इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के लिए नामित हुई गढ़वाली फिल्म ‘रिखुली’, अंधविश्वास से जुड़ी है कहानी
चमोली की अक्षत नाट्य संस्था की ओर से 90 के दशक तक गढ़वाल क्षेत्र की पुरानी परंपराएं और मान्यताओं पर आधारित गढ़वाली फिल्म ‘रिखुली’ का फिल्मांकन चमोली जिले के स्यूण बेमरु, गैर टंगसा, चोपता, घिंघराण और मंडल घाटी में किया गया।
उत्तराखंड में चमोली जिले के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में पिछले साल बनी गढ़वाली फीचर फिल्म ‘रिखुली’ अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल के लिए नामित हुई है। साथ ही रिखुली को स्वीडन में बीते मई माह की सर्वश्रेष्ठ फिल्म और फ्रांस में जुलाई माह की सर्वश्रेष्ठ विदेशी फिल्म भी चुना गया है। अब जल्द फिल्म को दक्षिण कोरिया में भी प्रदर्शित किया जाएगा।
चमोली की अक्षत नाट्य संस्था की ओर से 90 के दशक तक गढ़वाल क्षेत्र की पुरानी परंपराएं और मान्यताओं पर आधारित गढ़वाली फिल्म ‘रिखुली’ का फिल्मांकन चमोली जिले के स्यूण बेमरु, गैर टंगसा, चोपता, घिंघराण और मंडल घाटी में किया गया। फिल्म में दिखाया गया है कि अंधविश्वास पर विश्वास नहीं करना चाहिए।
फिल्म का निर्देशन, लेखन अक्षत नाट्य संस्था से जुड़े अभिनेता जगत किशोर गैरोला ने किया है। करीब 90 मिनट की इस फिल्म में समाज को पर्दे पर संजोने का प्रयास किया गया है। अक्षत नाट्य संस्था के संस्थापक विजय वशिष्ठ, अध्यक्ष केके डिमरी और ओपी पुरोहित ने बताया कि फिल्म को अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल के लिए नामित किया गया है।
विगत दिनों देहरादून में मुख्य सेवक भवन में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी के साथ ही कई कलाकारों ने भी ‘रिखुली’ फिल्म को पर्दे पर देखा और सराहना की थी।
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