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Big breaking :-गंगा जीवन धारा, इसका संरक्षण जरूरी: निशंक* *आम जनमानस की जिम्मेदारी है गंगा संरक्षण की: डॉ. जोशी

*गंगा जीवन धारा, इसका संरक्षण जरूरी: निशंक*
*आम जनमानस की जिम्मेदारी है गंगा संरक्षण की: डॉ. जोशी*
*आत्मा और हृदय का हिस्सा है गंगा: डॉ बडोला*

लेखक गाँव में भारतीय वन्यजीव संस्थान, नमामि गंगे एवं स्पर्श गंगा के संयुक्त तत्वाधान में स्पर्श गंगा महोत्सव-2025 का आयोजन हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि विधायक डोईवाला श्री बृजभूषण गैरोला, विशिष्ट अतिथि पद्म भूषण अनिल प्रकाश जोशी एवं भारतीय वन्य जीव संस्थान की अधिष्ठाता डॉ रूचि बडोला ने दीप प्रज्वलित एवं जलांजलि कर किया। कार्यक्रम में पूरे प्रदेश से चयनित 10 शिक्षकों को “स्पर्श गंगा शिक्षा श्री” पुरस्कार दिया गया, गंगा के प्रति उनके विशेष योगदान के लिए उन्हें यह पुरस्कार दिया गया। प्रदेश भर से आए सैकड़ो बालगंगा प्रहरी एवं गंगा प्रहरियों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया तथा स्पर्श गंगा के अनेक प्रदेशों से आए स्वयं सेवियों को भी प्रशस्ति पत्र देकर सम्मान किया गया। अपने स्थापना वर्ष के पश्चात स्पर्श गंगा हर वर्ष 17 दिसंबर को स्पर्श गंगा दिवस मनाता आया है।
कार्यक्रम में पद्म भूषण अनिल जोशी ने कहा की गंगा संरक्षण की जिम्मेदारी केवल सरकारों की नहीं बल्कि समाज के प्रत्येक व्यक्ति की है, इसके लिए सभी को पर्यावरण के प्रति संवेदनशील होना होगा।
भारतीय वन्यजीव संस्थान की अधिष्ठाता डॉ. रुचि बडोला ने कहा की गंगा उनके लिए केवल नदी मात्र नहीं अपितु आत्मा और हृदय का अभिन्न अंग है, उन्होंने कहा कि हमारा संस्थान लगभग 17000 से अधिक गंगा प्रहरी एवं बालगंगा प्रहरियों के सहयोग से गंगा की स्वच्छता एवं संरक्षण की दिशा में अनेको कार्यक्रम संचालित कर रहा है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विधायक डोईवाला बृजभूषण गैरोला ने कहा कि लेखक गांव डॉ रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ जी की अभिनव पहल है, यह स्थान साहित्य, संस्कृति, कला एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है, उन्होंने स्पर्श गंगा के कार्यक्रमों की सराहना की।
पर्यावरण विद् पद्मश्री कल्याण सिंह रावत ‘मैती’ ने गंगा की अविरलता एवं स्वच्छता को बड़ी चुनौती माना, उन्होंने कहा कि गंगा का संरक्षण तभी है, जब हिमालय सुरक्षित रहेंगे। हमें हिमनदों के संरक्षण के लिए भी कार्य करना चाहिए।
प्रो. अतुल जोशी ने कहा कि उत्कृष्ट कार्य कर रहे शिक्षकों को सम्मान करना समाज में चेतना का कार्य कर रहा है।
स्पर्श गंगा बोर्ड के प्रथम विशेष कार्य अधिकारी प्रो. प्रभाकर बडोनी ने कहा कि शैक्षणिक संस्थाओं के लिए जागरूकता कार्यक्रम विशेषत: गंगा एवं उसकी सहायक नदियों के स्वच्छता कार्यक्रम अनिवार्य रूप से लागू कर देनी चाहिए। वही उद्योग, पर्यटन के क्षेत्र में कार्य कर रहे लोगों की भी जिम्मेदारी तय होनी चाहिए।
पूर्व मुख्यमंत्री एवं लेखक गांव के संरक्षक डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने कहा कि जिस तरह से विश्व भर में प्राकृतिक आपदाएं, मानव जनित आपदाएं एवं नित नए-नए परिवर्तनों से पर्यावरण को क्षति हो रही है, वह आने वाले समय के लिए एक बड़ा संकट है, यदि समय रहे रहते नहीं चेते तो आने वाली पीढ़ी इसका खामियाजा भुगतेगी। इसलिए हमें हिमालय, गंगा और वनों के संरक्षण के लिए चौबीसों घंटे काम करने की आवश्यकता है। उन्होंने इस अवसर पर गंगा के स्वयंसेवकों, बाल गंगा प्रहरी एवं गंगा प्रहरियों के कार्यों की सराहना करते हुए उन्हें समाज का दर्पण बताया।
स्पर्श गंगा की राष्ट्रीय संयोजक डॉ. आरुषि ‘निशंक’ ने स्पर्श गंगा अभियान के तहत चलाई जा रही विभिन्न कार्यक्रमों की जानकारी साझा की तथा भविष्य की रूपरेखा से भी अवगत कराया। आरुषि ने कहा कि गंगा की स्वच्छता के लिए ‘संडे क्लीनिंग ड्राइव्स’ चलाई जा रही है भविष्य में इसको और विस्तार दिया जाएगा, गंगोत्री से लेकर गंगासागर तक इस पर हर संभव प्रयास होगा। लेखक गांव की निदेशक श्रीमती विदुषी ‘निशंक’ ने सभी आगंतुकों का स्वागत करते हुए कहा कि गंगा संरक्षण का पवित्र भाव सदैव हमारे विचार, व्यवहार एवं संस्कारों में आना जरूरी है।
गंगोत्री उत्तरकाशी से आए स्पर्श गंगा स्वयंसेवकों ने गंगा को स्वच्छ बनाए रखने के लिए नृत्य नाटिका प्रस्तुत की तथा विभिन्न विद्यालयों से आए छात्रों ने चित्रकला प्रतियोगिता में भाग लिया, जिन्हें आने वाले कार्यक्रम में पुरस्कृत किया जाएगा।

कार्यक्रम में उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नवीन चंद्र लोहनी, स्पर्श हिमालय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. गोविंद सिंह रजवार, कुमाऊं विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता प्रो. अतुल जोशी, पूर्व उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. सविता मोहन, पं. सुरेश सेमवाल, राज्य मंत्री नवीन चंद्र वर्मा, चन्द्रवीर पोखरियाल, डॉ. राजेश नैथानी, स्पर्श हिमालय विश्वविद्यालय के सचिव श्री बालकृष्ण चमोली, सनराइज एकेडमी की प्रबंध निदेशक श्रीमती पूजा पोखरियाल, लेखक गांव के सीईओ ओपी बडोनी सहित सहित अनेक शिक्षाविद् एवं शोधार्थी उपस्थित रहे।

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Author: Pankaj Panwar
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