हरिद्वार नगर निगम में भूमि खरीद घोटाले की जांच करने आईएएस अफसर रणवीर सिंह चौहान हरिद्वार पहुंच गए है और जांच शुरू कर दी है।
घोटाले का सारांश
हरिद्वार नगर निगम ने नवंबर 2024 में सराय गांव में स्थित लगभग 33 बीघा भूमि को ₹54 करोड़ में खरीदा। यह भूमि नगर निगम के कूड़ा निस्तारण केंद्र के पास स्थित थी। आरोप है कि इस भूमि का वास्तविक मूल्य ₹10-15 करोड़ था, लेकिन लैंड यूज बदलकर और सर्किल रेट का लाभ उठाकर इसे अधिक कीमत पर खरीदा गया, जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ ।
कार्रवाई और जांच
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर इस मामले की जांच गन्ना और चीनी विभाग के सचिव रणवीर सिंह चौहान को सौंपी गई। जांच में प्रथम दृष्टया गंभीर अनियमितताएं पाई गईं, जिसके आधार पर निम्नलिखित अधिकारियों को निलंबित किया गया:
रवीन्द्र कुमार दयाल (प्रभारी सहायक नगर आयुक्त)
आनंद सिंह मिश्रवाण (प्रभारी अधिशासी अभियंता)
लक्ष्मीकांत भट्ट (कर एवं राजस्व अधीक्षक)
दिनेश चंद्र कांडपाल (अवर अभियंता)
इसके अतिरिक्त, सेवा विस्तार पर कार्यरत सेवानिवृत्त संपत्ति लिपिक वेदपाल की सेवा समाप्त कर उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं । वरिष्ठ वित्त अधिकारी निकिता बिष्ट से स्पष्टीकरण मांगा गया है ।
पूर्व नगर आयुक्त पर आरोप
पूर्व नगर आयुक्त वरुण चौधरी पर भी आरोप लगे हैं कि उन्होंने 35 बीघा भूमि ₹36 करोड़ में खरीदी, जबकि उसका वास्तविक मूल्य ₹10 करोड़ से भी कम था। इस खरीद में अनियमितताओं के आरोपों के चलते मुख्यमंत्री ने उनके खिलाफ भी जांच के आदेश दिए हैं ।
आगे की कार्रवाई
सरकार ने इस मामले में दोषी अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू कर दी है । जमीन बेचने वाले किसानों के बैंक खातों को फ्रीज करने के आदेश भी दिए गए हैं ।
यह घोटाला उत्तराखंड में सरकारी भूमि खरीद में पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता को उजागर करता है। जांच जारी है, और आगे की जानकारी के लिए हम आपको अपडेट करते रहेंगे।

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