किसी भी राष्ट्र के सशक्त निर्माण हेतु उस राष्ट्र की भावी पीढ़ी का शिक्षित होना आवश्यक है। माता-पिता के बाद बच्चों को प्राथमिक स्तर पर शिक्षित करने के साथ-साथ उन्हे सच्चरित्र एंव समर्पित नागरिक बनाने में उस राष्ट्र के शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। एक आदर्श अध्यापक वही है, जिसका अनुसरण समाज एंव उसके छात्र करें। दूसरे शब्दों में शिक्षक को राष्ट्र निर्माता भी कहा जाता है।
विगत कुछ समय से विभिन्न माध्यमों से विद्यालय समय में शिक्षकों के मदिरा सेवन कर विद्यालय आने के मामले प्रकाश में आए हैं। इस प्रकार का आचरण शिक्षकों के साथ ही विभाग की छवि धूमिल करता है। कार्मिकों का यह आचरण उत्तरांचल राज्य कर्मचारियों की आचरण नियमावली, 2002 द्वारा प्रतिपादित नियम-4 (क) के सर्वथा प्रतिकूल है।
अतः एतद्द्वारा समस्त मण्डलीय, जनपदीय एंव विकासखण्ड स्तरीय शिक्षाधिकारियों को निर्देशित किया जाता है कि कृपया यह सुनिश्चित कर लें कि किसी भी दशा में उपरोक्त स्थिति उत्पन्न न हो तथा शिक्षकों / कार्मिकों के विद्यालय / कार्यालय समय में किसी मादक पेय या भेषज के प्रभाव से प्रभावित होने का मामला संज्ञान में आने पर ऐसे कार्मिकों के विरूद्ध तत्काल उत्तरांचल राज्य कर्मचारियों की आचरण नियमावली 2002 तथा उत्तराखण्ड सरकारी सेवक (अनुशासन एंव अपील) नियमावली 2003 (यथा संशोधित-2010) के संगत प्रावधानों के अनुसार कठोर कार्यवाही की जाय।
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