अपने कई विवादित बयानों से बैकफुट में आ चुके महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह ने अब अपनी व्यथा गृह मंत्री अमित शाह को बताई है। मीडिया रिपोर्ट्स है कि उन्होंने शाह को पत्र लिखकर मार्गदर्शन मांगा है। उन्होंने पत्र में कहा है कि वो सक्रिय राजनीति में नहीं रहना चाहते थे। तब उन्हें राज्यपाल बनाया गया। लेकिन अब आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। कृपया बताइए कि मैं क्या करूं।छत्रपति शिवाजी महाराज पर अपनी टिप्पणी और विपक्षी दलों द्वारा प्रस्तावित विरोध मार्च पर विवाद के बाद, महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को दो पेज का पत्र लिखा है। जिसमें उन्होंने संकेत दिया कि वह पद छोड़ने के इच्छुक हैं। 6 दिसंबर को दो पन्नों के पत्र में इस मुद्दे पर अपना पक्ष स्पष्ट किया और केंद्रीय गृह मंत्री से सलाह मांगी है कि आगे क्या करना है।
भाजपा सूत्रों ने यह भी संकेत दिया था कि 8 दिसंबर को गुजरात चुनाव के नतीजे आने के बाद राज्यपाल पद छोड़ देंगे। राजभवन के प्रवक्ता ने पत्र की पुष्टि या खंडन नहीं किया।
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व राज्यसभा सांसद कोश्यारी ने भी व्यक्तिगत रूप से पद छोड़ने की इच्छा जताई है। छत्रपति शिवाजी महाराज, महात्मा ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले और डॉ बीआर अम्बेडकर पर उनकी टिप्पणियों ने बवाल खड़ा कर दिया है। विपक्षी शिवसेना, कांग्रेस और राकांपा उनके खिलाफ विरोध कर रहे हैं, खासकर उनकी इस टिप्पणी के बाद कि शिवाजी महाराज पिछले युग के प्रतीक थे और अब राज्य में बीआर अंबेडकर से लेकर नितिन गडकरी तक नए प्रतीक हैं।
अपने भी जता रहे विरोध
उन्होंने टिप्पणी पर खेद व्यक्त करते हुए कहा कि उनकी गलत व्याख्या की गई लेकिन विपक्ष के साथ-साथ मराठा संगठन भी उन्हें हटाने की मांग कर रहे हैं। शिवाजी महाराज के वंशज उदयनराजे भोंसले, एक भाजपा राज्यसभा सांसद और संभाजीराजे छत्रपति ने भी उन्हें हटाने की मांग की है।
कोश्यारी के खत में क्या है
एक अधिकारी ने कहा कि कोश्यारी ने अपने पत्र में बताया है कि कैसे उनकी टिप्पणियों का चुनिंदा इस्तेमाल किया गया। पत्र में कहा गया है कि उनके भाषण के चुनिंदा हिस्से दिखाए गए और यह आलोचना का विषय बन गया।
पत्र में कहा गया है कि उन्होंने कहा था कि युवा कुछ शख्सियतों को अपना आदर्श मानते हैं और उनसे प्रेरणा लेते हैं। “मैंने छात्रों से कहा कि कुछ महात्मा गांधी, पंडित नेहरू, सुभाष चंद्र बोस को रखते हैं। महाराष्ट्र के संदर्भ में, मैंने कहा कि डॉ. बीआर अंबेडकर से लेकर नितिन गडकरी तक के नेता आदर्शों के लिए उदाहरण हो सकते हैं। इसका मतलब यह था कि छात्र एपीजे अब्दुल कलाम, होमी को रख सकते हैं। आज भले ही देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी का नाम भी उच्च सम्मान में रखा जाता है। लेकिन यह किसी भी तुलना का कारण नहीं था
शिवाजी महाराज का भी पत्र में जिक्र छत्रपति शिवाजी महाराज के बारे में सिर्फ महाराष्ट्र ही नहीं, पूरे देश को उन पर गर्व है। कोविड के दौरान जब लोग घरों से बाहर नहीं निकले तो मैं इन किलों पर चढ़कर शिवनेरी, सिंहगढ़, प्रतापगढ़, रायगढ़ जैसे किलों में गया। पिछले 30 वर्षों में छत्रपति शिवाजी महाराज की माता जीजाऊ भोसले के जन्म स्थान सिंदखेड राजा में जाने वाला मैं अकेला राज्यपाल हूं। छत्रपति शिवाजी महाराज हमेशा मेरे लिए प्रेरणा स्रोत रहे हैं।
सक्रिय राजनीति छोड़ना चाहता था पत्र के अंतिम पैरा में कहा गया है कि 2016 में, उन्होंने हल्द्वानी (उत्तराखंड में जहां से कोश्यारी रहते हैं) में सार्वजनिक रूप से घोषणा की थी कि वह कोई चुनाव नहीं लड़ेंगे और सत्ता के पदों से दूर रहेंगे। लेकिन पीएम मोदी के प्रति निष्ठा और प्यार के चलते उन्होंने महाराष्ट्र के राज्यपाल का पद स्वीकार किया। पत्र में कहा गया है, “अगर मैं गलत था तो माफी मांगने में मुझे कभी संकोच नहीं होगा। मैं कभी सपने में भी महाराणा प्रताप, गुरु गोबिंद सिंह, छत्रपति शिवाजी महाराज जैसी शख्सियतों के बारे में अपमानजनक नहीं सोचूंगा।” कोश्यारी ने “आगे की उचित कार्रवाई” पर शाह से सलाह मांगी है।
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