हरीश रावत ने फिर 2027 में चुनाव ना लड़ने की घोषणा कर दी है हालांकि 2024 का लोकसभा चुनाव भी हरीश रावत नहीं लड़े थे लेकिन फिर भी हरीश रावत को चुनावी रणनीति से बाहर नहीं किया जा सकता हरीश रावत खुद कह तो रहें है लेकिन चुनावों में क्या होगा वो शसमय बताएगा हालांकि बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट तो हरीश रावत के फैसले का स्वागत कर रहें है साथ ही हरीश रावत से सन्यास लेने को भी कह रहें है
हरदा की सक्रियता बता रही 27 में फ्रंट पर होगी चेहरे की जंग, कांग्रेस में सबसे अधिक सक्रिय
वरिष्ठ नेता हरीश रावत 2027 के चुनावों के लिए सक्रिय हो गए हैं। विरोधियों के अटकलों के बावजूद वे कांग्रेस में सबसे अधिक सक्रिय हैं। रामनगर से शुरू हुई उनकी न्याय यात्रा अब गुंजी तक जाएगी। उनकी सक्रियता से कांग्रेस में 2027 में मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर बहस छिड़ सकती है। वे मंदिरों में न्याय की याचना करेंगे और युवा कार्यकर्ताओं के साथ बुजुर्गों से भी मिलेंगे।
2027 अभी दूर है लेकिन कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व सीएम हरीश रावत ने अभी से चुनावी तैयारियां शुरू कर दी है। विरोधी चाहे कुछ भी कहे लेकिन अब भी कांग्रेस में उनसे ज्यादा सक्रिय कोई नहीं है। वैैसे तो पिछले दिनों हरदा ये कह चुके हैं कि वो अब चुनाव नहीं लड़ेंगे। लेकिन राजनीति में परिस्थितियां ही तय करती है कि कब औैर क्या होगा? समीकरण ही तय करते है कि अगला कदम या यूं कहे कि नई सियासी चाल क्या होगी?
फिलहाल उत्तराखंड कांग्रेस के सबसे अनुभवी नेता रामनगर से निकलकर पहाड़ को रवाना हो चुके हैं। अब आगे वो सरकार के विरुद्ध गूंजी तक में “गूंजते” नजर आएंगे। दूसरी तरफ हरदा की ये सक्रियता कांग्रेस की अंदरूनी सियासत में आज नहीं तो कल ये बहस जरूर छेड़ देगी कि 2027 में फ्रंट पर वो होंगे या फिर शुरू होगी चेहरे की जंग। साल 2017 में कांग्रेस की उत्तराखंड से विदाई की टीस पूर्व सीएम हरीश रावत के मन में अब भी होगी। पार्टी संग उन्हें भी पूरी उम्मीद थी कि 2022 में वापसी होंगी। लेकिन समीकरण और रणनीति दोनों धरी रह गई।
दूसरी तरफ विरोधियोें को ये लगने लगा कि लगातार मिले चुनावी झटके अब हरदा को घर बैठा ही देंगे। लेकिन पूर्व सीएम की सक्रियता फिर भी कम नहीं हुई। सियासी जीवन से जुड़ने के बाद कैसे जनता और कार्यकर्ताओं के बीच कैेसे चर्चाओं में रहा जाता है। इस बात को बखूबी समझने वाले हरदा ने अपनी स्थगित न्याय यात्रा बुधवार से फिर शुरू कर दी। जिसका पहला पड़ाव रामनगर था।
सीमांत गांव में शामिल गुंजी, बांगला, कुटी और नाथी के ग्रामीणों से भी मुलाकात करेंगे। कुल मिलाकर 29 मई तक हर दिन एक नए कार्यक्रम में नया सियासी रंग भी देखने को मिलेगा।
मंदिरों में करेंगे न्याय याचना
न्याय यात्रा के अलग-अलग पड़ाव पर पूर्व सीएम जागेश्वर धाम, आदि कैैलाश, ओम पर्वत और मां उल्का मंदिर के दर्शन भी करेंगे। हरदा अक्सर ये कहते है कि भाजपा ने चुनावी झूठ के दम पर सत्ता हासिल की है। भाजपा के झूठ को बेनकाब करने के लिए वो न्याय यात्रा पर निकले हैं। इसलिए मंदिरों में न्याय को लेकर याचना भी करेंगे।

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