोर उपाध्याय ने जब फेसबुक पर पोस्ट लिखी तो उसके बाद हरीश रावत ने भी पलटवार किया है
“चोर-चोरी से जाए, #हेरा_फेरी से न जाए” बड़ा ही दिलचस्प मुहावरा है, वास्तविकता है! बचपन में मां का प्यार चुराया, फिर गांव, घर, अड़ोस-पड़ोस, फिर ककड़ियां और फल चुराये, गुरुजनों से ज्ञान चुराया लेकिन कुछ कम चुरा पाया, फिर मैंने उत्तराखंड आंदोलनकारी शब्द भी चुराया, श्री विजय बहुगुणा, श्री सतपाल, श्री गोविंद सिंह से मैंने भराड़ीसैंण-गैरसैंण शब्द भी चुराया और जब मैं मुख्यमंत्री बना तो अपनी कई पहलों को नाम देने के लिए “#उत्तराखंडियत” शब्द भी चुराया। मगर मैं निष्ठावान हूं, मां के प्रति, अपने घर-गांव व अड़ोस-पड़ोस के प्रति, गुरुजनों के प्रति, भराड़ीसैंण-गैरसैंण के प्रति, राज्य आंदोलन के प्रति और अब “उत्तराखंडियत” के प्रति निष्ठावान हूं। भराड़ीसैंण राजधानी शब्द जिनसे चुराया उनमें से दो लोग तो निष्ठावान नहीं रह गए हैं श्री सतपाल और श्री विजय! देखते हैं जिससे उत्तराखंडियत शब्द चुराया वो उसके प्रति कितना निष्ठावान रह पाता है!! हां मैं हेरा-फेरी वाला नहीं हूं। अपनी धरती, अपने राज्य और अपनी पार्टी, अपने नेता, सबके प्रति मेरी निष्ठा अटूट है। हेरा-फेरी की आदत में गड़बड़ है जो एक बार डगमगाया उस पर फिर कोई विश्वास नहीं करता है।
#uttrakhand #Congress #BJP4IND #BJP4UK
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