केंद्र से जंगल की आग से निपटने और संसाधनों के लिए मांगे चार अरब, प्रस्ताव मंत्रालय को भेजा गया
छोटे भार वाहनों में पानी की टंकी और अग्निशमन यंत्र लगाकर इन वाहनों को तैयार किया जाएगा। ये वाहन सड़क किनारे से लगने वाली आग बुझाने में मददगार होंगे। चीड़ के जंगल आग की दृष्टि से संवेदनशील होते हैं।
राज्य सरकार ने जंगल की आग को नियंत्रित करने और संसाधन जुटाने के लिए पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से चार अरब से अधिक की राशि की मांग की है। इसके लिए प्रस्ताव तैयार कर शासन ने मंत्रालय को भेज दिया है।
इस साल जंगल की आग से हजारों हेक्टेयर वन भूमि पर वन संपदा प्रभावित हुई। जंगल की आग की चपेट में आने से 11 लोगों की मौत हुई। यह मामला कोर्ट तक भी पहुंचा। साथ ही वन विभाग की कार्य प्रणाली पर सवाल उठा। घटनाओं के मद्देनजर शासन ने मुख्य वन संरक्षक, वन संरक्षक, डीएफओ लेकर अन्य अधिकारियों को अटैच, निलंबन की कार्रवाई की थी। अब जंगल की आग से निपटने के लिए वन विभाग ने पांच साल की कार्ययोजना तैयार कर पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को भेजा है। इसमें 404 करोड़ रुपये की मांग की गई है।
चीड़ के जंगल में नमी बढ़ाने, छोटे अग्निशमन वाहन रखने की योजना
वन विभाग के प्रस्ताव में जंगलों में छोटे अग्निशमन वाहन तैयार रखने की बात लिखी है। छोटे भार वाहनों में पानी की टंकी और अग्निशमन यंत्र लगाकर इन वाहनों को तैयार किया जाएगा। ये वाहन सड़क किनारे से लगने वाली आग बुझाने में मददगार होंगे। चीड़ के जंगल आग की दृष्टि से संवेदनशील होते हैं।
इन जंगलों में जल संरक्षण के कार्य होंगे, जिससे जंगल में नमी रहे और आग फैलाव को रोकने में मदद मिले। वन विभाग ने चीड़ के पिरूल खरीदने, एकत्रीकरण की योजना बनाई है। पत्तियों की सफाई के लिए लीफ बुलोवर खरीदा जाएगा। साथ ही पिरूल से ब्रिकेट और पैलट की यूनिट स्थापित किया जाना है। वनकर्मियों की सुरक्षा को भी बढ़ाने संबंधी कार्य होंगे।
वनों की आग को नियंत्रित करने के लिए कार्य किया जा रहा है। इसी के तहत पांच साल की कार्ययोजना तैयार की गई है। इसका प्रस्ताव तैयार कर मंत्रालय को भेजा गया है। – आरके सुधांशु, प्रमुख सचिव वन
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