वन आरक्षी परीक्षा का मामला…सीएम ने दो पूर्व आईएफएस के विरुद्ध फिर जांच और मुकदमे की दी मंजूरी
कार्बेट टाइगर रिजर्व के कालागढ़ टाइगर रिजर्व प्रभाग के पाखरो में अवैध निर्माण हुआ था। इस मामले में वन विभाग के अधिकारियों की भूमिका और कार्यप्रणाली पर सवाल उठा था। मामले में सीबीआई ने भी जांच की है।
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने राजाजी टाइगर रिजर्व में वन आरक्षी (सामयिक मजदूरों से भर्ती) परीक्षा-2013 में हुई अनियमितता के मामले में आरोपित सेवानिवृत्त आईएफएस एचके सिंह के खिलाफ फिर से जांच कराने का निर्देश दिया है। उनके अलावा कालागढ़ टाइगर रिजर्व प्रभाग के तत्कालीन डीएफओ अखिलेश तिवारी के खिलाफ भी अभियोजन चलाने की स्वीकृति दी है।
सेवानिवृत्त आईएफएस एचके सिंह के मामले में प्रमुख वन संरक्षक वन्यजीव रंजन कुमार मिश्रा को जांच अधिकारी व डीएफओ वैभव कुमार प्रस्तुतकर्ता अधिकारी नामित किया गया है। जबकि प्रवर्तन निदेशालय के धन संशोधन निवारण अधिनियम-2002 के तहत धन शोधन संबंधित मामले में आरोपित लोक सेवकों के संबंध में कार्रवाई के क्रम में सेवानिवृत्त आईएफएस व कालागढ़ टाइगर रिजर्व प्रभाग के तत्कालीन डीएफओ अखिलेश तिवारी के विरुद्ध मुकदमा चलाने को मंजूरी दी है
तिवारी व अन्य के खिलाफ ईडी ने दायर की थी अभियोजन शिकायत
कार्बेट टाइगर रिजर्व के कालागढ़ टाइगर रिजर्व प्रभाग के पाखरो में अवैध निर्माण हुआ था। इस मामले में वन विभाग के अधिकारियों की भूमिका और कार्यप्रणाली पर सवाल उठा था। मामले में सीबीआई ने भी जांच की है। इसके अलावा जुलाई-2025 में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), देहरादून ने विशेष न्यायालय (पीएमएलए) देहरादून के समक्ष तत्कालीन प्रभागीय वनाधिकारी किशन चंद, तत्कालीन रेंजर बृज बिहारी शर्मा, तत्कालीन डीएफओ अखिलेश तिवारी और तत्कालीन रेंजर उत्तराखंड मथुरा सिंह मावड़ी के विरुद्ध धन शोधन निवारण अधिनियम(पीएमएलए), 2002 के प्रावधानों के अंतर्गत अभियोजन शिकायत (पीसी) दायर की थी।

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